मिट्टी में गड़बड़ी काफसल की उपज पर पड़ता असर
कृषि विज्ञान केंद्र दुमका में शनिवार को विश्व मृदा स्वास्थ्य दिवस समारोह का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य अतिथि क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉ.टीवी साह ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को मिट्टी एवं उसके स्वास्थ्य संवर्धन के लिए जागरूक करना है।
जागरण संवाददाता, दुमका : कृषि विज्ञान केंद्र दुमका में शनिवार को विश्व मृदा स्वास्थ्य दिवस समारोह का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य अतिथि क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉ.टीवी साह ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को मिट्टी एवं उसके स्वास्थ्य संवर्धन के लिए जागरूक करना है। अगर मिट्टी में किसी प्रकार की गड़बड़ी रहती है तो इसका सीधा कुप्रभाव फसल की उपज पर पड़ता है। डॉ.पीवी साहनी ने कहा कि मिट्टी को खेती योग्य बनाने में हजारों साल लग जाते हैं। हमारी अज्ञानता के कारण आज मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर हो रही है। रसायनिक खाद के प्रयोग के कारण मृदा की संरचना व बनावट एवं इससे कटाव हो रही है। जैविक एवं कार्बनिक खाद का उपयोग करना चाहिए। खेतों में चूना और डोलोमाइट का प्रयोग भी जरूरी है। केवीके के कृषि विज्ञानी डॉ संजय कुमार ने कहा कि स्थायी कृषि उपज के लिए मृदा का स्वास्थ्य प्रबंधन एवं उनसे उपस्थित जैविक विविधता को यथासंभव बनाए रखने की विशेष आवश्यकता है। किसान अपने खेतों की मिट्टी जांच कराकर ही उसमें अनुशंसित मात्रा में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करें। इससे मिट्टी की संरचना एवं बनावट में विकार पैदा नहीं होगा। डॉ.एके साह ने सब्जी एवं अन्य उद्यान फसल के लिए उचित मात्रा में कार्बनिक एवं जैविक खाद का प्रयोग करने की सलाह दी। जबकि बंजर जमीन पर आम, अमरूद, सागवान पौधे को लगाने की सलाह दी। धन्यवाद ज्ञापन ओमप्रकाश मिश्र ने किया। कार्यक्रम में गमरा, आदिपुर आसनबनी, तेलियाचक, तेलियापहाड़ी, नवासार, बलमा, हथियापाथर, सुंदर फलन, नावाडीह, जूनापारा के किसानों ने हिस्सा लिया।