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    प्रत्येक युग में युग प्रवर्तक गुरूओं का अवतरण

    संवाद सहयोगी, गिरिडीह : सनातन धर्म में प्रत्येक युग में युग प्रवर्तक गुरूओं का अवतरण हुआ है। सतयुग म

    By Edited By: Updated: Fri, 22 Jul 2016 01:02 AM (IST)

    संवाद सहयोगी, गिरिडीह : सनातन धर्म में प्रत्येक युग में युग प्रवर्तक गुरूओं का अवतरण हुआ है। सतयुग में दक्षिणा मूर्ति भगवान शिव शंकर ने गुरु अवतार लिया। त्रेतायुग में दत्तात्रेय ने गुरू रूप में अवतार लिया। भगवान दत्तात्रेय में त्रिदेवों अर्थात ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का अंश है। द्वापर युग में वेद व्यास का गुरू स्वरूप अवतरण हुआ। वेद व्यास में साक्षात विष्णु का अंश है। कलियुग में आदि शंकराचार्य ने भगवान शिव के अंश स्वरूप गुरू अवतार लिया। यह बातें बरमसिया स्थित साई सेवा आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय गुरू पूर्णिमा महोत्सव के अंतिम दिन गुरूवार को शिरडी से पधारे अर¨वद जी महाराज ने गुरू की महिमा एवं भक्तिपथ पर चलने की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालते हुए कही। उन्होंने श्री साई के चरित्र और लीला के बारे में भी विस्तार से बताया। बरमसिया स्थित साई सेवा आश्रम में तीन दिवसीय गुरू पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया गया। यहां प्रति दिन काकड़ आरती, हवन एवं पूजा हुई। गुरुवार को पूजा आदि के बाद श्री साई बाबा को महाभोग अर्पित किया गया। देर शाम साई सेवा मित्र मंडल के सदस्यों के लिए एक लॉटरी निकाली। एक भाग्यशाली विजेता का चयन कर उसे साईं सेवा आश्रम की ओर से शिरडी एवं अन्य तीर्थ स्थल भ्रमण के लिए निश्शुल्क भेजा जाएगा। उस भाग्यशाली विजेता का दस दिनों तक रहने, खाने, किराया का खर्च आश्रम द्वारा वहन किया जाएगा। तीन दिवसीय महोत्सव आश्रम के संस्थापक गुरू चंद्रकिरण रेड्डी के संरक्षण में संपन्न हुआ। नीता सिन्हा, रीना लोहानी, रीता सहाय, रीता प्रसाद, मंजू दुबे, निशी देवी, सुषमा सिन्हा, चन्द्रा वर्मा, मृदुला सिन्हा, मीना देवी, संगीता सिन्हा, संगीता देवी आदि का सहयोग रहा।

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