प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग विश्व और पृथ्वी के लिए गंभीर खतरा है
ध्यानार्थ - प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग विश्व और पृथ्वी के लिए गंभीर खतरा है

प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग विश्व और पृथ्वी के लिए गंभीर खतरा है
-- 4-6 सप्ताह में विघटित होकर मिट्टी बन जाता है कागज से बना थैला
-- 800 साल लग जाता है एक प्लास्टिक थैला को विघटित होने में
-- 400 साल लग जाता है पानी में प्लास्टिक को नष्ट होने में
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जागरण संवाददाता, गढ़वा:
कुछ दशक पहले मानव ने अधिक खर्च कर किसी प्रकार नजदीक के पड़ोसी आकाशीय पिंड चन्द्रमा पर कदम रखा। लेकिन धूल मिट्टी से भरे उस स्थान में जीवन का एक अंश भी नहीं मिला। हमारी पृथ्वी पर शुद्ध हवा, पानी और अनेक प्राकृतिक संसाधन हमारे लिए निश्शुल्क उपलब्ध है। लेकिन आज अपने जीवन को सुविधायुक्त बनाने में अनेकानेक पर्यावरण के लिए प्रतिकूल वस्तुओं का भंडार प्रदूषण के रूप में खड़ा कर लिए हैं। ये प्रदूषक कारक वस्तुएं कुछ समय के लिए उपयोगी होते हैं, लेकिन उसके बाद ये कचरे के रूप में लम्बे समय तक हमारे वातावरण को भी दूषित करते हैं। जिसके परिणाम के रूप में शुद्ध हवा, पानी और रसायनयुक्त खाद्य पदार्थ हमें मिल रहा है। इससे हमारा जीवन कई प्रकार के गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होकर जीवन कष्टमय हो गया है। उक्त बातें विश्व पेपर दिवस पर जिला मुख्यालय गढ़वा से सटे उत्क्रमित उच्च विद्यालय सोह, के विज्ञान एवं गणित विषय के शिक्षक प्रवीण कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि इन प्रदूषक कारकों में सबसे अधिक मात्रा और लम्बे समय तक वातावरण को प्रभावित करने वाला कारक है “प्लास्टिक”। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग विश्व और पृथ्वी के लिए गंभीर खतरा है। इन प्लास्टिक से बने थैले, गिलास, चाप-कप जो केवल एक बार उपयोग में आते हैं और उसके बाद बेकार कचरे के रूप में फेंक दिया जाता है, पर्यावरण के दृष्टि से बहुत गंभीर संकट उत्पन्न कर रहे हैं। जबकि कागज से बना थैला मिट्टी में 4 से 6 सप्ताह में विघटित होकर मिट्टी बन जाता है। लेकिन एक प्लास्टिक का थैला को विघटित होने में 800 साल लग जाता है।
पानी में प्लास्टिक को नष्ट होने में 400 साल लग जाता है। यह जिस मिट्टी पर पड़ता है उसके अन्दर हवा और पानी का अभाव हो जाता है जिससे उसकी उर्वरा शक्ति कमजोर हो जाने से अन्न का उत्पादन कम हो जाता है। साथ ही उस मिट्टी के अन्दर जीवित सूक्ष्मजीव और कीड़े नष्ट हो जाते हैं। लोगों में जागरूकता के कमी के कारण प्लास्टिक के कचरे को खुली हवा में जलाया जाता है, जो हानिकारक व जहरीली गैसें बनाता है। इससे वायु प्रदूषण और भी भयावह हो रहा है। विश्व भर में इसके वैकल्पिक उपायों के रूप में कागज के थैला अपनाया जा रहा है। लोगों में जागरूकता लाने और प्लास्टिक की जगह पेपर बैग का चलन के उद्देश्य से प्रत्येक 12 जुलाई को विश्व पेपर बैग दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाए जाने के पीछे प्लास्टिक बैग के कचरे के होने वाले प्रदूषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। प्लास्टिक के स्थान पर पेपर बैग का उपयोग करना पृथ्वी के पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पेपर बैग 100 फीसद री-साइकिल किए जा सकते हैं और सबसे खास बात कि ये सिर्फ एक महीने में ही विघटित हो सकते हैं। प्लास्टिक बैग बनाने की तुलना में पेपर बैग बनाने में कम ऊर्जा खपत होती है।, पेपर बैग पालतू या अन्य जानवरों के लिए उतने नुकसानदायक नहीं है, जितने कि प्लास्टिक बैग हैं। पेपर बैग का उपयोग करने से पर्यावरण को अनेक लाभ होते हैं। सबसे पहला लाभ यह है कि पेपर बैग इको फ्रेंडली हैं, ये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। यह बायोडिग्रेडेबल होते है अर्थात आसानी से नष्ट हो जाते हैं और विषाक्त पदार्थों का उत्सर्जन नहीं करते हैं।
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