Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बासुकीनाथ मंदिर में खंडित प्रतिमाओं को बदलने का फैसला

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 14 Nov 2019 06:54 PM (IST)

    बासुकीनाथ विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर परिसर स्थित खंडित प्रतिमाओं को बदलने को लेकर बासुकीनाथ के पंडा-पुरोहितों एवं बासुकीनाथ मंदिर प्रभारी सह ...और पढ़ें

    Hero Image
    बासुकीनाथ मंदिर में खंडित प्रतिमाओं को बदलने का फैसला

    बासुकीनाथ : विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर परिसर स्थित खंडित प्रतिमाओं को बदलने को लेकर बासुकीनाथ के पंडा-पुरोहितों एवं बासुकीनाथ मंदिर प्रभारी सह जरमुंडी प्रखंड विकास पदाधिकारी कुंदन भगत की उपस्थिति में बाबा बासुकीनाथ से फुलाइस के माध्यम से अनुमति ली गई। भोलेनाथ की अनुमति मिलने के बाद अब बाबा बासुकीनाथ मंदिर स्थित खंडित प्रतिमाओं को बदला जाएगा। गुरुवार को मंदिर के पुजारी दिनेश झा, मंदिर प्रभारी कुंदन कुमार भगत की उपस्थिति में प्राचीन काल से चली आ रही मान्यताओं के अनुसार बाबा बासुकीनाथ से फुलाइस के माध्यम से इसकी अनुमति ली गई। इसकी अनुमति भोलेनाथ से फुलाइस के माध्यम से मिलने के बाद अब खंडित प्रतिमाओं को बदलने का मार्ग प्रशस्त हो गया। मंदिर प्रभारी कुंदन भगत ने कहा कि बाबा बासुकीनाथ एवं माता पार्वती के गुंबद पर फहरानेवाले पताकाओं की संख्या भी सीमित करने को लेकर बाबा बासुकीनाथ से अनुमति ली गई। इस मौके पर पंडा समाज के मनोज पंडा, जितेंद्र झा, दयानंद झा, जयप्रकाश पंडा, राजेश झा, कुंदन झा, संजय झा, गुडूस झा, अन्नू गोस्वामी, सुबोधकांत झा, पार्थो बाबा, योगेश पंडा, अरविद पंडा, संतोष पांडेय, काजल पांडेय, विनोद पांडेय, योगेंद्र मिश्र सहित बासुकीनाथ मंदिर के सुभाष राव, मदन झा, रवींद्र मोदी, मुन्ना राव, टेस्का राव, कुंदन राव, गौतम राव, गुड्डू ठाकुर, उदय मंडल, शोखी कुंवर, नरेश राव सहित दर्जनों अन्य पंडा पुरोहित व स्थानीय ग्रामीण मौजूद थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इन प्रतिमाओं को बदला जाएगा

    मंदिर प्रभारी के मुताबिक दुर्गा माता की प्रतिमा, राम दरबार की प्रतिमा, अन्नपूर्णा मंदिर स्थित नीलकंठ महादेव की प्रतिमा, लक्ष्मी मंदिर स्थित नंदी जी की प्रतिमा एवं हवन कुंड के मध्यभाग को बदला जाएगा। पंडा समाज के मनोज पंडा, संजय झा एवं जीतेंद्र झा ने बताया कि खंडित प्रतिमाओं को परंपरा व वैदिक अनुष्ठान के उपरांत समुद्र अथवा गंगा नदी में प्रवाहित किया जाएगा एवं नूतन प्रतिमाओं को पूर्ण वैदिक परंपरा के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा के साथ स्थापित किया जाएगा।