प्रभु नारायण ने ब्रह्मा जी को सुनाया था भागवत कथा
बासुकीनाथ जरमुंडी नीचे बाजार में चल रहे श्रीमदभागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के दूसरे दिन गुरुवार को कथावाचक संजयानंद महाराज ने उपस्थित भक्तों को भागवत कथा का रसपान कराते हुए कहा कि भागवत कथा समस्त वेद वेदांगों का सार है। यह वेद रूपी कल्पवृक्ष का पके हुए मधुर फल के समान है। सभी वेद उपनिषद पुराण धर्म शास्त्रों का निचोड़ इसमें निहित है। भागवत कथा के मर्म को समझने के बाद कुछ भी समझना शेष नहीं रह जाता है।
फोटो 01,02 संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ: जरमुंडी नीचे बाजार में चल रहे श्रीमदभागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के दूसरे दिन गुरुवार को कथावाचक संजयानंद महाराज ने उपस्थित भक्तों को भागवत कथा का रसपान कराते हुए कहा कि भागवत कथा समस्त वेद वेदांगों का सार है। यह वेद रूपी कल्पवृक्ष का पके हुए मधुर फल के समान है। सभी वेद, उपनिषद, पुराण, धर्म शास्त्रों का निचोड़ इसमें निहित है। भागवत कथा के मर्म को समझने के बाद कुछ भी समझना शेष नहीं रह जाता है। श्रीमदभागवत कथा का प्रादुर्भाव चतुश्लोकी भागवत के रूप में भगवान श्रीमन नारायण से हुआ। यह ज्ञान नारायण द्वारा ब्रह्मा जी को प्राप्त हुआ। ब्रह्मा जी के द्वारा नारद जी को एवं नारद जी के द्वारा व्यास जी को। व्यास जी के द्वारा चतुश्लोकी भागवत को 18 हजार श्लोकों में व्याख्या करके इस दिव्य ज्ञान को सुकदेव जी को प्रदान किया गया। सुकदेव जी ने इसे राजा परीक्षित को सुनाया। इसी माध्यम से आम लोगों तक ये पहुंचा। कलयुग में यह कथा मुक्ति प्रदायिनी है। उन्होंने अवतार प्रसंग के अलावा सुकदेव जी का जन्म, कौरव पांडवों के बीच युद्ध की तैयारी, व्यास नारद संवाद, कपिल देव मुनि संवाद, परीक्षित संवाद, भीष्म स्तुति, कुंती स्तुती, सहित अन्य प्रसंगों पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए कहा कि भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही मन के सभी विकार दूर हो जाते हैं। समर्पण भाव में ही प्रभु मिलते हैं। भगवान के सभी 24 अवतारों की विस्तारपूर्वक व्याख्या करते हुए भागवत कथा के संदेशों को आत्मसात करने की बात कही। आयोजक समिति के सदस्य सनातन सेन ने कहा कि यह कार्यक्रम 11 फरवरी तक शाम छ: बजे से रात नौ बजे तक आयोजित होगा।
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