Giridih Mob Lynching: काम समेटकर घर लौट रहे बेगुनाह की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में दो लोगों को उम्रकैद
साल 2018 की बात है जब मासूम मोहम्मद सरफुद्दीन मशीन बनाने का काम पूरा कर अपने घर लौट रहा था कि तभी बैटरी चोर का आरोप लगाकर स्थानीय लोगों ने उसे रोककर उसकी पिटाई शुरू कर दी और इस दौरान उसकी मौत हो गई।
गिरिडीह, जासं। मॉब लिंचिंग या भीड़ द्वारा हिंसा के मामले में जिले में पहली बार किसी को सजा सुनाई गई है। जिला जज तृतीय सोमेंद्रनाथ सिकदर की अदालत ने शनिवार को यह सजा सुनाई है। सजा पाने वालों में मनोज साव और छबीला साव उर्फ भीम साव शामिल हैं। दोनों बेंगाबाद थाना क्षेत्र के साठीबाद के रहने वाले हैं। दोनों को न्यायालय ने बीते सप्ताह दोषी करार देते हुए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा था। इसके पूर्व सजा की बिंदु पर बहस करते हुए एपीपी सुधीर कुमार ने कड़ी सजा देने की मांग की।
मासूम पर लगाया चोरी करने का इल्जाम
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से लोगों के द्वारा भीड़ में शामिल होकर गैर कानूनी तरीके से निर्दोष व्यक्ति की हत्या करने का प्रचलन चल रहा है। सरफुद्दीन भी एक निर्दोष व्यक्ति था। चोर बताकर उसकी हत्या कर दी गई। कड़ी सजा ही समाज में शांति का पैगाम देगी। उन्होंने कड़ी सजा देने की मांग की। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही दोनों को दस-दस हजार रुपये अर्थदंड जमा करने का आदेश दिया है। जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर अतिरिक्त सजा जेल में काटनी होगी।
काम निबटाकर घर लौट रहा था सरफुद्दीन
इस कांड के सूचक निज़ामुद्दीन उर्फ सोहली मियां ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कहा था कि उसका बेटा मोहम्मद सरफुद्दीन छह मई, 2018 को मशीन बनाकर अपने घर मधुपुर लौट रहा था। इस बीच बैट्री चोर कहकर स्थानीय लोगों ने उसे रोका और मार-मार कर उसकी हत्या कर दी।
इस मामले में अभियोजन की तरफ से 12 गवाहों का परीक्षण कराया गया, जिनमें कई चश्मदीद थे। जिन्होंने कहा था कि वे काम निपटा कर घर लौट रहे थे। गिरिडीह-मधुपुर सड़क के पास सरफुद्दीन को भीड़ घेर कर मार रही थी। विदित हो कि झारखंड में कानून व्यवस्था पर भीड़ तंत्र हावी होता दिख रहा है। हिंसक भीड़ लोगों की जान तक लेने से नहीं चूक रही है।