बासुकीनाथ में दिन में 11 बजे से होगा रुद्राभिषेक
बासुकीनाथ मंदिर परिसर स्थित प्रशासनिक सभागार में मंगलवार शाम बासुकीनाथधाम पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष मनोज पंडा की अध्यक्षता में अहम बैठक हुई।
बासुकीनाथ मंदिर परिसर स्थित प्रशासनिक सभागार में मंगलवार शाम बासुकीनाथधाम पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष मनोज पंडा की अध्यक्षता में सभा के पदाधिकारियों व सदस्यों की बैठक हुई। इसमें पूजन व्यवस्था, रुद्राभिषेक पूजन व्यवस्था, रात्रि श्रृंगार पूजन व्यवस्था को लेकर विस्तार पूर्वक चर्चा के बाद निर्णय लिया गया कि श्रद्धालुओं को सभा के जरिए अधिक से अधिक सुविधा उपलब्ध कराई जाए। ताकि आने वाले वे अच्छा संदेश लेकर घर लौटे। कोविड-19 संक्रमण से बचाव को लेकर अन्य कई बिदुओं पर भी चर्चा हुई एवं निर्णय लिया गया कि बासुकीनाथ के दरबार में देश-विदेश से श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ आते हैं। आने वाले श्रद्धालु यहां की पूजन व्यवस्था, स्थानीय पंडा-पुरोहितों के व्यवहार, मंदिर गार्ड, मंदिर में तैनात पुलिसकर्मियों के व्यवहार एवं इस क्षेत्र के पूजन व्यवस्था को लेकर एक सकारात्मक प्रयास किया जाए। मनोज पंडा ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 संक्रमण की काली छाया अभी भी कहीं-कहीं देखने और सुनने को मिल रही है। इसके लिए हमें सतर्कता व सावधानी बरतने की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने पूजन व्यवस्था को लेकर आवश्यक सुझाव दिया जिस पर सभी ने सहमति जताई। सभा के महामंत्री संजय झा ने मंदिर में प्रात: कालीन पूजा, सरकारी पूजा से लेकर दोपहर की विश्राम पूजा, रात्रिकालीन श्रृंगार पूजा, रुद्राभिषेक पूजन एवं श्रृंगार पूजन की समय सारणी, गर्भगृह में पंडा-पुरोहित व यजमानों की संख्या को लेकर आवश्यक सुझाव दिए। जिस पर सर्वसम्मति बनाई गई। इस बैठक में मुख्य रूप से सभा के दयानंद झा, जितेंद्र झा, कुंदन झा, सारंग बाबा, कुंदन पत्रलेख, दामोदर पंडा, नरेश पंडा, वैदिक राजू झा, विश्वंभर पत्रलेख, मुन्ना पंडा, पप्पू पत्रलेख व अन्य मौजूद थे।
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. बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय
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. 24 नवंबर से गर्भगृह में रुद्राभिषेक प्रारंभ होगा
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. रुद्राभिषेक प्रत्येक दिन पूर्णिमा एवं अन्य भीड़भाड़ के दिनों को छोड़कर दिन में 11 बजे से रुद्राभिषेक प्रारंभ होगा
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-गर्भ गृह में रुद्राभिषेक के लिए एक बार में दो यजमान एवं दो पंडित ही प्रवेश करेंगे
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-पहले रुद्राभिषेक करने वाले गर्भगृह से बाहर निकल जाएंगे। तभी दूसरी श्रद्धालु और पुरोहित रुद्राभिषेक के लिए गर्भगृह में प्रवेश करेंगे
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-रुद्राभिषेक पूजन यजमान खड़े होकर एवं गोलक की दिशा से ही संपन्न करेंगे
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-संध्या 5.30 बजे मंदिर खुलने से लेकर संध्या सात तक अन्य श्रद्धालु पूजन व दर्शन संपन्न करेंगे
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-शाम सात बजे के बाद से मंदिर के बाहर गेट को बंद कर दिया जाएगा
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-संध्या सात बजे के बाद से रात्रि श्रृंगार पूजन प्रारंभ किया जाएगा
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. रात्रि श्रृंगार के लिए प्रत्येक पंडा व पुरोहित आपसी समन्वय बनाकर बारी-बारी से पूजन संपन्न कराएंगे
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-सोमवारी, पूर्णिमा एवं विशेष तिथियों में विधि व्यवस्था में आवश्यक बदलाव किया जा सकता है
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-स्थानीय नागरिक एवं पंडा समाज अपने श्रृंगार पूजन पुरानी विधि व्यवस्था के तहत संपन्न कराने के लिए स्वतंत्र हैं
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-सभा द्वारा पूजन व्यवस्था के लिए जारी नियम निर्धारण का पालन करना सभी के लिए अनिवार्य होगा
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-सर्वसम्मति से पारित विधि व्यवस्था नियमों के विरुद्ध आचरण करने वाले पंडा-पुरोहित व पंडित नियम का उल्लंघन करने पर सभा के द्वारा दंडात्मक कार्रवाई के भागी होंगे। ------
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