टनटन मिश्रा गिरोह ने किया था पशु चिकित्सक डॉ. मानस को अगवा
ओडिशा के पशु चिकित्सक व मुर्गी दाना के बड़े कारोबारी डॉ. मानस रंजन दास को बिहार के हाजीपुर से कोलकाता होते हुए भुवनेश्वर जाने के क्रम में जीटी रोड पर ड ...और पढ़ें

गिरिडीह : ओडिशा के पशु चिकित्सक व मुर्गी दाना के बड़े कारोबारी डॉ. मानस रंजन दास को बिहार के हाजीपुर से कोलकाता होते हुए भुवनेश्वर जाने के क्रम में जीटी रोड पर डुमरी से अगवा कुख्यात अंतरप्रांतीय अपराधी टनटन मिश्रा गिरोह ने किया था। यह खुलासा टनटन मिश्रा गिरोह में शामिल बिहार का कुख्यात अपराधी प्रिस मिश्रा ने गिरिडीह पुलिस के समक्ष किया है। प्रिस मिश्रा इस वक्त सेंट्रल जेल गिरिडीह में बंद है जबकि सरगना टनटन मिश्रा मध्यप्रदेश के रीवा जेल में बंद है। प्रिस मिश्रा को जमुई जेल से फरवरी महीने में रिमांड पर गिरिडीह लाया गया था। गिरिडीह पुलिस ने पूछताछ के बाद उसे सेंट्रल जेल गिरिडीह भेज दिया था। उसने इस अपहरणकांड में शामिल कुल पांच अपराधियों के नामों का खुलासा पुलिस के समक्ष किया है। टनटन मिश्रा, प्रिस समेत ये सभी पांचों अपराधी बिहार एवं मध्य प्रदेश के जेलों में बंद है। इनमें बलेंद्र उर्फ राजेश सिंह औरंगाबाद, नारायण लोहार इंदौर, अंकित कुमार एवं अजीत कुमार नवादा जेल में बंद है। सभी बिहार के जमुई, नवादा एवं औरंगाबाद के कुख्यात अपराधी हैं। प्रिस मिश्रा को छोड़कर गिरिडीह पुलिस किसी से भी अभी तक पूछताछ नहीं कर सकी है। इस मामले में आसनसोल के सिम विक्रेता उमेश मंडल को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। उमेश मंडल जमानत पर बाहर निकल चुका है। गिरिडीह की अदालत टनटन मिश्रा समेत चारों को पेश करने के लिए संबंधित जेलों में प्रोडक्शन वारंट रिमाइंडर भी भेज चुकी है।
23 महीने बाद भी इस हाईप्रोफाइल अपहरणकांड की पूरी गुत्थी नहीं सुलझ सकी है। टनटन मिश्रा से पूछताछ के बाद ही अपहरण एवं फिरौती वसूली की पूरी कहानी सामने आ सकती है। डॉ. मानस की रिहाई के बाद सीआइडी के एक बड़े अधिकारियों ने जानकारी दी थी कि इस अपहरणकांड में बिहार के एक पूर्व विधायक का हाथ है। प्रिस ने पुलिस के समक्ष जो स्वीकारोक्ति बयान दिया है, उसके अनुसार डॉ. मानस को अगवा करने के बाद उसने उन्हें टनटन मिश्रा को सौंप दिया था। उसके आगे की कहानी से प्रिस मिश्रा भी अनजान है।
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पुलिस की वर्दी में किया था अगवा :
डॉ. मानस रंजन दास को 23 अगस्त 2017 को देर शाम डुमरी थाना क्षेत्र के हेठटोला जीटी रोड पर अगवा कर लिया गया था। डुमरी एवं निमियाघाट के बीच उनका अपहरण किया गया था। बरही चेकपोस्ट पर लगे सीसीटीवी फुटेज में उन्हें बिहार ले जाने की जानकारी मिली थी। हाजीपुर में मुर्गी दाने का उनका प्रोसेसिग प्लांट है। वे अपने हाजीपुर प्लांट से ओडी कार खुद चलाकर भुवनेश्वर के लिए निकले थे। डुमरी में टाटा सूमो से ओवरटेक कर अपराधियों ने उनकी ओडी को रुकवाया था। फिर उसमें सवार लोगों को उतारकर अपने साथ टाटा सूमो में ले गए। टाटा सूमो पर पुलिस लिखा हुआ था और कुछ अपराधी पुलिस की वर्दी में थे।
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फिरौती वसूली के बाद उन्हें कोइलवर में किया था मुक्त :
डॉ. मानस को अगवा करने के 40 दिनों बाद बिहार के आरा के कोइलवर में मुक्त कर दिया था। कहा जाता है कि दो करोड़ रुपये फिरौती देने के बाद उन्हें सकुशल मुक्त किया गया था। हालांकि फिरौती देने की पुष्टि न तो गिरिडीह पुलिस और न ही भोजपुर पुलिस ने की थी। डॉ. मानस एवं उनके परिजनों ने इस संबंध में कुछ भी बोलने से परहेज किया था। अपहरण की रात ही मानस के एक मित्र को अपराधियों ने अपहरण कर लिए जाने की सूचना दी थी। साथ ही बदले में तीन करोड़ रुपये फिरौती की मांग की थी। डॉ. मानस की सकुशल बरामदगी के लिए गिरिडीह पुलिस ने झारखंड, ओडिशा, बिहार एवं बंगाल में कई दिनों तक छापेमारी की थी।
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अपहरण की कहानी प्रिस मिश्रा की जुबानी :
बिहार के जमुई जिला निवासी प्रिस मिश्रा ने बताया कि जमुई के ही कुख्यात अपराधी टनटन मिश्रा से उसकी दोस्ती थी। टनटन ने उसे बताया कि ओडिशा का एक बड़ा कारोबारी महंगी कार से ओडिशा से झारखंड होते हुए बिहार आता है। उसे अगवा करना है। टनटन ने यह काम उसे सौंपा। इसके बाद उसने औरंगाबाद के बलेंद्र उर्फ राजेश सिंह से बात की। हाजीपुर से ओडिशा जाने के क्रम में बरही के पास से डॉ. मानस का पीछा किया। डुमरी में मर्सिडीज कार से उन्हें उतारकर अपनी सूमो में चढ़ाया। वापस बरही आकर डॉ. मानस को दोनों ने टनटन मिश्रा के हवाले कर दिया। टनटन ने कहा कि घर चले जाओ। पैसा वहीं मिल जाएगा।
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बिहार से मध्यप्रदेश तक चलता है टनटन मिश्रा का अपहरण का कारोबार :
जमुई जिले के लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र निवासी टनटन मिश्रा का अपहरण का धंधा बिहार से लेकर झारखंड, पश्चिम बंगाल से मध्य प्रदेश तक फैला हुआ है।
अपहरण, हत्या, डकैती एवं लूट के उसके खिलाफ मामलों की लंबी फेहरिस्त है। सिर्फ जमुई जिले के लक्ष्मीपुर थाना में उसके खिलाफ बीस मामले दर्ज हैं। बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश एवं बंगाल का वह मोस्ट वांटेड है। बिहार का वह इनामी अपराधी था। उसके खिलाफ सिर्फ अपहरण के बीस मामले दर्ज हैं। तिहरा हत्याकांड का भी वह नामजद अभियुक्त है।
वह बंगाल के बर्दवान जेल एवं जमुई कोर्ट हाजत से पूर्व में फरार हो चुका है। जमुई से गिरफ्तारी के बाद उसे चारों राज्यों की पुलिस रिमांड पर लेने में लगी हुई है। हालांकि सफलता अभी सिर्फ मध्यप्रदेश पुलिस को ही मिली है। पत्थर व्यवसायी को अगवा करने की साजिश रचते उसे तीन साथियों समेत जमुई पुलिस ने गिरफ्तार कर जमुई जेल भेज दिया था। वहां से प्रोडक्शन वारंट के आधार पर रीवा पुलिस उसे ले गई थी। 20 लाख रुपये के नेपाली चरस के साथ जमुई में पकड़ा गया था प्रिस मिश्रा :
प्रिस मिश्रा को जमुई पुलिस ने दो किलो नेपाली चरस के साथ गिरफ्तार किया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 20 लाख रुपये से अधिक थी। जमुई के ईंट कारोबारी गोपाल मंडल को अगवा करने के मामले में पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। गोपाल मंडल को टनटन एवं प्रिस ने मिलकर अगवा किया था। तीस लाख रुपये फिरौती लेकर उसकी रिहाई की थी। टनटन इस मामले में पहले ही पकड़ा जा चुका था। बिहार, झारखंड एवं बंगाल में टनटन के साथ वह कई अपहरणकांडों में शामिल रह चुका है। प्रिस की पत्नी को भी जमुई पुलिस गांजे के साथ पूर्व में गिरफ्तार कर चुकी है।

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