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    देशी गाय संस्कृति का है आधार : फणीभूषण

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 11 Apr 2021 05:00 PM (IST)

    संवाद सहयोगी बासुकीनाथ विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर से करीब सात किलोमीटर दूर पतसरा ...और पढ़ें

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    देशी गाय संस्कृति का है आधार : फणीभूषण

    संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ: विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर से करीब सात किलोमीटर दूर पतसरा गांव में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा का रविवार को कलश विसर्जन सह शोभा यात्रा के साथ समापन हो गया। 251 सुहागिन महिला व कुंवारी कन्याओं ने यज्ञ मंडप में रखे कलश को लेकर नगर भ्रमण किया और बाराटांड़ के यमुनाबांध में विसर्जित किया। राधे-राधे की गूंज से आसपास के कई गांव का वातावरण गुंजायमान हो गया। उमस भरी गर्मी के बावजूद भी भक्तों का उत्साह और भक्ति का मनोरम वातावरण देखते ही बन रहा था। कथा समापन सह कलश विसर्जन शोभा यात्रा में कथा व्यास फणीभूषण पाठक ने भक्तों को धर्मार्थ कार्य करने, दीन दुखियों की मदद करने, माता-पिता, गुरुजन व वृद्धों का सम्मान करने की सीख दी। उन्होंने इस भागवत कथा को जीवन में प्रतिपादित करने की सलाह देते हुए परोपकार करने की सीख दी। कथा व्यास ने उपस्थित श्रद्धालुओं को गौ माता की पूजा कराते हुए गौमाता की महिमा बताई। बताया की हर व्यक्ति को एक गाय का पालन पोषण अवश्य करना चाहिए। गौ माता का अर्थ देशी गाय से है। आज कल जो विदेशी नस्ल की गाय हमारे देश में आई है वे बिना गुणवत्ता के दूध देती है। देशी गाय संस्कृति का आधार है और इनके अंग अंग में भगवान है। कथा के इस आयोजन में भागवत कथा आयोजक समिति के सदस्य सहित आसपास के कई गांव के ग्रामीणों ने तन-मन-धन से सराहनीय भूमिका निभाई।

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