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    बाइक चोरी की है या नहीं? तुरंत चल जाएगा पता, इस तकनीक पर काम कर रही पुलिस

    धनबाद से चोरी हुई बाइक का रिकॉर्ड कंप्यूटर पर अपलोड किया जा रहा है। इस तकनीक से यह भी स्पष्ट हो पाएगा कि वह बाइक किसी जिले में बरामद तो नहीं हुई। शहर में जितनी बाइक चोरी की घटनाएं हुई उसमें अधिकांश बाइक पुलिस बरामद नहीं कर पाई। सीआइजी प्रकाशन का नेटवर्क राज्य भर के सभी जिला से जुड़ा हुआ है।

    By Niraj Duby Edited By: Shashank Shekhar Updated: Tue, 14 May 2024 11:45 PM (IST)
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    बाइक चोरी की है या नहीं? तुरंत चल जाएगा पता, इस तकनीक पर काम कर रही पुलिस (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, धनबाद। पिछले कुछ वर्षों में धनबाद से जितनी बाइक चोरी हुई है। उसका पूरा रिकॉर्ड कंप्यूटर पर अपलोड किया जा रहा है। पुलिस के इस तकनीक से यह भी स्पष्ट हो पाएगा कि वह बाइक किसी जिले में बरामद तो नहीं हुई।

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    शहर में जितनी बाइक चोरी की घटनाएं हुई, उसमें अधिकांश बाइक पुलिस बरामद नहीं कर पाई। ऐसी स्थिति में सभी थाना क्षेत्र से चोरी गई बाइक को पुलिस अब सीआइजी प्रकाशन के लिए भेज रही है।

    सीआइजी प्रकाशन एक प्रक्रिया है, जिसमें चोरी गई बाइक नंबर चेचिस नंबर को पुलिस कंप्यूटर में लोड करती है। जरूरत पड़ने पर पुलिस उसका विज्ञापन भी जारी करेगी।

    ऐसे तो सीआइजी प्रकाशन का नेटवर्क राज्य भर के सभी जिला से जुड़ा हुआ है। जहां भी जिस जिला में बाइक लावारिस अवस्था में या चोरी की बरामद होगी। उसे भी सीआइजी प्रकाशन में लोड किए जाएंगे। उसी नंबर से पुलिस पता लगा लगा लेगी कि कहां की बाइक किस जिला में बरामद हुई है।

    पहले चोरी की बाइक पता करने में होती थी परेशानी 

    पूर्व में चोरी गई ऐसे वाहनों का पता लगाना पुलिस के लिए मुश्किल हो जाता था, लेकिन अब आसानी से पता चल जाएगा। यही वजह है कि पिछले सालों में जितनी बाइक चोरी हुई है, सभी को कंप्यूटर में लोड किए जा रहे हैं। इन दिनों पुलिस काफी हद तक हाईटेक हुई है।

    पहले तो किसी भी जिला में बरामद बाइक मालिक का पता लगाने के लिए पुलिस को संदेह होने पर उस जिला के चक्कर लगाने होते थे, गाड़ी नंबर, चेचिस नंबर का विज्ञापन छपवाने की जिम्मेवारी पुलिस की होती है, पर अब ऐसा करने की भी जरूरत पुलिस को नहीं होगी।

    सीआइजी प्रकाशन के बाद राज्य के सभी जिला इंटरनेट सुविधा से जुड़े हुए हैं। पहले से काम और भी आसान हो गया है।

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