AI अब मन-मस्तिष्क को बनाएगा हरा-भरा, दुमका वन प्रमंडल का अनूठा 'टेक लीफ' कार्यक्रम
दुमका वन विभाग 5 और 6 दिसंबर को 'टेक लीफ' कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इसका उद्देश्य तकनीक के माध्यम से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाएगा, ताकि वे तकनीक के माध्यम से प्रकृति से जुड़ सकें। आयोजन में न्यूरो नेचर, एआइ फोटो बूथ जैसे विषयों पर संवाद होगा।

वन प्रमंडल दुमका की ओर से दो दिवसीय टेक लीफ कार्यक्रम पांच दिसंबर से।
जागरण संवाददाता, दुमका। वन विभाग की ओर से वनों के संरक्षण और इसे हरा-भरा बनाए रखने के लिए पांच और छह दिसंबर को टेक लीफ नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। दुमका के आउटडोर स्टेडियम के निकट स्थित झार मधु केंद्र परिसर में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निबंधन की प्रक्रिया को काफी सहज रखा गया है।
इसके लिए 8002109227 नंबर पर किसी भी आयु वर्ग के इच्छुक लोग मिस्ड काल देकर निबंधन करा सकते हैं। खास बात यह कि इस कार्यक्रम के जरिए सीधे धरातल पर हरियाली लाने व वनों को बचाने के बजाए मनुष्यों को दिमागी तौर पर हरा-भरा बनाने की पहल की जाएगी। मतलब यह की तकनीक के जरिए पहले मनुष्यों के मन-मस्तिष्क को पर्यावरण फ्रेंडली बनाया जाएगा और तब इनके जरिए वनों के संरक्षण और इसकी हरियाली को बरकरार रखने की पहल की जाएगी।
इसके लिए एआइ तकनीक और डिजिटल माध्यमों का सहारा लिया जाएगा। वन विभाग की ओर से इस दो दिवसीय आयोजन में खास तौर पर स्कूल व कालेजों के छात्र-छात्राओं को आमंत्रित किया जाएगा। इसके पीछे मंशा यह कि छात्र व युवा को तकनीक से जोड़ कर प्रकृति से जोड़ा जाए और इसके प्रति इन्हें संवेदनशील बनाया जाए।
यह है दो दिवसीय आयोजन का ब्लू प्रिंट
दुमका वन प्रमंडल की ओर से पहली बार आयोजित होने वाली दो दिवसीय टेक लीफ आयोजन के दौरान न्यूरो नेचर, द साउंड आफ नेचर, डिजिटल फ्लिप बुक, एआइ फोटो बूथ और रन टू हिल द प्लानेट जैसे मुद्दों पर आपसी संवाद स्थापित करने की पहल होगी।
आयोजन की विशिष्टता यह कि तकनीकी व प्रकृति एक ऐसा अनुभव प्रदान करेगा जो बिल्कुल आधुनिक युग का होगा। डिजिटल फ्लिप के अनुभव के जरिए प्रकृति की कहानियां हाथों के एक इशारे से महसूस कराया जाएगा।
न्यूरो नेचर के जादू को महसूस कराने के लिए शांत मन को आभासी वास्तविकता से भरे जंगल को खिलाने का एहसास कराएगा। आवाज से जंगल को जीवित करने का अनुभव कराएगा। एआइ फोटो बूथ जो सेकंड में सिनेमा की तरह प्राकृतिक थीम जेनरेट कराने का अनुभव कराएगा।
ऐसे हो रहा तकनीक के जरिए प्रकृति से जुड़ाव
- निगरानी और डेटा संग्रह के लिए रिमोट सेंसिंग
- इंटरनेट आफ थिंग्स सेंसर के जरिए महत्वपूर्ण पर्यावरणीय डाटा संग्रह
- वन्यजीव ट्रैकिंग के लिए जीपीएस टैग और कैमरा ट्रैप का इस्तेमाल
- स्मार्ट कृषि प्रबंधन
- नवीकरणीय ऊर्जा के जरिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन पर अंकुश
- अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एआइ और रोबोटिक्स का इस्तेमाल
- संरक्षण और बहाली के प्रयास की दिशा में आनुवंशिक और डीएनए विश्लेषण
- प्रदूषण निवारण के लिए तकनीकी नवाचार
- क्लाउड कंप्यूटिंग और एआइ के जरिए जटिल पारिस्थितिक पैटर्न को समझने की पहल
तकनीक ने प्रकृति की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण आयाम खोले हैं। यह हमें पर्यावरण की निगरानी करने, संसाधनों को अधिक कुशलता से प्रबंधन करने और स्थायी समाधान विकसित करने में मदद करती है। इसी को ध्यान में रखकर दुमका में पहली बार तकनीक आधारित दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है ताकि प्रकृति के साथ भविष्य
की सोच को जोड़ा जा सके।
-सात्विक व्यास, डीएफओ, वन प्रमंडल, दुमका

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