Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डुमरी-बगोदर में माघी काली पूजा की धूम

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 10 Feb 2021 08:18 PM (IST)

    गिरिडीह माघी काली पूजा बुधवार की रात विधिपूर्वक एवं श्रद्धाभाव के साथ मनाई गई। गुरुवार की

    Hero Image
    डुमरी-बगोदर में माघी काली पूजा की धूम

    गिरिडीह: माघी काली पूजा बुधवार की रात विधिपूर्वक एवं श्रद्धाभाव के साथ मनाई गई। गुरुवार की सुबह कई जगहों पर बली दी जाएगी।

    डुमरी : डुमरी में पिछले आठ दशक से माघी काली पूजा का आयोजन किया जा रहा है। बुधवार की रात्रि मां काली की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान के साथ पूजा की गई। इसके बाद उपस्थित लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। इसे लेकर काली मंडप एवं उसके प्रांगण को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। पूजा समिति के अध्यक्ष विजय जायसवाल की अगुवाई में समिति के सदस्यों ने पूजा संपन्न कराने की दृष्टि से सक्रिय भूमिका अदा की है। गुरुवार को पूजा विधान के बाद बकरे की बलि दी जाएगी और संध्या में बलिवाले बकरे के सर को प्रसाद के रूप में नीलाम किया जाएगा। यहां काली पूजा प्रारंभ होने के पीछे एक घटना है। डुमरी के निवासी परमेश्वर भगत को काली मां के भक्त व बंगाली ब्राह्मण ने कहा था कि वह काली की स्थापना कर पूजन करवाएं तो उनका वंश बढ़ेगा। इसके बाद ही भगत को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी जिनका नाम नंदकिशोर भगत था। उनके जन्मकाल से चली आ रही इस परंपरा को उनके परिवार के सदस्य निर्वहन कर रहे हैं। पूजा में समाज की सहभागिता के मद्देनजर विधिवत कमेटी बनाकर उसे सार्वजनिक तौर पर स्वीकृति दी गई थी जिससे समाज के सभी वर्ग के लोग बढ़-चढ़कर इस पूजा को संपन्न कराते हैं। इसके अलावा डुमरी प्रखंड के ही तेलखारा में अधिवक्ता जीवन कुमार सिन्हा के परिवार की ओर से प्रतिवर्ष मां काली की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बगोदर : खंभरा में माघी काली पूजा धूमधाम से मनाई जा रही है। बुधवार की रात्रि में पूजा हुई। मध्य रात्रि के बाद बकरों की बलि दी जाएगी। बताते चलें कि खंभरा में माघी काली पूजा का इतिहास बहुत पुराना है। वहां के जमींदार लखपत सिंह ने आज से 100 वर्ष पहले इस पूजा की शुरुआत की थी। उस समय से यह पूजा होती आ रही है। यह गांव का सबसे महत्वपूर्ण और खास त्योहार है। इसमें गांव के युवक बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पूरे गांव को लाइट से सजा दिया गया है। इसका खर्च गांव के युवक और ग्रामीण मिलकर करते हैं जिसमें सभी जाति के लोगों का योगदान रहता है। हरेंद्र कुमार सिंह, शंकर यादव, सीताराम सिंह, सुमीत दास, सत्येंद्र सिंह, सुधीर कुमार सिंह, अमन कुमार सिंह, रंजन कुमार सिंह, गौतम ठाकुर, दीवाना विश्वकर्मा, अवध सिंह, पवन सिंह, उदय सिंह, सुबोध सिंह, अरुण सिंह, छोटू यादव सक्रिय हैं।