शिक्षित होकर अधिकार लें दलित : भंते करुणाकरण
गढ़वा : भारत एकता मिशन भीम आर्मी के तत्वावधान में गो¨वद उच्च विद्यालय के मैदान में रविवार को
गढ़वा : भारत एकता मिशन भीम आर्मी के तत्वावधान में गो¨वद उच्च विद्यालय के मैदान में रविवार को आरक्षण बचाओ महासम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उदघाटन मुख्य अतिथि सह बौद्ध महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंते करूणाकर ने दीप जलाकर किया। सम्मेलन में बड़ी संख्या में लोग शरीक हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार दलितों की सबसे बड़ी शोषक है। इनके कार्यकाल में दलितों का जितना शोषण हुआ है उतना 70 वर्षों में नहीं हुआ। इसलिए ऐसी सरकार को शासन करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि न जुर्म करों नहीं और जुर्म सहो। शिक्षा से ही समाज के लोग अपना अधिकार प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए सभी को शिक्षित होने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई छुआछूत व शोषण के खिलाफ है। इसके खिलाफ भारतीय कानून का सम्मान करते हुए संघर्ष करने की जरूरत है। कहा कि भीम आर्मी का किसी राजनीतिक संगठन से ताल्लुकात नहीं है और न ही आर्मी से जुड़े लोग चुनाव ही लड़ने वाले हैं। यह पूर्णत: एक सामाजिक संगठन है। कार्यक्रम संयोजक नान्हू राम ने कहा कि बाबा साहब ने हमें आरक्षण का लाभ दिया था। लेकिन कुछ लोग हमसे हमारा यह हक छीनना चाहते हैं। भाकपा माले नेत्री सुषमा मेहता ने कहा कि भीम आर्मी का समाज को एकता के सूत्र में बांधने का अच्छा प्रयास है। इसकी सराहना की जानी चाहिए। कार्यक्रम को ओपी चंद्रा, मुखराम भारती, वीरेंद्र राम, अनिल राम, विनोद राम आदि ने भी संबोधित किया। जबकि मौके पर मनीष कुमार राम, मुकेश कुमार रौशन, शंकर राम रवि, मोहन राम, डॉ. याकूब खान, शमसुद्दीन अंसारी, आजाद खान, एनुल खान, सुनीता कुंवर, सुनीता कुमारी, आरती समेत अनेक लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन युसुफ रजा व ओपी रजा ने संयुक्त रूप से किया।
- मंच से हुई बौद्ध धर्म अपनाने की अपील
भीम आर्मी के कार्यक्रम के दौरान मंच से कई नेताओं ने लोगों से बौद्ध धर्म को अपनाने की भी अपील की। हालांकि इस कार्यक्रम का उददेश्य आरक्षण का विरोध करना बताया गया तथा मगर संगठन से जुड़े लोगों ने ¨हदू धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म अपनाने का भी आहवान किया। नेताओं ने कहा कि दलितों का सम्मान ¨हदू धर्म में नहीं हो रहा है। इसलिए ऐसे धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म का अपनाना चाहिए।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।