giridhi news नक्सली आकाश के इश्क में पड़कर आतंक की राह चल पड़ी थी सुनीता
प्रेमी आकाश से दूसरी शादी के बाद देवर से की थी तीसरी शादी। पहले नक्सलियों को रहने और खाने की करती थी व्यवस्था। बाद में खुद दस्ते में शामिल होकर थाना बंदूक। गिरफ्तार सुनीता को गुरुवार को पुलिस ने न्यायिक हिरासत में भेजा। इससे पहले हिंसात्मक करतूत का किया खुलासा
जागरण संवाददाता, गिरिडीह : दासो साव हत्याकांड मामले में पुलिस के हत्थे चढ़ी महिला नक्सली आरोपित सुनीता मुर्मू ग्रामीण इलाके की सामान्य महिला थी। पुलिस के समक्ष किए गुनाह कबूलनामे में सुनीता ने कैसे बनी नक्सली और किन घटनाओं में शामिल रही इसका पूरा खुलासा किया है। करीब 18 साल पहले वह अपने पति रमका टुड्डू और बेटी शांति के साथ चकाई के बाराजोर में रहा करती थी। उन दिनों नक्सलियों का दस्ता बाराजोर पहुंचकर ग्रामीणों से मिलकर सभा किया करता था। साथ ही अमीरी-गरीबी, ऊंच नीच के भेदभाव के खिलाफ लोगो को भड़काया करते थे। इस सभा में शामिल होने वाली सुनीता को ये बातें अच्छी लगती थी। वह गांववालों के साथ नक्सलियों के लिए खाने पीने और ठहराने तक की व्यवस्था करती थी।
धीरे-धीरे नक्सल का विचार उसके जीवन में घर करने लगा। वह इस संगठन से इसा प्रभावित हुई की उठते बैठते, सोते जागते सिर्फ नक्सल के बारे सोचकर रोमांचित हो जाती थी। इसी क्रम नक्सली दस्ते में शामिल आकाश मरांडी को उसने अपना दिल दे बैठी। पहले तो आकाश ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया फिर एक दिन नक्सल विचारधारा को अपनाते हुए वह अपने पति को छोड़ कर दस्ते में शामिल हो गई। बाद में उसने आकाश से शादी कर ली थी। इसके बाद बिहार-झारखंड सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सल के आतंक का पर्याय माना जानेवाला चिराग के दस्ते में शामिल हो गई थी। इसके बाद हार्डकोर सुरंग यादव, बशीर दा, रमेश मंडल, सिधु कोड़ा और विजय बर्णवाल के साथ नक्सली वारदात में सुनीता शामिल होती रही।
सालों तक संगठन में रहनेवाली सुनीता ने पहले पति रमका टुड्डू को छोड़ नक्सली साथी आकाश से शादी की थी। आकाश से गांव में किए जा रहे अनैतिक काम से ग्रामीण खफा थे। इससे नाराज ग्रामीणों ने वर्ष 2016 में आकाश की हत्या कर दी थी। उसकी हत्या के बाद उसके शव का पता नहीं चल पाया था। दूसरे पति की मौत के बाद सुनीता ने अपने देवर राजो मरांडी से तीसरी शादी की थी। यह शादी भी बहुत ज्यादा खुशी नहीं दे पाई। राजो मरांडी की भी मौत साल 2020 में बीमारी की वजह से हो गई थी।
छह हथियार बंद लोगों ने दासो की हत्या की थी
अपने गुनाह कबूलनामे में सुनीता ने बताया कि वर्ष 2008 में जोनल कमांडर चिराग ने उसे निर्देश दिया था कि एक फौजी कार्रवाई में शामिल होना है। 17 अक्टूबर 2008 को वह 30 साथियों के साथ तेतरिया बाजार पहुंचा था। वहां आनेवाले ढिबरा व्यवसायी दासो साव की हत्या की योजना बनी थी। उसे आकाश समेत छह हथियारबंद लोगों के साथ देवरी की तरफ से आनेवाले पुलिस पर हमला करना था। दस्ते का नेतृत्व जोनल कमांडर चिराग दा कर रहा था। दस्ते में आकाश, रमेश मंडल, सुरंग, बशीर, सिधू कोड़ा आदि शामिल थे। दस्ते ने दासों साव को उठाकर कुछ दूर ले जाकर गला रेतकर हत्या कर दी थी।