कठपुतली लोककला प्रशिक्षण कार्यशाला आज से इंडोर में
दुमका : कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के सहयोग से दुमका के जनमत शोध संस्थान द्वार
दुमका : कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के सहयोग से दुमका के जनमत शोध संस्थान द्वारा शनिवार से दुमका के इंडोर स्टेडियम में 21 दिवसीय आवासीय आदिवासी कठपुतली लोक कला चदर-बदर के संरक्षण व संवर्धन के लिए पपेट्री निर्माण पर आधारित प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि उपायुक्त मुकेश कुमार करेंगे।
जनमत शोध संस्थान के सचिव अशोक ¨सह ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि प्रशिक्षण कार्यशाला में जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए 30 प्रतिभागियों को तीन विशेषज्ञ प्रशिक्षकों के माध्यम से दिया जाएगा। इस दौरान यहां आदिवासी कठपुतली लोक कला चदर-बदर से संबंधित एक भव्य प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा। अशोक ने कहा कि कार्यशाला का समापन 23 सितंबर को किया जाएगा।
क्या है चदर-बदर कला
अशोक ने बताया कि विलुप्त प्राय: परंपरागत आदिवासी कठपुतली लोक कला को चदर-बदर या चादर-बदोनी के नाम से जाना जाता है। आदिवासी समुदाय के बीच यह मान्यता है कि मानव एक कठपुतली के समान है जिसकी डोर प्रभु के हाथ में है और इसी भावना को इनके द्वारा गीत-संगीत व कठपुतली के माध्यम प्रदर्शित किया जाता है। अशोक बताते हैं कि इसका कला इतिहास भादो माह से ही जुड़ा है।
बताया कि यह कला 30 साल पूर्व विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी थी लेकिन दिल्ली से आए इंडियन हेरीटेज फाउंडेशन के रविकांत द्विवेदी 1985 में इस पर काम कर चुके थे और उनसे प्रेरित होकर जनमत शोध संस्थान ने वर्ष 2010-11 में इस कला पर शोध कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इस पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने इसे पुनर्जीवित करने की पहल की है। इसी कड़ी में इस प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। अशोक ने कहा कि शोध के दौरान ही जनमत की टीम ने यहां लुप्तप्राय: कठपुतली के कलाकारों को ढूंढ कर एक टीम तैयार करने में सफल हुई थी। उनकी मदद से बाद में इस कला को आगे बढ़ाने की मुहिम चलती रही। इन कलाकारों ने दिल्ली, सूरजकुंड मेला समेत कई विशेष आयोजन में जाकर पपेट्री निर्माण पर आधारित कठपुतलियों का प्रदर्शन किया है। दिल्ली में एक माह के लिए लगाए गए पपेट्री महोत्सव में यहां के कलाकारों द्वारा निíमत चदर-बदर सेट का क्रय कर इसे वहां के म्यूजियम में रखा गया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।