टमाटर उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन रहीं मोहलीडीह की महिलाएं
पूर्वी टुंडी मोहलीडीह गांव की उत्पादक समूह की महिलाएं टमाटर उत्पादन कर आत्मनिर्भर ब

पूर्वी टुंडी : मोहलीडीह गांव की उत्पादक समूह की महिलाएं टमाटर उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। कोरोना काल में जहां आमदनी के कई रास्ते बंद हो गए। उसी दौर में गांव की उत्पादक समूह की महिलाओं ने सब्जी उत्पादन कर आमदनी करने की ठानी और अपनी मेहनत के दम पर बंजर भूमि को हरा-भरा कर दिया। बंजर पड़ी भूमि से सप्ताह में लगभग आठ से दस हजार रुपये की आमदनी कर रही हैं। टमाटर उत्पादन की आमदनी से प्रेरित होकर अब इन्होंने मिर्च के नौ हजार पौधे लगाए हैं। सब्जी उत्पादन से आत्मनिर्भर होकर महिलाएं गांव के पुरुष किसानों को प्रेरणा दे रही हैं।
आठ महिलाओं ने जैविक खेती से सब्जी उत्पादन किया शुरू
गांव की आठ महिला कल्पना मुर्मू, सूरजमुनी सोरेन, चांदमुनी सोरेन, फुलमुनी सोरेन, सिमोती मुर्मू व बदोनी टुडू ने मिलकर अपनी बंजर पड़ी भूमि पर लगभग दो माह पूर्व जैविक खेती के माध्यम से सब्जी उत्पादन शुरू किया। लगभग तीन एकड़ भूमि पर टमाटर के नौ हजार पौधे लगाए। पौधों में सिचाई के लिए बगल के एक जोरिया में मोटर पंप लगाकर पानी की व्यवस्था की। इन महिलाओं की मेहनत रंग लाई। पौधों में भरपूर टमाटर की फसल पैदा हुई। यह देखकर पहली बार इस तरह से सब्जी उत्पादन कर रही महिलाओं के चेहरे खिल उठे।
दो दिनों के अंतराल पर एक क्विंटल टमाटर निकलता
उत्पादक समूह की मुखिया कल्पना मुर्मू ने बताया कि वर्तमान में दो दिन के अंतराल पर लगभग एक क्विंटल टमाटर निकलता है। उसे आसपास के गांवों में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में तीस रुपए किलो की दर से बेचा करते हैं। सप्ताह में शहपुरा हाट, पोखरिया हाट, शंकरडीह हाट व लटानी हाट बाजार मिलता है। इससे सप्ताह में आठ से दस हजार रुपए तक की आमदनी होती है। टमाटर की फसल को देखकर अभी हमने मिर्ची के पौधे लगाए हैं। हालांकि, फसल आने में अभी समय है। महिलाओं के सब्जी उत्पादन को देखकर आसपास क्षेत्र में भी कई किसानों ने वृहद पैमाने पर टमाटर, आलू, आदि लगाए हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।