लाल पोखरा हुआ नीला, नहीं होगा छठ
मंजीत उपाध्याय, दुमका
दुमका के ग्रांट स्टेट मोहल्ले में स्थित लाल पोखरा का पानी प्रदूषित होकर नीला हो गया है। इसकी वजह से दस साल बाद पहली बार इस तालाब में आस-पास के आधा दर्जन मोहल्ले के सैकड़ों छठवर्ती यहां छठ नहीं करेंगे। छठ कमेटी भी इस बार यहां छठ पर्व आयोजित करने के बजाए अपने हाथ खड़ा कर चुकी है। यहां की छठ कमेटी इसके लिए नगर पर्षद व उन सरकारी महकमों को जिम्मेवारी ठहरा रही है जिनके नाले का गंदा पानी इसी तालाब में जमा हो रहा है।
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क्या है लाल पोखर का इतिहास
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अंग्रेज प्रशासक ग्रांट जार्ज हुक को वर्ष 1932 के आसपास यहां तकरीबन 12 बीघा जमीन आवासीय परिसर के लिए बंदोबस्त किया गया था। इस हिस्से में यह तालाब भी है। देश आजादी के बाद ग्रांट जार्ज ने मैनेजर इंदू भूषण बोस को यह संपत्ति सौंप दी जिसे बाद में बोस ने हारु केवट को बेच दिया।
इस मोहल्ला के पुराने लोग कहते हैं कि पहले इस तालाब में दिखने वाले लाल पत्थर व पानी का रंग लाल रहने की वजह से ही इसे लाल पोखर के नाम से पुकारा जाता है, पर अब इसका पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि जानवर भी इसे नहीं पीते।
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आधा दर्जन मोहल्ला के छठवर्ती तलाश रहे तालाब
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फोटो फाइल नेम
27 डीयूएम 010,011,012,013,014,015
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लाल पोखर में विगत दस वर्षो से छठ करने वाले पुलिस लाइन, मजिस्ट्रेट कालोनी, नाहर पार्क, न्यू प्रोफेसर कालोनी, ग्रांट स्टेट समेत आसपास के आधा दर्जन से अधिक सैकड़ों छठवर्ती छठ व्रत करने के लिए तालाब ढूंढ रहे हैं। छठ व्रती शिव कुमारी देवी आक्रोशित लहजे में कहती हैं कि पर्व-त्योहार करना भी मुश्किल हो गया है। चंद्र किशोर देवी कहती हैं- बबूआ इ लाल पोखर के पानी इतना गंदा हो गईल बा कि एकरा में परब करना मुश्किल बा। इस साल त दूसरे ठौर खोजाता। पूनम देवी ने कहा कि तालाबों में भीड़ की वजह से सही ढंग से छठ करना भी मुश्किल है। लाल पोखरा छठ पूजा समिति के अध्यक्षचंद्रशेखर सिंह कहते हैं कि दस साल से यहां छठ पर्व काफी उत्साह से मनाया जाता था लेकिन इस वर्ष तालाब प्रदूषित होने की वजह से नहीं मनाया जाएगा। श्री सिंह ने कहा कि गर्ल्स स्कूल एवं हास्टल, ग्रांट स्टेट, नगर पर्षद समेत कई सरकारी कर्मियों के क्वार्टरों के नाले का पानी इसी तालाब में जमा होता है। गोपाल सिंह ने कहा कि नगर पर्षद ने मोहल्लावासियों को यह भरोसा दिया था कि नाले के पानी को अन्यत्र बहाने की व्यवस्था होगी लेकिन मामला जस का तस है। समिति के सदस्य राणा राकेश प्रताप सिंह ने कहा कि तालाब का पानी प्रदूषित होने के कारण इसमें रहने वाले जलचर भी समाप्त हो गए हैं। इसके अलावा मनोज तिवारी, कामेश्वर सिंह, गोपाल सिंह, अशोक झा, अशोक मेहता, पियूष कुमार, अनंत मांझी, विकास पंजियारा, नमिता देवी, चिन्मया देवी समेत दर्जनों मोहल्लेवासियों का कहना है कि प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की वजह से यह तालाब प्रदूषित हुआ है। जिला प्रशासन को इस तालाब के साफ-सफाई की फिक्र नहीं है। प्रशासन इस तालाब के अस्तित्व को बचाने के लिए कदम उठाए।
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