Zonal Railway Training Institute: रेल की अजब-जगब कहानी... यहां तो मछली खा जा रहे मगरमच्छ
डीआरएम साहब...। ट्रेनी का रोज खाना घट जा रहा है। कल मछली कम पड़ गया। मैनेजमेंट में जो लोग हैं ट्रेनी के लिए कम खाना अलाट कर रहे हैं। जरा जांच करें महोदय। कौन चोरी कर रहा है ट्रेनी का पैसा....।
तापस बनर्जी, धनबाद। डीआरएम साहब...। ट्रेनी का रोज खाना घट जा रहा है। कल मछली कम पड़ गया। मैनेजमेंट में जो लोग हैं, ट्रेनी के लिए कम खाना अलाट कर रहे हैं। जरा जांच करें महोदय। कौन चोरी कर रहा है ट्रेनी का पैसा....। वाकया रेलवे के भूली जोनल ट्रेनिंग स्कूल का है। ट्विटर पर प्रकरण शेयर होते ही धनबाद से बंगाल तक खलबली मच गई। यह होना भी लाजिमी है। जोनल ट्रेनिंग स्कूल की साख का सवाल है। इसकी स्थापना भूली में 1965 में हुई थी। धनबाद में होने के बाद भी इसका नियंत्रण आज भी पूर्व रेलवे के पास है। सो, आसनसोल के डीआरएम ने मामला संबंधित विभाग को बढ़ाया। शिकायत करने वाले राजीव सिंह हैं। ये पहले खुद मेस से जुड़े रहे हैं। लिहाजा, जांच के बाद ही यह साफ होगा कि वाकई खानपान में गड़बड़ी हो रही है कि नहीं, या मगरमच्छ गटक रहे।
ए सर ! पनिया बंद करा दीजिए
ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों की अक्सर यही शिकायत होती है कि पानी खत्म हो गया है, मगर धनबाद से खुलने वाली गंगा दामोदर एक्सप्रेस में स्थिति बिल्कुल उलट है। ट्रेन के टायलेट का दरवाजा खोलते ही आप पर पानी का फव्वारा गिरेगा। पिछले हफ्ते की बात है। स्लीपर एस-3 कोच के यात्रियों को इससे बहुत दुश्वारियां झेलनी पड़ीं। जो वहां जाता, पानी से सराबोर होकर आता। जब टिकट चेकिंग स्टाफ पर लोगों की नजर पड़ी तो बोले, ए सर, टायलेट गंदा है। पानी बहुत गिर रहा है। कुछ कीजिए ना। कम से कम पनिया जरूर बंद करा दीजिए। टीटीई बाबू क्या करते। सो बोले, कैरज एंड वैगन विभाग को बताया था। पता नहीं ठीक क्यों नहीं किया। अब तो ट्रेन के दोबारा कोचिंग डिपो में जाने पर ठीक किया जा सकेगा। वे चले गए। रास्ते भर यात्री व्यवस्था को कोसते हुए गए।
तब फंड खत्म था, अब पानी
गोमो की रेल कालोनियों का अजब किस्सा है। कभी यहां नल से नाले जैसा गंदा पानी आने लगता है। शिकायत पर पता चलता है कि पानी साफ करने वाली फिटकरी खरीदने को पैसे नहीं हैं। फंड नहीं तो पानी कैसे साफ होगा। उस परेशानी से उबर भी नहीं पाते कि अब नल में पानी आना बंद हो जाता है। क्या हुआ भाई। तो इस बार कुछ यूं हुआ कि जहां से कालोनी को पानी की सप्लाई होती है, वहां पानी का भंडारण खत्म हो गया है। पानी इक_ा हो जाए तो आपूर्ति होगी। कर्मचारी और उनका परिवार भी क्या करे। कोई उनकी सुने तब ना। दो दिन पहले आरई कालोनी में जब ऐसा हुआ तो कर्मचारियों ने खाली बाल्टी, टब और डेगची की तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर शेयर कर दीं। आखिर और वे कर भी क्या सकते थे। देखिए, अब शायद कुछ हो जाए।
लक्ष्मी पकड़ाइए, लकड़ी ले जाइए
वैसे तो रेलगाड़ी से सामान ले जाने के लिए रेलवे ने वजन निर्धारित कर रखा है। तय वजन से ज्यादा सामान के साथ पकड़े गए तो तगड़ा जुर्माना भरना होगा। पर अगर आप रेलगाड़ी से थोक में लकड़ी ले जाना चाहते हैं तो ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं। बस रेल संपत्ति की सुरक्षा में लगे सुरक्षा बल को लक्ष्मी दर्शन कराइए और जिस ट्रेन में चाहें लकड़ी ले जाइए। गया से धनबाद वाले रेल मार्ग पर यात्री ट्रेनों से लकड़ी ढोने की अक्सर शिकायत मिलती है, मगर अधिकारी कार्रवाई का आश्वासन ही देते हैं। इधर खेल करने वाले लकड़ी को इधर से उधर करते रहते हैं। अब तो स्टेशन मास्टर पर भी अंगुली उठने लगी है। यात्री कह रहे हैं कि स्टेशन मास्टर भी आरपीएफ के साथ बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं। मामला रेल मंत्रालय पहुंच चुका है। देखिए होता क्या है।