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    नहीं करो किसी का तिरस्कार : विशुद्ध सागर

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 22 Jul 2021 12:05 AM (IST)

    गिरिडीह जैन संत आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने कहा कि दुनियां में किसी का आदर नहीं क

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    नहीं करो किसी का तिरस्कार : विशुद्ध सागर

    गिरिडीह: जैन संत आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने कहा कि दुनियां में किसी का आदर नहीं कर सको तो तिरस्कार भी नहीं करो। जियो और जीने दो और भूखों को भोजन दो। आचार्य मधुबन के तेरापंथी कोठी के विशुद्ध देशना मंडप में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।

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    कहा कि अहिसा धर्म के रास्ते चलने से ही विकास हो सकता है। आस्था बदलते ही रास्ता बदल जाता है और भाव बदलते भव। भक्ति में भव के बंधन से कर्मों की बेड़ियां टूट जाती हैं। भावों से अपभ्रमण, भावों से मुक्ति, भावों से मुस्कुराहट, भावों से प्रसन्नता एवं भावों से खुशी मिलती है। भावों को सुधारो तो सब सुधर जाएगा। इस दौरान निर्मित मंडप का उद्घाटन रांची के महेश कुमार, पाद प्रक्षालन कोलकाता के कमलकाला और शास्त्र भेंट पूर्व विधायक सुनील सागर ने की।

    ग्रामीणों ने धूमधाम से की इष्टदेव कुंवर की पूजा : जमुआ प्रखंड के मुरखारी में बुधवार को महुआ पेड़ में स्थापित जानमाल के रक्षक कुंवर देव की पूजा ग्रामीणों ने धूमधाम से की। इस परंपरागत पूजा की अगुवाई कर रहे पुजारी प्रीतम महतो ने सुबह से ही उपवास पर रहकर पूजास्थल महुआ पेड़ के नजदीक जाकर पूजा किए जानेवाले क्षेत्र की निपाई करवाई। बता दें कि पूजा की शुरूआत दोपहर के बाद की गई। पूजा प्रारंभ होते ही आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग वहां इकट्ठा हो गए। इस दौरान 20 लीटर दूध की खीर बनाई गई। किसानों ने बकरे की बलि की। फिर खीर का प्रसाद उपस्थित लोगों के बीच बांटा गया। बताते हैं कि यह पूजा कई सालों से यहां की जा रही है जिसे प्रीतम महतो के वंशज ने ही शुरू करवाई थी। यह पूजा आषाढ़ मास के सोमवार या बुधवार को ही होती है। कहा जाता है कि किसान धान की खेती की शुरुआत करने के पूर्व ही यह पूजा कर लेते हैं। इससे अच्छी बारिश होती है तथा उन्नत पैदावार भी होती है। पूरे वर्ष कुंवर देव की कृपा से यहां के जानमाल को बीमारी होने की संभावनाएं नहीं रहती है। दूसरी मातृभूमि पूजा भी की गई। इसके पुजारी घुघरी राय ने ढोल बाजे के साथ दोनों जगहों की पूजा संपन्न की। पूजा को सफल बनाने में अशोक सिंह, शालीग्राम सिंह, विशेश्वर पंडा, एतवारी महतो, बुधु महतो, डीलो महतो, बोधी महतो, मुरारी राय, शिवा पंडित आदि जुटे थे।

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