'ओम जय साई नाथ, दुख भंजन तेरे नाम'
दुमका, निज प्रतिनिधि : 'धरती पर रहकर तूने साई अम्बर तक तन है फैलाया। ओम जय साई नाथ, जय साई श्याम आदि न अंत तुम्हारा, प्रभु श्रद्धा नमन हमारा। तेरे आने से यह धरती व जग हुआ धन्य। ओम जय साई नाथ दुख भंजन तेरे नाम'। शिरडी वाले श्री साई बाबा की स्तुति में ऐसे गीतों से रविवार को शहर के टीन बाजार स्थित कैवट पाड़ा गुंजायमान था। यहां शैलजानंद प्रसाद के आवास में साई बाबा की मासिक पूजा हो रही थी। श्री साई समाज के तत्वावधान में आयोजित इस धार्मिक अनुष्ठान में अच्छी संख्या में साई भक्त शामिल हुए थे। इस पावन अवसर पर समाज के प्रमुख प्रो.मदनेश्वर चौधरी द्वारा श्री साई सच्चरित्र के प्रथम अध्याय का पाठ भी किया गया, जिसमें भक्तों ने शिरडी को हैजा रोग से बचाने के लिए बाबा द्वारा चक्की में गेहूं पीसे जाने की महिमा को सुना। प्रो.चौधरी ने बताया कि इस प्रकरण में श्री साई बाबा ने भक्तों को जीवन के इस भवसागर से पार लगाने के लिए गेहूं की तरह ज्ञान रुपी चक्की के मुठा को पकड़कर ईश्वरीय भक्ति के साथ कर्म करने का ज्ञान प्रदान किया। प्रो.चौधरी ने कहा कि गेहूं की तरह हर इंसान भक्ति रूपी चक्की के उपरी भाग और कर्म रूपी निचले भाग के बीच पीसाता है। लेकिन साई रूपी चक्की के मुठा को पकड़े रहने पर भक्तों का बाल भी बांका नहीं होता और अंत में वह मोक्ष को प्राप्त होता है।
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