Jharkhand: बरहेट से संकल्प यात्रा की शुरुआत करेंगे बाबूलाल, JMM के अभेद्य किले में सेंधमारी की कोशिश में BJP
झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी 17 अगस्त से बरहेट विधानसभा क्षेत्र के भोगनाडीह से संकल्प यात्रा की शुरुआत करेंगे। भोगनाडीह संताल हूल के महानायक सिदो-कान्हु चांद-भैरव और फूलो-झानो की जन्मस्थली है। बरहेट राज्य के मुख्यमंत्री विधानसभा क्षेत्र हैं। ऐसे में भाजपा के लिए हेमंत सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकने के लिए इससे बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती थी।

राजीव, दुमका: झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी 17 अगस्त से बरहेट विधानसभा क्षेत्र के भोगनाडीह से संकल्प यात्रा की शुरुआत करेंगे।
भोगनाडीह संथाल हूल के महानायक सिदो-कान्हु, चांद-भैरव और फूलो-झानो की जन्मस्थली है। बरहेट राज्य के मुख्यमंत्री विधानसभा क्षेत्र भी है। ऐसे में भाजपा के लिए हेमंत सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकने के लिए इससे बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती थी।
प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र से 17 अगस्त से संकल्प यात्रा शुरू कर रही है, जो चरणबद्ध तरीके से 10 अक्टूबर तक पूरे राज्य में चलेगी।
बरहेट से संकल्प यात्रा शुरू करने के राजनीतिक निहतार्थ
भाजपा के रणनीतिकारों की मानें तो, बरहेट विधानसभा से संकल्प यात्रा की शुरूआत के पीछे कई राजनीतिक निहतार्थ हैं। संथाल परगना की अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटों पर भाजपा इस बार न सिर्फ लोकसभा चुनाव में बल्कि, विधानसभा चुनावों में भी झामुमो को हरहाल में हराना चाहती है।
लोकसभा चुनावों में राजमहल में पीएम मोदी की लगातार दो रैलियों के बाद भी भाजपा इस सीट को नहीं जीत पाई थी। इसकी टीस भी भाजपा के रणनीतिकारों के लिए नासूर बन चुका है। यही वजह है कि इस बार शीर्ष नेतृत्व ने आदिवासी चेहरा बाबूलाल मरांडी पर भरोसा जताया है।
संथाल परगना के जमीनी नेता को बागडोर
संथाल परगना से राजनीतिक जमीन मजबूत कर झारखंड की सत्ता में आदिवासी चेहरा के तौर पर पहचान कायम करने वाले बाबूलाल मरांडी को संगठन का बागडोर सौंपी है।
बाबूलाल के समक्ष संगठन को एकसूत्र में पिरोने के साथ वर्तमान में झारखंड के राजग की 12 सीटों को बरकरार रखने के साथ शेष दो सीटों पर भी जीत हासिल करने की बड़ी चुनौती है।
इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखकर भाजपा के रणनीतिकार भी इस बार संथाल परगना पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
क्या है संथाल परगना का सियासी गणित
संथाल परगना के तीन लोकसभा सीटों में से दो दुमका और गोड्डा अभी भाजपा की झोली में हैं। हालांकि भाजपा के रणनीतिकार भी यह मानते हैं कि यहां के शेष दो अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटों दुमका और राजमहल पर झामुमो और कांग्रेस का कब्जा लगातार बरकरार रहा है।
पिछले चुनाव में दुमका से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को हराकर भाजपा के सुनील सोरेन संसद पहुंचे। हालांकि, 2024 में भाजपा के लिए दुमका सीट को बचाए रखने की चुनौती हमेशा की तरह बरकरार रहेगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
राजमहल भाजपा की प्राथमिकता
इधर, अनुसूचित जनजाति आरक्षित राजमहल सीट झामुमो के कब्जे में है। राजमहल सीट को भी भाजपा ने 2024 के चुनाव में शीर्ष प्राथमिकता पर रखा है।
इसे लेकर माइक्रो लेबल की तैयारियां भी हो रही है। 2024 के चुनाव के लिए अभी से बदल रहे राजनीतिक परिस्थितियों पर भी सभी राजनीतिक दलों की निगाह पैनी है।
संथाल परगना झामुमो का अभेद्य दुर्ग
संथाल परगना के 18 विधानसभा सीटों में सात अनुसूचित जनजाति और एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 10 सीट सामान्य है।
इसमें विधानसभा की सभी सात सीटें झामुमो के कब्जे में है, जबकि दो सीट सामान्य को जोड़ दें, तो 18 में से नौ सीट झामुमो के पास है। यानी, संथाल परगना में 50 प्रतिशत सीटों पर झामुमो के विधायक हैं।
यही कारण भी है कि संथाल परगना को झामुमो का अभेद्य दुर्ग माना जाता है। कांग्रेस के पास अभी पांच सामान्य सीटें है और वह दूसरे पायदान पर है। जबकि तीसरे नंबर पर तीन सामान्य व एक अनुसूचित जाति आरक्षित सीट के साथ भाजपा के चार विधायक हैं।
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