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    एलपीजी टैंकर हादसाः रिम्स के डॉक्टरों की टीम पहुंची दुमका, हादसे में जख्‍मी किशोरी समेत चार रांची रेफर

    By Jagran NewsEdited By: Deepak Kumar Pandey
    Updated: Sun, 30 Oct 2022 01:35 PM (IST)

    दुमका जिले के हंसडीहा थाना क्षेत्र में 27 अक्टूबर की सुबह एलपीजी गैस सिलेंडर से भरे टैंकर में विस्फोट के बाद लगी आग में झुलसे 17 लोगों को शनिवार की रात मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया। रविवार को रिम्स से तीन डॉक्टरों की टीम दुमका पहुंची।

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    टीम ने बताया कि सभी मरीजों की हालत अब बेहतर है।

    जागरण संवाददाता, दुमकाः दुमका जिले के हंसडीहा थाना क्षेत्र में 27 अक्टूबर की सुबह एलपीजी गैस सिलेंडर से भरे टैंकर में विस्फोट के बाद लगी आग में झुलसे 17 लोगों को शनिवार की रात मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया। रविवार को रांची स्थित रिम्स से तीन सदस्यीय डॉक्टरों की टीम दुमका पहुंची और सभी घायलों की स्थिति देखी। टीम ने एक किशोरी समेत चार लोगों को बेहतर इलाज के लिए रांची स्थित रिम्स रेफर करने का निर्देश दिया।

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    गौरतलब है कि 27 अक्टूबर को दुमका-भागलपुर पथ पर हंसडीहा के धावाटांड़ के समीप गैस टैंकर में हुए विस्फोट के बाद भयानक आग लग गई थी। धमाके के बाद आग करीब एक किलोमीटर दूर तक फैलती चली गई। इसकी चपेट में आने से तीन दर्जन लोग झुलस गए थे। तीन लोगों का पहले से ही मेडिकल काॅलेज स्थित अस्पताल में इलाज चल रहा था। शनिवार की रात 17 और मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि सभी खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं। रविवार की सुबह रांची रिम्स के डॉक्टर कुमार गौरव, विक्रांत रंजन और वरुण कुमार हेलीकॉप्टर से दुमका पहुंचे और मेडिकल कॉलेज में भर्ती सभी मरीजों का हाल जाना। टीम ने यह भी देखा कि कितने मरीज गंभीर हैं और उनका क्या इलाज चल रहा है।

    चार से 25 फीसद तक जले हैं मरीज

    डॉक्टर से सलाह लेने के बाद टीम ने जूली कुमारी, भुमेश्वर राणा, संजय यादव और चुंडा हेंब्रम को बेहतर इलाज के लिए रिम्स भेजने का निर्देश दिया। डाॅक्टर कुमार गौरव ने बताया कि सभी मरीज चार से 20 फीसद के बीच जले हैं। चार मरीज ऐसे हैं, जो 25 फीसद तक जले हैं। इन सभी को बेहतर इलाज के लिए रिम्स ले जाने की आवश्यकता है। चारों की हालत में बेहतर सुधार है और सही इलाज भी चल रहा है। रिम्स में उनका और भी अच्छा इलाज हो सकता है। बताया कि दस मरीज ऐसे हैं, जिनको अस्पताल प्रबंधन किसी भी समय छुट्टी दे सकता है। छह मरीजों को दो-तीन दिन रखने के बाद घर भेजा जा सकता है।