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    'घर गए तो डांट पड़ेगी', शिक्षकों के एक आदेश ने ले ली दो नाबालिगों की जान, झारखंड स्कूल ट्रेजेडी पर सवाल

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 10:21 AM (IST)

    उत्क्रमित उच्च विद्यालय चिरुवां-कपिलो की आठवीं की दो छात्राओं जाहिदा खातून और गुलाबशा परवीन ने शिक्षकों द्वारा अभिभावकों को बुलाने घर भेजे जाने पर कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली। सहपाठी के अनुसार उन्हें स्कूल से अनुपस्थित रहने पर अभिभावकों की डांट का डर था। ग्रामीणों ने शिक्षकों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की है। समय-समय पर बच्चों की काउंसेलिंग बहुत जरूरी है।

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    शिक्षक ने भेजा घर, डर से कुएं में कूदीं दो बेटियां।

    संवाद सहयोगी, जागरण सरिया (गिरिडीह)। सरिया थाना क्षेत्र के उत्क्रमित उच्च विद्यालय चिरुवां-कपिलो में गुरुवार को एक अत्यंत दुखद घटना सामने आई है। आठवीं कक्षा की दो छात्राओं ने शिक्षकों के कहने पर अभिभावकों को बुलाने घर भेजे जाने के बाद संभावित डांट के डर से एक कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली। 

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    मृतक छात्राओं की पहचान चिरुवां गांव की जाहिदा खातून (13) और गुलाबशा परवीन (14) के रूप में हुई है। जाते वक्त दोनों आपस में बात कर रही थी कि घर जाने के बजाए कुछ देर कुआं पर बैठेंगे।

    स्कूल में क्या हुआ?

    विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक जयप्रकाश रविदास के अनुसार, दोनों छात्राएं सुबह प्रार्थना सभा में शामिल नहीं हुईं और अपना बस्ता कक्षा में रखकर कहीं चली गईं। लगभग आधे घंटे बाद जब वे लौटीं तो अनुपस्थित रहने का कारण पूछने पर कोई जवाब नहीं दिया। इस पर उन्हें और एक अन्य सहपाठी शना परवीन को अपने-अपने अभिभावकों को बुलाकर स्कूल लाने के लिए घर भेजा गया।

    काफी देर बाद, शना परवीन तो अपने अभिभावक के साथ स्कूल पहुंची, लेकिन जाहिदा और गुलाबशा वापस नहीं आईं। शना ने शिक्षकों को बताया कि रास्ते में दोनों छात्राएं आपस में बात कर रही थीं कि अगर वे अभिभावक को लेकर स्कूल गईं, तो अनुपस्थित रहने के कारण उन्हें डांट-फटकार मिलेगी। संभवतः इसी भय से उन्होंने घर जाने के बजाय कुछ देर कुएं पर बैठने की बात कही थी।

    सहपाठी का बयान और ग्रामीणों का गुस्सा

    सहपाठी शना परवीन ने बताया कि हिंदी और आईटीसी के शिक्षकों की नाराजगी के कारण वे तीनों डरी हुई थीं। जाहिदा और गुलाबशा डांट से बचने के लिए घर न जाकर कुएं पर बैठने की योजना बना रही थीं। बाद में ग्रामीणों ने कुएं में तलाश की और दोपहर करीब एक बजे दोनों छात्राओं के शवों को बाहर निकाला।

    इस हृदय विदारक घटना से गांव में शोक और आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने शिक्षकों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें बच्चियों को डांटने या शर्मिंदा करने के बजाय अभिभावकों को मोबाइल या नोटिस के माध्यम से सूचित करना चाहिए था।

    अधिकारियों का आश्वासन, कानूनी कार्रवाई करेंगे

    घटना की सूचना पर सरिया पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए बगोदर भेज दिया। सरिया अंचलाधिकारी संतोष कुमार ने घटना को दुखद बताते हुए जांच के आदेश दिए हैं और शिक्षा विभाग को दोषी पाए जाने वाले लोगों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। वहीं, थाना प्रभारी आलोक कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस फर्द बयान के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई करेगी। यह घटना बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक माहौल की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

    डांट-फटकार नहीं, संवाद और संवेदनशीलता ज़रूरी

    यह घटना बताती है कि बच्चों के लिए डांट और अपमान का डर कितना गहरा हो सकता है। बाल मनोविज्ञान (Child Psychology) के विशेषज्ञ मानते हैं कि परीक्षा में कम नंबर या छोटी गलतियों पर सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करना (Shaming) या सख़्त सज़ा देना बच्चों को मानसिक तौर पर तोड़ सकता है।

    शिक्षकों और अभिभावकों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

    • संवाद को प्राथमिकता दें: अनुपस्थिति या गलती होने पर सज़ा देने के बजाय, पहले बच्चे से शांत मन से कारण पूछें।
    • सार्वजनिक अपमान से बचें: बच्चे को कक्षा या भीड़ के सामने डांटने या शर्मिंदा करने से बचें। इससे उनका आत्मविश्वास हमेशा के लिए कम हो सकता है।
    • मोबाइल/नोटिस का उपयोग: स्कूल से सीधे घर भेजने के बजाय, मोबाइल पर अभिभावक को सूचित करें या लिखित नोटिस भेजें।
    • डर नहीं, विश्वास जगाएं: बच्चों को यह विश्वास दिलाना ज़रूरी है कि गलतियाँ होने पर भी उनके अभिभावक और शिक्षक हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे।
    • मानसिक स्वास्थ्य: स्कूल में नियमित रूप से परामर्श सत्र (Counselling Sessions) आयोजित होने चाहिए, ताकि बच्चे बिना डर के अपनी समस्याएँ बता सकें।

    विभागीय प्रशिक्षण के कारण मैं विद्यालय में नहीं था, इसलिए प्रभार जयप्रकाश रविदास को दिया गया था। घटना दुखद है। दोनों छात्रा पढ़ने में तेज थी। कार्रवाई की जाएगी।

    -रमेश कुमार, प्रधानाध्यापक, उत्क्रमित उच्च विद्यालय चिरुवां-कपिलो