Subodh Kumar Jaiswal: डिनोबली डिगवाडीह का छात्र बना सीबीआइ प्रमुख, अब भी स्कूल जीवन जैसा अनुशासन, पढ़ें डिटेल
Subodh Kumar Jaiswal महाराष्ट्र कैडर के आइपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल सीबीआइ के नए प्रमुख ( निदेशक) होंगे। जायसवाल की नियुक्ति की खबर मिलते ही धन ...और पढ़ें

धनबाद [ जागरण स्पेशल ]। Subodh Kumar Jaiswal डिनोबली स्कूल डिगवाडीह के प्राचार्य फादर अमलादोस ने बुधवार को नव नियुक्त सीबीआइ के नए निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल को बधाई देने के लिए फोन किया। डिनोबली डिगवाडीह का नाम सुनते ही जायसवाल 43 साल पहले की स्कूल की दुनिया में पहुंच गए। अमलादोस की बधाई पर जायसवाल भावविहोर हो गए। उन्होंने काफी देर तक मोबाइल फोन पर बात की। स्कूल के जिन-जिन लोगों को जायसवाल जानते थे उनके बारे में जानकारी हासिल की। पुरानी यादें साझा की। कहा-आजीवन न डिगवाडीह स्कूल, न सिंदरी और न ही धनबाद को भूल सकते हैं। यहां तक पहुंचे हैं तो स्कूल और धनबाद की मिट्टी की ही देन है। यह सुनकर अमलादाह गदगद हो गए। हालांकि जायसवाल जिस समय स्कूल के छात्र थे उस समय अमलादास प्राचार्य नहीं थे। लेकिन जायसवाल ने मोबाइल फोन पर बातचीत के दाैरान सम्मान देने में कोई कमी नहीं की। इस बातचीत की जानकारी देते हुए प्राचार्य ने कहा-अब भी जायसवाल में स्कूली जीवन जैसा ही अनुशासन बरकरार है।

फादर अमलादोस ( फाइल फोटो)।
1978 में स्कूल से पूरी की 10वीं की पढ़ाई
डिनोबली स्कूल डिगवाडीह से जायसवाल ने 1978 में 10वीं की परीक्षा अव्वल दर्जे के साथ पास की थी। वह अपने बैच के लड़कों में निणय लेने में कभी भी हिचकते नहीं थे चाहे वह पढ़ाई में हो या फिर खेल के मैदान में। वह हर तरह के खेल पसन्द करते थे। प्रिंसिपल ने कहा-सुबोध ने बताया कि आज जो कुछ भी हूं वह स्कूल के प्राचार्य एवं शिक्षक के बदाैलत हूं। जायसवाल की सफलता से डिनोबली स्कूल डिगवाडीह परिवार गदगद है। चासनाला में जन्मे 1985 बैच के आइपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल सीबीआइ के नये प्रमुख बनाए गए हैं। इससे झरिया और चासनाला क्षेत्र में खुशी का माहौल है। इंटरनेट मीडिया में सुबह से ही सुबोध को उनके सहपाठी, मित्र, परिवार और रिश्तेदार बधाई दे रहे हैं। इनका कहना है कि सुबोध ने चासनाला झरिया का नाम पूरे देश में रोशन किया है। हालांकि सुबोध के चासनाला स्थित घर में अभी कोई नहीं रहता है। घर की देखरेख गांव में ही रहने वाले पुराने ड्राइवर समादार करते हैं।
.jpg)
डिनोबली स्कूल डिगवाडीह
जासूसी का बचपन से ही शौक
चासनाला स्थित सुबोध के घर के पास रहनेवाले उनके मित्र प्रवीर ओझा ने बताया कि सुबोध मृदुभाषी, मिलनसार और तुरंत निर्णय लेने वाला शख्स है। बचपन से ही वह पढ़ाई में तेज रहा। 1978 में डिगवाडीह झरिया स्थित इंग्लिश मीडियम के डिनोबली स्कूल में दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए यहां से चला गया। कहा कि सुबोध को जासूसी करने में काफी रुचि थी। इसी कारण से वह आज इस मुकाम तक पहुंचा है। यह चासनाला के लिए गौरव की बात है। सुबोध कुमार जायसवाल शिव शंकर जायसवाल और माता करुणा जायसवाल के ज्येष्ठ पुत्र है। इनके पिता शिवशंकर जायसवाल का निधन 2008 में हो गया था। ये भागलपुर के रहने वाले हैं। इनके दादा एचएन चौधरी, एक्साइज इंस्पेक्टर थे। सुबोध कुमार जायसवाल दो भाई हैं। छोटे भाई मनोज कुमार जायसवाल वाइस प्रेसिडेंट मुरुगप्पा कंपनी में कार्यरत हैं।

सिंदरी में सुबोध के पिता की थी जायसवाल स्टोर दुकान
झरिया के उस समय के व्यापारी महेंद्र भगानिया का कहना है कि सुबोध के पिता शिवशंकर जायसवाल की जयसवाल स्टोर दुकान सिंदरी रांगामाटी में खूब चलती थी। हर तरह के सामान उसमें मिलते थे। झरिया से हम थोक भाव में ड्राई फ्रूट्स, बिस्कुट आदि सामानों की बिक्री करते थे। इस दौरान कई बार सुबोध से मुलाकात हुई। उनके निर्णय क्षमता को देखकर हम प्रभावित होते थे। आज सीबीआइ प्रमुख बनने पर हमें अपार खुशी हो रही है।
सुबोध के पिता थे रोटेरियन
सिन्दरी के कांडरा डीवीसी मोड़ स्थित चासनाला माता कल्याणेश्वरी पुल समीप झरिया सिंदरी मुख्य मार्ग किनारे पले-बढ़े सुबोध कुमार जायसवाल के सीबीआई प्रमुख बनने से पूरा धनबाद गर्व की अनुभूति कर रहा है। सुबोध के दादा स्व. हरि नारायण चौधरी एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर रहें। वहीं पिता स्व. शिव शंकर जायसवाल एक सफल बिजनेसमैन के साथ समाजसेवी भी रहें। सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना उनके दिनचर्या में शामिल था। शिवशंकर जायसवाल ने समाज सेवा के लिए वर्ष 92 में सिंदरी में रोटरी क्लब की स्थापना की। अपने जीवनकाल तक वो इसके अध्यक्ष भी रहे।
खेल में भी सुबोध की थी विशेष रूचि
पढ़ाई के साथ खेलने में भी सुबोध विशेष दिलचस्पी रखता था। सुबोध के मित्र प्रवीर ओझा ने बताया कि वह पढ़ाई में तेज होने के साथ-साथ खेल में भी विशेष दिलचस्पी रखता था। फुटबॉल, बैडमिंटन, वालीबॉल आदि खेलों में उनकी विशेष रूचि थी। सहपाठियों और दोस्तों के साथ हर दिन इन खेलों को खेलता था। सुबोध का बुनियादी स्वभाव काफी तेज था। निर्णय लेने की क्षमता और कार्यशैली अद्भुत थी। जिस काम को वह करने की सोचता उसे जरुर पूरा करता था।
महाराष्ट्र कैडर के आइपीएस, एसपी के रूप में अमरावती में पहली पोस्टिंग
सुबोध का जन्म 1962 में हुआ। वो दो भाईयों में सबसे बड़े थे। छोटे भाई मनोज कुमार जायसवाल चेन्नई में एक अमेरिकन कंपनी में डायरेक्टर थे। सुबोध का बचपन से ही पुलिस अधिकारी बन देश सेवा की भावना थी। बचपन में सिंदरी फर्टिलाइजर के केजी स्कूल में पहली शिक्षा ग्रहण की। जिसके बाद डिगवाडीह डिनोबली स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए बाहर चले गए। जहां पढ़ाई पूरी कर आईपीएस की तैयारी की। 1985 बैच के कुमार ने रॉ में तीन साल तक अतिरिक्त सचिव के रूप में सेवाएं दीं। हालांकि वह रॉ के साथ वर्ष 2009 से जुड़े रहे। 1986 में अमरावती में एएसपी के रूप में जायसवाल ने अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वह महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में उच्च पदों को सुशोभित करते हुए मुंबई के पुलिस कमिश्नर व सीआईएसएफ के डीजीपी भी बने। उनके एक पुत्र व एक पुत्री है।
रॉ में दे चुके सेवा
रॉ (रिसर्च ऐंड अनैलेसिस विंग) को अपनी सेवाएं दे चुके श्री कुमार तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी के रूप में भी जाने जाते हैं। वर्ष 2005 में अब्दुल करीम तेलगी के फर्जी स्टैंप पेपर घोटाले की जांच के लिए हाई कोर्ट की तरफ से गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की अगुवाई भी जायसवाल ने ही की थी। इसके अलावा जायसवाल मुंबई एटीएस के भी प्रमुख रहे व 2006 में सिलसिलेवार ट्रेन धमाकों व मालेगांव विस्फोट मामले की जांच के भी प्रभारी रहे।
जायसवाल के हाथों में थी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सुरक्षा
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सुरक्षा की कमान 1999-2004 तक सुबोध कुमार जायसवाल के हांथों में थी। महाराष्ट्र में बिभिन्न पदों पर रहते हुए सुबोध कुमार जायसवाल ने तेलगी फर्जी स्टांप घोटाले, मालेगांव विस्फोट मामले, एल्गार परिषद और कोरेगांव हिंसा मामले की जांच की थी। सुबोध कुमार जायसवाल इंटेलिजेंस ब्यूरो एंड रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रा) में लगभग नौ वर्षों तक कार्यरत रहे थे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।