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    वकालत छोड़ रीतलाल वर्मा ने पकड़ी थी राजनीति की राह

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 14 Jan 2019 06:55 PM (IST)

    प्रवीण कुमार, जमुआ (गिरीडीह): कोडरमा लोकसभा क्षेत्र का सबसे अधिक बार प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य स्

    वकालत छोड़ रीतलाल वर्मा ने पकड़ी थी राजनीति की राह

    प्रवीण कुमार, जमुआ (गिरीडीह): कोडरमा लोकसभा क्षेत्र का सबसे अधिक बार प्रतिनिधित्व करने का सौभाग्य स्व. रीतलाल प्रसाद वर्मा को मिला था। वे वकालत छोड़ राजनीति में आए और यहां अपनी एक अलग पहचान बनाई। 15 जनवरी को रीतलाल वर्मा की पुण्यतिथि मनाई जाएगी।

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    अपने राजनीतिक करियर में रीतलाल ने जमुआ विधानसभा का एक बार और कोडरमा लोकसभा क्षेत्र का पांच बार प्रतिनिधित्व किया। जमुआ प्रखंड के भंडारो गांव में एक फरवरी 1938 को उनका जन्म हुआ था। रांची विश्वविद्यालय से उन्होंने वकालत की पढ़ाई की थी। 1970 में भारतीय जनसंघ से जुड़कर राजनीति में आए। 1972 में जनसंघ के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जमुआ विस क्षेत्र पर तत्कालीन श्रम मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सदानंद प्रसाद को मात दी। हालांकि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर विधानसभा से उन्होंने इस्तीफा भी दे दिया था। इसके बाद 1977 में जनता दल ने उन्हें कोडरमा लोकसभा से उम्मीदवार बनाया और उन्हें जीत मिली।

    इस दौरान उन्होंने न सिर्फ संसद में कोडरमा का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि पूर्व में जनसंघ और बाद में भाजपा के लिए इस क्षेत्र में मजबूत राजनीतिक जमीन तैयार की। कोडरमा गिरिडीह रेलखंड को उन्हीं के प्रयासों को परिणाम माना जाता है। बताया जाता है कि 2000 में अलग झारखंड राज्य बनने के उपेक्षित महसूस कर रहे वर्मा ने भाजपा को अलविदा कह दिया। उनके करीबी लोगों का कहना है कि अलग झारखंड राज्य के लिए लगातार संघर्षरत रहने के बावजूद पार्टी में उपेक्षा के कारण उन्होंने भाजपा से किनारा कर लिया। हालांकि पिछड़ा चेतना मंच का गठन कर उन्होंने अपनी राजनीतिक सक्रियता बरकरार रखी। बाद में वे झामुमो में भी गए। 2004 में 15 जनवरी को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके बाद उनके पुत्र प्रणव वर्मा ने कोडरमा लोस सीट से 2014 में किस्मत आजमाया, लेकिन विफल रहे। हाल ही में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।