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जड़ी-बूटी दिवस पर पतंजलि परिवार ने बांटे गिलोय के पौधे

गिरिडीह आचार्य बालकृष्ण के जन्मदिवस को हरा-भरा भारत जड़ी-बूटी दिवस को गिरिडीह जिले

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 08:10 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 08:10 PM (IST)
जड़ी-बूटी दिवस पर पतंजलि परिवार ने बांटे गिलोय के पौधे

गिरिडीह : आचार्य बालकृष्ण के जन्मदिवस को हरा-भरा भारत, जड़ी-बूटी दिवस को गिरिडीह जिले में पतंजलि परिवार ने जगह-जगह अलग-अलग कार्यक्रम कर प्रखंड स्तर से लेकर जिलास्तर तक औषधीय पौधों का वितरण व पौधारोपण कर मनाया गया।

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सिहोडीह में रणधीर गुप्ता द्वारा औषधीय पौधों का पौधारोपण किया गया। इस बार मुख्य रूप से गिलोय का वितरण व रोपण करने का लक्ष्य रखा गया है। जिलेभर में लगभग दो हजार गिलोय की लत (बेल) अगले 7 दिनों तक लगाया व वितरण किया जाएगा। गिलोय को अमृता भी कहा जाता है। इसके सेवन से इम्युनिटी सिस्टम बूस्ट होता है। जिससे हर प्रकार के वायरस से लड़ने के लिए व्यक्ति सक्षम हो जाते है।

इस अभियान में पतंजलि परिवार, गिरिडीह की महिलाओं ने भी औषधीय पौधों का पौधारोपण व वितरण किया।

मुख्य रूप से गिलोय, तुलसी, नीम, पीपल, ऐलोवेरा, कालमेघ, सिजु, सदाबहार, अड़हुल, करी पत्ता, पथरचट्टा, गेंदा फूल इत्यादि औषधीय पौधों को लगाया व वितरण किया गया। महिला कॉलेज, सांइस ब्लॉक, बीटी फील्ड आदि जगहों पर पौधा लगया गया।

कार्यक्रम का नेतृत्व जिला सोशल मीडिया प्रभारी सह योग शिक्षिका पुष्पा शक्ति ने की। कार्यक्रम में सुपर्णा मुखर्जी, प्रियंका शक्ति, जया सिन्हा, लक्ष्मी छाया, मधु सिंह, सपना राय, माला दास, सीमा लाल आदि की सराहनीय भूमिका रही। स्वदेशी केंद्र सिरसिया में गिलोय के काढ़े और गिलोय का बेल (लता)का भी वितरण किया गया।

इस कार्यक्रम को भारत स्वाभिमान के जिला प्रभारी नवीनकांत सिंह की अगुवाई में किया गया। उन्होंने बताया कि ये कार्यक्रम पखवाड़ा सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। जो पिछले 7 दिनों से लेकर अगले 7 दिनों तक चलेगा। पतंजलि परिवार के भारत स्वभिमान न्यास, महिला पतंजलि योग समिति, युवा भारत, हमरो भारत और पतंजलि किसान समिति द्वारा हर जगह वृहत रूप से कार्यक्रम को चलाया जा रहा है।

कार्यक्रम को सफल बनाने में पतंजलि योग समिति प्रभारी परमेंद्र कुमार, युवा भारत के प्रभारी रणधीर गुप्ता, मीडिया प्रभारी पुष्पा शक्ति, सक्रिय कार्यकर्ता सुरेश खत्री आदि की भूमिका सराहनीय रही।


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