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    हजारों कफ सिरप गायब, कमरे पर 'सिस्टम' का ताला: दुमका में पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर सवाल

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 04:30 PM (IST)

    दुमका में प्रतिबंधित कफ सिरप के अवैध कारोबार पर प्रशासन की सुस्ती सवालों के घेरे में है। पुलिस लाइन के पास एक कमरे में हजारों सिरप छिपे होने की सूचना ...और पढ़ें

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    विभागों द्वारा जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का आरोप।

    स्मार्ट व्यू- पूरी खबर, कम शब्दों में

    अनूप श्रीवास्तव, दुमका। अधिकारियों की टालमटोल और नशे का संदिग्ध कारोबार दुमका जिले में प्रतिबंधित कफ सिरप के अवैध कारोबार को लेकर प्रशासन की गंभीरता पर गंभीर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।

    पुलिस लाइन से महज कुछ ही दूरी पर एक किराए के मकान में हजारों की संख्या में कफ सिरप छिपे होने की सूचना 16 दिसंबर को ही मिल गई थी, लेकिन विडंबना देखिए कि तीन दिन बीत जाने के बाद भी उस कमरे का ताला खोलने की जहमत किसी अधिकारी ने नहीं उठाई।

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    सिविल सर्जन की सूचना पर औषधि निरीक्षक जांच के लिए पहुंचे तो जरूर, लेकिन मकान में ताला लटका देखकर और पुलिस व अंचलाधिकारी का साथ न मिलने के कारण उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। अब आलम यह है कि हर विभाग अपनी जिम्मेदारी दूसरे पर डालकर पल्ला झाड़ रहा है, जबकि नशे के सौदागरों को माल ठिकाने लगाने का पूरा मौका मिल गया है।

    सिपाही के मकान में रेजाउल का संदिग्ध ठिकाना

    जांच के दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि जिस मकान में नशीली दवाओं का जखीरा होने की आशंका है, वह किसी पुलिसकर्मी का ही है। इस मकान को रेजाउल अंसारी नामक व्यक्ति ने पिछले पांच महीनों से ढाई हजार रुपये महीने पर किराए पर ले रखा था। मकान मालिक को अपने किराएदार के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है और उनकी बातचीत केवल मोबाइल फोन तक ही सीमित रहती थी।

    जब ड्रग इंस्पेक्टर ने मौके पर पहुंचकर सीओ और मुफस्सिल थाने को इसकी जानकारी दी, तो अधिकारियों ने जाम हटाने या अन्य व्यस्तताओं का हवाला देकर आने से मना कर दिया। फोन रिसीव करना भी बंद कर दिया गया, जिससे जांच प्रक्रिया पहले ही दिन ठप हो गई।

    पुलिस की दलील और औषधि निरीक्षक के अपने तर्क

    हैरानी की बात यह है कि दुमका पुलिस पहले भी कई बार बिना किसी औषधि निरीक्षक के छापेमारी कर प्रतिबंधित सिरप जब्त कर चुकी है, लेकिन इस विशेष मामले में पुलिस अचानक नियमों की दुहाई देने लगी है। थाना प्रभारी का तर्क है कि बिना ड्रग इंस्पेक्टर और सीओ के कमरे का ताला तोड़ना कानूनी पचड़े में डाल सकता है।

    वहीं दूसरी ओर औषधि निरीक्षक का कहना है कि उन्होंने पुलिस और प्रशासन को समय पर सूचित किया था, लेकिन कोई मौके पर नहीं पहुंचा। कई जिलों का प्रभार होने के कारण वे खुद भी शहर से बाहर थे। अब शनिवार को निरीक्षक के आने के बाद ही ताला खुलने की उम्मीद जताई जा रही है।

    देरी ने पैदा किए कई गंभीर सवाल

    प्रशासन की इस ढुलमुल कार्यशैली ने जनता के मन में कई शंकाएं पैदा कर दी हैं। 16 तारीख को मामला सार्वजनिक होने के बाद भी किसी ने उस कमरे को सील करने या वहां अपनी सुरक्षा तैनात करने की जरूरत नहीं समझी।

    अपराधी को तीन दिन का लंबा समय मिल गया है, जिसमें वह आसानी से सारा माल गायब कर सकता था। ऐसे में शनिवार को जब ताला खुलेगा, तो वहां कफ सिरप का जखीरा मिलेगा या सिर्फ खाली दीवारें, यह बड़ा सवाल बना हुआ है। नशे के खिलाफ जारी अभियान में अधिकारियों की यह सुस्ती कहीं नशीली दवाओं के नेटवर्क को संरक्षण देने जैसी तो नहीं, इसकी चर्चा अब जोरों पर है।

    निरीक्षक से सूचना मिली थी कि किसी काम में व्यस्त होने की वजह से नहीं पहुंच सके। निरीक्षक से बात हुई है। शनिवार को उनके आने के बाद ही कमरे का ताला खोला जाएगा।
    -अमर कुमार, सीओ, सदर दुमका


    स्थल पर जाकर सीओ व पुलिस को सूचित किया था। किसी के नहीं पहुंचने पर लौटना पड़ा। पुलिस चाहती तो कमरा खुलवाकर जांच कर सकती थी। कई जिला के प्रभार में होने की वजह से दुमका नहीं आ सका। शनिवार को आने के बाद कमरा खुलवाकर जांच की जाएगी।
    -राजेश कुमार सिंह, औषधि निरीक्षक, दुमका