Udhwa Bird Sanctuary: दुर्लभ परिंदों का जलक्रीड़ा देखना हो तो चले आइए गंगा के इस किनारे, यहां विलुप्त प्रजाति के 28 पक्षी
Sahibganj News उधवा पक्षी अभयारण्य में पनमुर्गी गुगराल जलबाग कंबूद बैंगनी अंजन अंजन बड़ा बगुला गाय बगुला अंधा बगुला जांघिल गुंगला छोटा हरगिल लालसर चकवा ...और पढ़ें

डा. प्रणेश, साहिबगंज। झारखंड के साहिबगंज की आबोहवा परिंदों को रास आई है। साहिबगंज के उधवा पक्षी अभयारण्य में 28 प्रजातियों के दुर्लभ पक्षी मिले हैं। इनकी संख्या लगभग दो हजार है। फरवरी में यहां पक्षियों की गिनती हुई थी। परिणाम उत्साहजनक हैं। यहां पूर्व की तुलना में पक्षियों की संख्या बढ़ी है। गिनती में 52 प्रजातियों के 2313 पक्षी मिले। खुशी की बात ये कि इनमें 134 भारतीय पर्पल मूरहेन (पनमुर्गी) मिली हैं। इनकी यहां मिली तादाद कुल संख्या की एक प्रतिशत है। ऐसे में उधवा को रामसर साइट घोषित करने के लिए वन विभाग प्रस्ताव भेजेगा।

दुधवा में एक प्रतिशत से अधिक मूरहेन की संख्या
दरअसल, 28 प्रकार के जो पक्षी विलुप्ति के कगार पर हैं, उनको वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत संरक्षण प्राप्त है। उन्हें मारने पर सजा का प्रविधान है। कुछ परिंदे यहां के हैं, तो कुछ बाहर से आते हैं। वेटलैंड एशियन वाटर बर्ड सेंसस की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में पर्पल मूरहेन की कुल संख्या का एक फीसद से अधिक उधवा में पाया गया है। इसी वजह से उधवा को रामसर साइट भी घोषित करने का प्रस्ताव बनाया जा रहा है। प्रस्ताव पर स्वीकृति रामसर सोसाइटी जेनेवा (स्विट्जरलैंड) देती है। स्वीकृति मिली तो पक्षियों के संरक्षण को विदेश से भी आर्थिक मदद मिलेगी।
दुर्लभ प्रजाति के ये पक्षी मिले
पनमुर्गी, गुगराल, जलबाग, कंबूद, बैंगनी अंजन, अंजन, बड़ा बगुला, गाय बगुला, अंधा बगुला, जांघिल, गुंगला, छोटा हरगिल, लालसर, चकवा, खरिम, पूंछवाला जसाना, कांस्य पंखी जसाना, टिटिहरी, लाल टिटिहरी, चाहा, छोटा किलकिला, सफेद किलकिला, धोबन, खंजन, गुलाबी चरचरी आदि।
यह है रामसर साइट
ईरान के रामसर में 1971 में वेटलैंड बचाने को सम्मेलन हुआ था। तबसे रामसर वेटलैंड साइट बनी। साइट घोषित करने के लिए छह शर्तें हैं, एक भी शर्त पूर्ण होने पर रामसर साइट घोषित की जाती है। एक शर्त यह है कि विश्व में किसी खास पक्षी की संख्या का एक फीसद एक ही वेटलैंड में मिलेगा तो उसे रामसर साइट घोषित किया जाएगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वन विभाग से इस आशय का प्रस्ताव मांगा है। झारखंड में गंगा सिर्फ साहिबंगज में बहती है। इसी के किनारे उधवा है।
झारखंड में नहीं है एक भी रामसर साइट
दुनिया में 2400 व भारत में 49 रामसर साइट हैं। बिहार के बेगूसराय की कांवर झील दो साल पूर्व रामसर साइट घोषित हुई थी। झारखंड में एक भी रामसर साइट नहीं है। 1991 में बिहार सरकार ने उधवा को पक्षी आश्रयणी घोषित किया था। यहां 565 हेक्टेयर में फैली झील चिड़ियों को बहुत भाती है। साल के नौ महीने यहां खूब पानी रहता है। प्रवासी और अप्रवासी पक्षी यहां जलक्रीड़ा करते देखे जा सकते हैं। साइबेरिया तक से यहां पक्षी आते हैं।
उधवा वेटलैंड में पक्षियों की गिनती कराई गई थी। 52 प्रजातियों के 2313 पक्षी पाए गए हैं। इनमें छह गरूड़ व 134 पर्पल मूरहेन हैं। पर्पल मूरहेन की कुल संख्या का एक फीसद यहां मिला। इसलिए उधवा को रामसर साइट घोषित करने को सरकार को वन विभाग प्रस्ताव भेजेगा। यह झारखंड की पहली रामसर साइट होगी। यहां 28 प्रकार की दुर्लभ प्रजातियों के परिंदे मिले हैं।
-मनीष तिवारी, डीएफओ, साहिबगंज

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