वाहन चोर गिरोह के बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़, 5 कार के साथ 6 शातिर दबोचे गए; इन राज्यों में करते थे हाथ साफ
सालोंं से झारखंड और बिहार में चार पहिया वाहन चोरी करने वाले गिरोह के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया गया है। इस दौरान दुमका पुलिस ने चाेरी की पांच स्कॉर्पियो ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, दुमका। सालोंं से झारखंड और बिहार में चार पहिया वाहन चोरी करने वाले गिरोह के नेटवर्क को दुमका पुलिस ने ध्वस्त कर दिया है।
पुलिस ने चाेरी की पांच स्कॉर्पियो के साथ छह शातिर अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। सभी को रिमांड पर लेकर और जब्त वाहन के साथ गिरोह के अन्य सदस्यों तक पुलिस पहुंचने का प्रयास करेगी।
यहां के रहने वाले हैं सभी शातिर
गिरफ्तार शातिर कमल पाल मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मुखराली व नवीन कुमार सिंह असहना, सुबोध कुमार गिरिडीह के नगीना सिंह रोड, मो. रब्बान बिहार के समस्तीपुर जिले के हसनपुर थाना क्षेत्र के मुर्राहा, कमलेश सिंह यादव बक्सर के डुमरांव के सफाखाना रोड और सोनू कुमार सिंह छपरा जिले के सारण थाना क्षेत्र के भगवान बाजार का रहने वला है।
पुलिस ने इन शातिरों के पास से मास्टर चाबियों का गुच्छा, गाड़ी स्टार्ट करने का सॉफ्टवेयर, कटर, फर्जी नंबर प्लेट, ड्रील मशीन, चार मोबाइल, ई रिक्शा की बाड़ी व चार बैटरी बरामद की है।
पुलिस ने मामले में क्या कहा
शनिवार को पुलिस सभागार में एसपी पीतांबर सिंह खेरवार ने बताया कि आठ महीने से चार पहिया विशेषकर स्कार्पियो की चोरी हो रही थी। संगठित गिरोह की आशंका से छानबीन के लिए डीएसपी विजय कुमार और एसडीपीओ नूर मुस्तफा अंसारी के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया गया और लगातार छापेमारी की जा रही थी।
इसी क्रम में रामगढ़ में शक के आधार पर एक कार को जब्त किया गया। कार के अंदर से एक सॉफ्टवेयर मिला, जिसका अपराधी वाहन खोलने के लिए इस्तेमाल करते थे। यह एक अंतरराज्यीय गिरोह था जो झारखंड और बंगाल से वाहनों की चोरी कर उनका नंबर आदि मिटाकर बेच दिया करता था।
अभी सभी से पूरी पूछताछ नहीं हो सकी है। इसलिए, सभी को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी। इससे और चोरी हुए वाहन के साथ गिरोह में शामिल लोगों के बार में पता चल पाएगा।
अब तक सैंकड़ों वाहन उड़ाए
एसपी ने बताया कि गिरोह के सदस्य अब तक एक सौ से अधिक वाहन पर हाथ साफ कर चुके हैं। गिरोह के हर सदस्य का काम बंटा था। एक गाड़ी चुराता तो दूसरा नंबर मिटाकर दूसरा नंबर लिख देता था। बाकी सदस्य गाड़ी को बेचने के लिए लोगों को तैयार करते थे।
कंपनी की ली जाएगी मदद
एसपी ने बताया कि वाहन चोरी के बाद उनका चेचिस व इंजन नंबर मिटाकर नया लगा देते थे। इस कारण यह बता पाना संभव नहीं होगा, कि चोरी हुए वाहन का मालिक कौन है। असली मालिक की पहचान के लिए वाहन कंपनी की मदद ली जाएगी। गाड़ी मालिक की भी अपनी पहचान होगी।
मिनटों में उड़ा लेते थे गाड़ी
एसपी ने बताया कि गिरोह के सभी सदस्य इतने माहिर हैं कि मिनटों में वाहन पर हाथ साफ कर देते थे। उनके पास वाहन स्टार्ट करने से लेकर दरवाजा खोलने का हर औजार है। वाहन चोरी के बाद अगर किसी में जीपीएस होता था तो उसे निकालकर फेंक देते थे।

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