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    गुरु खुद को ईश्वर समझने लगे, इसलिये पतन हुआ

    संस पंचेत जूनकुंदर मंगल मूर्ति धाम में श्री मदभागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक उत्तम कृष्ण श

    By JagranEdited By: Updated: Fri, 05 Mar 2021 08:23 PM (IST)
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    गुरु खुद को ईश्वर समझने लगे, इसलिये पतन हुआ

    संस, पंचेत: जूनकुंदर मंगल मूर्ति धाम में श्री मदभागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक उत्तम कृष्ण शास्त्री ने बताया कि बल व धन बड़ा नहीं होता है। संसार में ज्ञान से बड़ा कुछ नहीं है। मानव को अपने जीवन में चार गुरुओं को अपनाना चाहिए। चैत्य, श्ववण, शिक्षा और दीक्षा। गुरु मंत्र अभिमान को नाश कर सद्मार्ग का दर्शन कराता है। यह सभी विपदाओं को दूर करता है। बिना दीक्षा लिए कन्यादान भी बेकार है। उन्होंने कहा कि आज गुरु अपने आप को भगवान मानने लगे इसीलिए उनका पतन हुआ। लोग अपनी तारीफ और दूसरे की बुराई करने के आदि हो गए हैं। भागवत कथा सुनने को ईश्वर भी इच्छुक रहते हैं। भागवत कथा प्रेतयोनी को कल्याण करता है। कथा के दौरान सुकदेव जन्म, भीष्म स्तुति, कुंती स्तुति, सृष्टि वर्णन व विदुर चरित्र को विस्तार पूर्वक रखा। कथा के मुख्य यजमान भरत सिंह, गुड्डू सिंह, गीता देवी व ममता देवी हैं। कथा का श्रवण करने चंद्रदेव यादव, रामजनम सिंह, एके ठाकुर, धीरज सिंह, लालू कुमार, सुदामा प्रसाद, प्रकाश कुमार, संतोष चौहान, निलेश साव, राजाराम नोनिया समेत बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे थे।

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    कलश यात्रा के साथ कालूबथान में बजरंगबली मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा

    कालूबथान : कालूबथान मोड़ स्थित सार्वजनिक बजरंगबली मंदिर का सौंदर्यीकरण के बाद प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शुक्रवार को कलश यात्रा निकाली गई। 101 महिलाओं ने कलियासोल बड़ा पोखर से जल उठाकर दो किलोमीटर पैदल भ्रमण करते हुए मंदिर में जलाभिषेक किया। पुजारी मनोरंजन मुखर्जी ने विधि विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा कराई। पूजा समापन के बाद लोगों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि सार्वजनिक बजरंगबली मंदिर पुराना होने के कारण टूट गया था। इसका सुंदरीकरण करने के बाद प्राण प्रतिष्ठा कराई गई है। मंदिर को बनाने में कालूबथान मोड़ व अगल-बगल के ग्रामीणों का योगदान रहा।

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    नैरो गांव में शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को 11 मार्च को निकाली जाएगी कलश यात्रा

    संस, गोविदपुर : गोविदपुर प्रखंड के नेरो गांव में नवनिर्मित शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए ग्रामीणों ने प्रभाष चंद्र मंडल की अध्यक्षता में बैठक की। 10 मार्च को कलश यात्रा, मंदिर प्रवेश, वेदी पूजन, संध्या आरती व रात में कथा प्रसंग, 11 मार्च को प्राण प्रतिष्ठा, हवन व पूर्णाहुति ,रात में हरिनाम संकीर्तन और 12 मार्च को कलश विसर्जन, भंडारा व संत विदाई समारोह आयोजन का निर्णय लिया गया। बैठक में शांति राम मंडल, लखन मंडल, सपन मंडल, दिलीप मंडल, संजय मंडल, मोहन मंडल, तारा पद मंडल, अतुल मंडल, परेश मंडल, दिवाकर मंडल, बसंत मंडल, मनोज मंडल आदि उपस्थित थे।