रंग ला सकता प्रयास, रेल मार्ग से जुड़ेगा पारसनाथ
पारसनाथ पहाड़ जैन धर्मावलंबियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। दुनियाभर से जैन तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं। पारसनाथ पहाड़ की चोटी से लेकर तराई पर मधुबन में एक से बढ़कर एक भव्य एवं आकर्षक जैन मंदिर है। इन मंदिरों को देखने वाले लोग इसकी सुंदरता एवं भव्यता पर मोहित हो जाते हैं। तीर्थयात्री पहाड़ की परिक्रमा कर एवं इन मंदिरों का दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं।
गिरिडीह : पारसनाथ पहाड़ जैन धर्मावलंबियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। दुनियाभर से जैन तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं। पारसनाथ पहाड़ की चोटी से लेकर तराई पर मधुबन में एक से बढ़कर एक भव्य एवं आकर्षक जैन मंदिर हैं। इन मंदिरों को देखनेवाले लोग इसकी सुंदरता एवं भव्यता पर मोहित हो जाते हैं। तीर्थयात्री पहाड़ की परिक्रमा कर एवं इन मंदिरों का दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं। तीर्थस्थल से हजारों लोगों विशेषकर डोली मजदूरों को रोजगार मिलता है। सरकार यदि पारसनाथ पर नजरें इनायत करें तो बड़ी संख्या में नए रोजगार के अवसर यहां उपलब्ध हो सकते हैं। झारखंड की अर्थव्यवस्था तो मजबूत होगी ही साथ ही बेरोजगारी भी दूर होगी। इस दिशा में सबसे जरूरी है यहां तक रेल यातायात की सुविधा उपलब्ध कराना। रेल सुविधा नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में पर्यटक यहां तक नहीं पहुंच पाते हैं। पारसनाथ तक रेल पहुंचाने के लिए कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी एवं गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने संयुक्त रूप से पहल की है। यह पहल यदि रंग लाई तो आप ट्रेन से सीधे मधुबन पहुंच सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो यहां विकास और साथ-साथ रोजगार का द्वार खुल जाएगा। तीर्थ यात्रियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में पर्यटक भी यहां पहुंचने लगेंगे। पर्यटक अपने साथ रोजगार भी लेकर आएंगे।
पारसनाथ-मधुबन-गिरिडीह रेललाइन परियोजना की घोषणा भारत सरकार ने बजट में की है। पारसनाथ इसरी बाजर से मधुबन होते हुए गिरिडीह तक 35 किमी. रेल लाइन बिछानी है। इसका प्रारंभिक सर्वे भी हो चुका है। चुनावी लाभ लेने के लिए गिरिडीह के तत्कालीन सांसद रवींद्र कुमार पांडेय एवं डुमरी के विधायक जगरनाथ महतो ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इसका शिलान्यास भी कर दिया था। शिलान्यास भले ही कर दिया गया लेकिन यह योजना अभी दिल्ली दूर है। चुनाव के बाद कोडरमा की सांसद एवं गिरिडीह के सांसद ने इस योजना को जमीन पर उतारने के लिए पहल की है। दोनों ने लोकसभा में यह मामला उठाया है। रेल मंत्री, रेल राज्य मंत्री एवं रेलवे बोर्ड के चेयरमैन से भी दोनों अलग-अलग एवं संयुक्त रूप से मिलकर इसके लिए दबाव बनाया है। अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि प्राथमिकता के साथ कोडरमा एवं गिरिडीह की रेलयोजना को पूरा करने के लिए वे निरंतर दबाव बना रही हैं। वहीं गिरिडीह के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने बताया कि वे पारसनाथ को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन केंद्र बनाने की पहल करेंगे। इससे बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार मिलेगा। मधुबन में रेल सुविधा बहाल होने के बाद उद्योग का भी रास्ता खुलेगा। उद्योग खुले इसके लिए वे पहल करेंगे।
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प्रवासी मजदूरों की प्रतिक्रिया
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मुंबई से काफी फजीहत के बाद वापस घर लौटा हूं। अपने गांव या जिले में यदि रोजगार मिलता है तो मैं वापस लौटकर मुंबई नहीं जाऊंगा।
-अजय यादव, प्रवासी मजदूर। ---------------
-हमलोग शौक से शहरों में काम करने के लिए नहीं जाते हैं। अगर सरकार रोजगार का प्रबंध करेगी तो वापस महानगर नहीं जाएंगे।
-दिनेश यादव, प्रवासी मजदूर।
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-सरकार स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया करवाती है, तो हम लोग किसी शहर में रोजगार की तलाश में नहीं जाएंगे। यहीं रह कर काम करेंगे।
-टिकू यादव, प्रवासी मजदूर
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सरकार यदि यहां रोजगार का प्रबंध कर दे तो मैं वापस मुंबई मजदूरी करने नहीं जाऊंगा।
-अरविद महतो, प्रवासी मजदूर।
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