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    अनोखी शादीः न घोड़ा न गाड़ी, जेल से आया दूल्हा लगाए हथकड़ी

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Thu, 20 Apr 2017 03:58 PM (IST)

    हाथों में हथकड़ी डाले जेल से आया दूल्हा। शादी के कागजात पर दस्तखत हुए और फिर वापस जेल लौट गया।

    अनोखी शादीः न घोड़ा न गाड़ी, जेल से आया दूल्हा लगाए हथकड़ी

    जागरण संवाददाता, धनबाद। न घोड़ा था न गाड़ी, न बैंड था न बाराती। न भोज चला न रस्में हुई और न ही हुई विदाई। हाथों में हथकड़ी डाले जेल से आया दूल्हा। शादी के कागजात पर दस्तखत हुए और फिर वापस जेल लौट गया। बुधवार को धनबाद के अवर निबंधन कार्यालय में यौन शोषण के आरोपी और पीडि़ता के बीच यह शादी हुई।

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    भागलपुर का रहने वाला आरोपी लड़का पेशे से इंजीनियर है और एनटीपीसी कहलगांव में कार्यरत है जबकि लड़की सुदिप्ती कुमारी आदिवासी है और बलियापुर के ढांगी बस्ती में रहती है।

    सपनों को मारी ठोकर तो थाने पहुंची थी प्रेमिका:

    धनबाद के एससी/एसटी थाने में फरवरी माह में लड़की ने मामले की शिकायत की थी। बताया था कि फेसबुक पर रितेश से उसकी दोस्ती 2012 में हुई थी। धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई। एक दिन मंदिर जाकर लड़के ने उसके माथे में सिंदूर भी डाल दिया और पति-पत्‍‌नी जैसे संबंध स्थापित कर लिए। लेकिन बाद में लड़की को वह सामाजिक तौर पर कबूल करने से इन्कार करने लगा।

    कहने लगा कि वह उससे शादी करेगा तो उसकी मां आत्महत्या कर लेगी। इससे तंग आकर लड़की ने थाने में शिकायत कर दी। पुलिस कहलगांव से लड़के को पकड़कर धनबाद ले आई। दोनों में बातचीत कराई गई, लेकिन लड़का तब शादी के लिए तैयार नहीं हुआ। अंत में उसके खिलाफ यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया। पुलिस चार्जशीट भी दायर कर चुकी है और उसकी जमानत अर्जी सत्र न्यायालय से खारिज हो चुकी है। वह लगभग 70 दिनों से धनबाद जेल में बंद है। न्यायालय से राहत नहीं मिलता देख रितेश ने न्यायालय से प्रार्थना की कि वह अपने प्रेमिका से शादी करना चाहता है। अदालत के आदेश पर रितेश को पुलिस अभिरक्षा में मैरिज रजिस्ट्रार के सामने पेश किया गया। इसके पूर्व 16 मार्च को विवाह निबंधन के लिए दोनों ने आवेदन दिया था।

    अदालत के आदेश के बाद रितेश को जेल से बाहर निकाला गया। पुलिस अभिरक्षा में बुधवार को रितेश व सुदिप्ती की शादी निबंधन कार्यालय में हुई। इस दौरान हाथ में हथकड़ी लगाए रितेश को शपथ पत्र दिया गया, जिसे तीन बार पढ़ने को कहा गया। वही प्रक्रिया सुदिप्ती से भी दोहराई गई। उसके बाद आवेदन पर रितेश व सुदिप्ती ने हस्ताक्षर किया उसके बाद बतौर गवाह के रूप में रितेश की माता अनिता देवी व सुदिप्ती के पिता हराधन महली ने हस्ताक्षर कर विवाह की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद रितेश वापस जेल लौट गया।

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