Indian Railway: दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए अनूठी पहल, रेल पटरियों पर आसमान से रखी जाएगी नजर
धनबाद रेलवे डिवीजन में पहली बार ऐसा अत्याधुनिक निरीक्षण ड्रोन तैनात किया गया है जो दिन-रात चौकन्ना रहकर रेलवे की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। यह न केवल दुर्घटनाओं की संभावना को कम करेगा बल्कि समय रहते खामियों की पहचानकर उनकी मरम्मत भी संभव कराएगा। इससे पटरियों की स्थिति ओवरहेड वायर रेलवे यार्ड पुल स्टेशन एरिया पर नजर रखी जा सकेगी।

आशीष सिंह, धनबाद। रेलवे ट्रैक, पुल और स्टेशन एरिया की निगरानी अब और अधिक हाइटेक होगी। धनबाद रेलवे डिवीजन में पहली बार ऐसा अत्याधुनिक निरीक्षण ड्रोन तैनात किया गया है, जो दिन-रात चौकन्ना रहकर रेलवे की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
यह कदम न केवल दुर्घटनाओं की संभावना को लगभग खत्म करेगा, समय रहते खामियों की पहचानकर उनकी मरम्मत भी संभव कराएगा। धनबाद के तीन युवाओं राजा ठाकुर, सागर रेड्डी और मनीष कुमार ने अपने स्टार्टअप विंटल लैब्स के तहत यह हाई-एंड सर्विलांस ड्रोन विकसित किया है।
इसकी कीमत 17.61 लाख रुपये है और इसे खासतौर पर रेलवे की सुरक्षा और मानिटरिंग के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें हाई-रिजाल्यूशन कैमरा, थर्मल इमेजिंग और लाइव वीडियो ट्रांसमिशन जैसी सुविधाएं हैं।
इससे पटरियों की स्थिति, ओवरहेड वायर, रेलवे यार्ड, पुल, स्टेशन एरिया और किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधियों पर 24 घंटे दिन हो रात, नजर रखी जा सकेगी। यहां तक कि हाथियों की चहलकदमी की जानकारी भी यह तुरंत कंट्रोल रूम को भेज देगा।
देश के शुरुआती डिवीजनों में शामिल
राजा ठाकुर ने बताया कि धनबाद रेलवे डिवीजन देश के शुरुआती रेलवे डिवीजनों में शामिल हो गया है, जहां इस स्तर की एडवांस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। एक उड़ान में यह ड्रोन पांच से सात किलोमीटर तक का रेलवे ट्रैक या आसपास का इलाका कवर कर सकता है।
इसके माडल के आधार पर कवरेज और भी बढ़ाया जा सकता है। इस ड्रोन की तैनाती से रेलवे सुरक्षा प्रणाली को नई मजबूती मिलेगी और ट्रैक व पुलों की निगरानी में लगने वाला समय और मानव श्रम दोनों कम होंगे। स्टार्टअप के संस्थापक राजा ठाकुर और सागर रेड्डी ने बीटेक किया है।
मनीष कुमार सीटीटीडीसी भुवनेश्वर से मेकाट्रानिक्स में बीटेक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल देश के बहुत कम रेलवे डिवीजनों में इस तरह के एडवांस ड्रोन का उपयोग हो रहा है। उनका उद्देश्य रेलवे सुरक्षा में नई तकनीक का अधिकतम इस्तेमाल करना है, ताकि दुर्घटनाओं की संभावना कम हो और निरीक्षण प्रक्रिया तेज व सटीक हो सके।
ड्रोन ऐसे करता है काम
ड्रोन रिमोट कंट्रोल या प्री-प्रोग्राम्ड फ्लाइट पाथ के जरिए उड़ता है और रीयल-टाइम में कंट्रोल रूम को वीडियो व डेटा भेजता है। यह न केवल ट्रैक और पुलों की स्थिति की निगरानी करता है, बल्कि दुर्घटना होने पर तुरंत मौके पर पहुंच हालात का लाइव अपडेट भी देता है। इससे राहत और बचाव कार्य तुरंत शुरू किए जा सकते हैं।
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