dumaka mein dogs ka aantak दुमका में महज तीन महीने में 325 लोगों को काटा
कुत्तों के आंतक से दुमका सहित आसपास के इलाके में रहनेवाले लोगों को घर से निकलना दूभर हो गया है। नगर परिषद के पास न तो इनके नसबंदी और ना ही पकड़ने की क ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, दुमका : दुमका शहर ही नहीं ग्रामीण इलाकों में भी आवारा कुत्तों का आतंक है। दुमका शहर की मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों तक कुत्तों के झुंड इधर से उधर भागते हुए दिखाई पड़ते हैं। कुत्ते काटने के मामले भी रोज सामने आ रहे हैं। अलबत्ता नगर परिषद के स्तर से कुत्तों को पकड़ने और इस समस्या से निजात दिलाने के कोई प्रबंध नहीं हैं। इससे लोग परेशान हैं। शहर का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां आवारा कुत्ते परेशानी का सबब नहीं बन रहे हैं। इनके आतंक की वजह से लोग अकेले घर से बाहर निकलने में भयभीत रहते हैं। रात में तो एक तरह से सड़कों पर कुत्तों का राज हो जाता है। कभी बाइक सवार के पीछे दौड़ पड़ते हैं तो कभी राह चलते लोगों को भी काटने के लिए दौड़ते हैं। कुछ कुत्तों का शिकार बनते हैं तो कुछ इनसे बचने के चक्कर में भी घायल हो जाते हैं। आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन नगर परिषद के पास न तो इन्हें पकड़ने का कोई इंतजाम है और न ही नसबंदी कराने का। एक अनुमान के मुताबिक दुमका शहर के विभिन्न इलाकों में 800 से 1000 आवारा कुत्ते झुंड बनाकर निकलते हैं।
रात में पैदल चलना दूभर
कुत्तों के आतंक से रात में पैदल चलना मुश्किल है। रिजवान आलम एक व्यवसायी हैं। रात में अक्सर देर से घर लौटते हैं । कहते हैं दुमका टीन बाजार से शिवसुंदरी रोड तक जाने में काफी डर लगता है। जगह-जगह पर कुत्ते झुंड बनाकर लपकने को दौड़ते हैं। काफी डर लगता है। विक्रम पांडेय रोजाना सुबह टहलने निकलते हैं। कहते हैं कि बस स्टैंड, पोस्ट आफिस चौक समेत सदर अस्पताल रोड से अकेले गुजरना आसान नहीं है। कुत्ते पागलों की तरह इधर से उधर भागते हैं जिसे देखकर डर लगता है। इधर कुत्तों की नसबंदी या इन्हें पकड़ कर किसी ठिकाने में कैद करने की जानकारी हासिल करने की कोशिश विफल रही। दुमका नगर परिषद के सीटी मैनेजर 9709022483 पर लगातार रिंग होने के बाद उन्होंने काल रिसिव करना मुनासिब नहीं समझा।
दो महीने में कुत्तों के काटने का 300 से अधिक मामले
दुमका जिले में अगस्त-सितंबर माह से लेकर अक्टूबर में अबतक कुत्तों से काटने के तकरीबन 325 से अधिक मामले आए हैं। जिन्हें फूलोझानो मेडिकल कालेज एवं अस्पताल से लेकर विभिन्न सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी रैबीज वैक्सीन लेना पड़ा है। दुमका के सिविल सर्जन डा.बच्चा प्रसाद सिंह कहते हैं कि एंटी रैबिज वैक्सीन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। दुमका समेत तमाम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी रैबिज वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। जानकारी के मुताबिक कई बार मरीज निजी क्लिनिक व अस्पताल में भी जाकर वैक्सीन को डोज लेते हैं।
कुत्ता काटने पर रखें इसका ध्यान
1.कुत्ता काटने पर जख्म को पहले चलते हुए पानी में अच्छी तरह से धो लें।
2.साबुन से जख्म को रगड़ कर साफ पानी में धोएं।
3.जख्म पर पट्टी न करें, उसे खुला रखें
4.पट्टी करने पर रैबिज के विषाणु अंदर ही अंदर फैलने का खतरा बन जाता है।
5.चिकित्सकों के अनुसार 10 दिन के भीतर एंटी रैबिज की पहली वैक्सीन लग जानी चाहिए।
6.दूसरी वैक्सीन तीन दिन बाद और तीसरी वैक्सीन सात दिन बाद लगनी चाहिए।

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