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    चिलखारी नरसंहार में फांसी की सजा से चर्चित जीतन मरांडी का निधन

    जागरण संवाददाता गिरिडीह पूर्व नक्सली एवं चिलखारी नरसंहार में गिरिडीह की अदालत से फांस

    By JagranEdited By: Updated: Sun, 12 Sep 2021 10:46 PM (IST)
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    चिलखारी नरसंहार में फांसी की सजा से चर्चित जीतन मरांडी का निधन

    जागरण संवाददाता, गिरिडीह : पूर्व नक्सली एवं चिलखारी नरसंहार में गिरिडीह की अदालत से फांसी की सजा मिलने से चर्चित जीतन मरांडी का रविवार को दोपहर रांची में निधन हो गया। उसके शव को रविवार रात करीब नौ बजे रांची से पीरटांड़ के करंदो स्थित आवास लाया गया। जीतन मरांडी पिछले कुछ समय से रांची में अपने एक मित्र के साथ रह रहा था। पिछले शनिवार को बीमार अवस्था में ही वह पीरटांड़ से रांची गया था। वहां उसकी मौत हो गई। वह अपने पीछे पत्नी अपर्णा मरांडी, एक बेटा और एक बेटी छोड़ गया है। जीतन की मौत की पुष्टि करते हुए पत्नी अपर्णा मरांडी ने बताया कि सोमवार को शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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    विदित हो कि जीतन मरांडी माओवादियों के सांस्कृतिक मंच झारखंड एवेन का सचिव था। देवरी प्रखंड के चिलखारी में नक्सलियों ने 26 जून 2007 को पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी समेत 19 लोगों को गोलियों से भून दिया था। इस मामले में गिरिडीह की अदालत ने 23 जून 2011 को जीतन मरांडी, छत्रपति मंडल, मनोज रजवार एवं अनिल राम को फांसी की सजा सुनाई थी।

    जीतन मरांडी को फांसी की सजा सुनाने के खिलाफ उसकी पत्नी अपर्णा मरांडी ने देशभर में मुहिम चलाया था। जिसे विभिन्न संगठनों ने समर्थन दिया था। गिरिडीह की अदालत के इस फैसले को झारखंड हाईकोर्ट में जीतन ने चुनौती दी थी। झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 15 दिसंबर 2011 को जीतन मरांडी समेत चारों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। जीतन मरांडी का कहना था कि उसे दूसरे हार्डकोर माओवादी जीतन मरांडी के हमनाम होने के कारण फंसाया गया है। चिलखारी नरसंहार में बाद में हार्डकोर माओवादी जीतन मरांडी भी गिरफ्तार कर लिया गया था। वह अभी भी जेल में बंद है।