Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रिटायरमेंट के बाद पूर्व डीजीपी गुप्‍तेश्‍वर पांडेय ने पकड़ी प्रवचन की राह तो पुलिस ने उनके दामाद को बता दी हैसियत

    By Deepak Kumar PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 20 Jun 2022 08:39 AM (IST)

    गुप्तेश्वर पांडेय बिहार के डीजीपी थे। राजनीतिक हस्तियों के बीच उनकी गहरी पैठ थी। अपनी बेटी की शादी उन्होंने धनबाद के कोयला कारोबारी राकेश ओझा से की थी। शादी समारोह में राजनीतिक हस्तियों एवं अधिकारियों का जो जमावड़ा लगा था उसे कोयलांचल के लोग आज भी याद करते हैं।

    Hero Image
    गुप्तेश्वर पांडेय जब तक डीजीपी रहे, पुलिस उनके दामाद के धंधे पर हाथ डालने का साहस नहीं करती थी।

    धनबाद [दिलीप सिन्हा]: गुप्तेश्वर पांडेय बिहार के डीजीपी थे। राजनीतिक हस्तियों के बीच उनकी गहरी पैठ थी। अपनी बेटी की शादी उन्होंने धनबाद के कोयला कारोबारी राकेश ओझा से की थी। शादी समारोह में राजनीतिक हस्तियों एवं अधिकारियों का जो जमावड़ा लगा था, उसे कोयलांचल के लोग आज भी याद करते हैं। गुप्तेश्वर पांडेय जब तक डीजीपी रहे, पुलिस या प्रशासन उनके दामाद के धंधे पर हाथ डालने का साहस नहीं करते थे। दामादजी का रसूख भी बढ़ता गया। इधर गुप्तेश्वर पांडेय ने नौकरी छोड़ प्रवचन की राह पकड़ ली। पांडेयजी ने डीजीपी की कुर्सी क्या छोड़ी, प्रशासन ने दामादजी को हैसियत दिखा दी। उनकी हार्डकोक फैक्ट्री पर छापेमारी कर दी। कोयला चोरी का मामला बन गया। दामादजी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो गई। लाइसेंस भी निलंबित। दामादजी परेशान हैं। दुखी स्वरत में गुनगुना रहे, जाने कहां गए वो दिन। सब समय की माया है साहब।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जब रघुवर पर भारी पड़ गए चंद्रप्रकाश...

    भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास भले अब मुख्यमंत्री नहीं हैं, लेकिन रसूख वही पुराना है। बावजूद घटक दल आजसू से उनकी अब भी पटती नहीं है। राज्यसभा चुनाव में आजसू ने ऐसा कथानक तैयार किया कि उनकी बात नहीं बनी। अब गांव की सरकार में भी उनका पाला आजसू से पड़ा। यहां भी वह मात खा गए। वह भी तब, जब गेंद उनके खासमखास विधायक ढुलू महतो के पाले में थी। ढुलू ने गांव की सरकार बनाने के लिए जिप सदस्यों को दार्जिलिंग की सैर कराई। अध्यक्ष शारदा देवी को बना दिया। पेच उपाध्यक्ष पर फंसा। रघुवर ने विकास महतो को उपाध्यक्ष बनाने का दबाव बनाया। आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने सरिता देवी का नाम बढ़ाया। ढुलू परेशान, किसको तवज्जो दें। रघुवर उनके नेेता और चंद्रप्रकाश मित्र। आखिरकार चंद्रप्रकाश की पसंद पर मुहर लगा दोस्ती धर्म निभाया। सांसद से दोस्ती में ही फायदा है। विधायकजी से अधिक यह कौन जानता होगा।

    धनबाद में टाइगर

    सूबे के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो, इलाके में उनको टाइगर कहा जाता है। कारण भी है, संघर्ष के दिनों में तेवर बागी जो थे। बड़े-बड़े अधिकारी उनके नाम से खौफ खाते थे। चार बार विधायक व मंत्री बनने के बाद उनके तेवर शांत हो गए। मंत्रीजी की इच्छा गिरिडीह से सांसद बनने की है। पिछले चुनाव में आजसू के चंद्रप्रकाश चौधरी ने उनकी उड़ान को रोका था। दुर्भाग्य से वह कोरोना संक्रमण के भी शिकार हो गए। इलाज के लिए लंबे समय तक क्षेत्र से बाहर रहे। पार्टी के अंदर और बाहर के प्रतिद्वंद्वी, दोनों ने मान लिया कि अब टाइगर लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। सभी अपना-अपना भविष्य तलाशने लगे। टाइगर कहां शांत बैठने वाले हैं। मां लिलोरी मंदिर गंगापुर में पूजा कर व पाठा की बलि दी। लोकसभा चुनाव लड़ने का शंखनाद कर दिया है। प्रतिद्वंद्वी भौचक हैं। टाइगर आया, दाल कैसे गलेगी।

    जाग जाइए ना एसएसपी साहब...

    पूर्वी टुंडी की एक बेटी की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। तीन महीने हो गए, फिर भी पुलिस आज तक यह पता नहीं लगा सकी है कि किसने दुष्कर्म के बाद उसको मार डाला। पीड़ित परिवार हत्यारों को सजा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दरबार में फरियाद लगा चुका है। मुख्यमंत्री ने तत्काल हत्यारों की गिरफ्तारी का निर्देश धनबाद पुलिस को दिया था। कई महीने गुजर गए, पुलिस कुछ नहीं कर सकी, कानाफूसी ये भी कि खाकी है साहब, सोने में माहिर। ग्रामीण एसपी रीष्मा रमेशन जो महिला हैं, मामला देख रही हैं। बावजूद यह हाल है। बिटिया की हत्या से आदिवासी समाज उद्वेलित है। उनका दर्द है कि आदिवासी की बेटी की हत्या हुई है। इस कारण, पुलिस ध्यान नहीं दे रही। मामला शहर का होता तो बड़ा मुद्दा हो जाता। एसएसपी साहब संज्ञान लीजिए, नहीं तो भरोसा उठना तय है।