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    Topper's Succsess story: छह साल पहले छूट गया था पिता का साथ, मम्मी-दीदी ने हाथ थाम बढ़ाया आगे

    By Tapas BanerjeeEdited By:
    Updated: Mon, 25 Jul 2022 10:45 AM (IST)

    icse 12th result 2022 छह साल पहले 2016 में ही पापा हमें छोड़ कर चले गये। पापा के अचानक चले जाने से परिवार मानसिक तनाव में घिर गया था। भविष्य की फिक्र ...और पढ़ें

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    मां और अपनी बड़ी बहन के साथ आर्ट्स की जिला टॉपर बनानी बनर्जी।

    जागरण संवाददाता, धनबाद: छह साल पहले 2016 में ही पापा हमें छोड़ कर चले गये। पापा के अचानक चले जाने से परिवार मानसिक तनाव में घिर गया था। भविष्य की फिक्र को लेकर पूरा परिवार चिंतित था। एकबारगी ऐसा लगा था जैसे सबकुछ छिन गया, पर मम्मी और दीदी ने खुद को संभाला और मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी, मेरी हिम्मत बनी। आज अगर मैं सफल हुई तो बस मम्मी और दीदी की वजह से।

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    यह कहना है कार्मल स्कूल की 12वीं की छात्रा और आइसीएसई आर्ट्स की जिला टाॅपर बनानी बनर्जी का। बनानी के पिता स्व. डाॅ. संजय कुमार बनर्जी जिले के बहुचर्चित डाॅक्टर थे। मां डाॅ. सुजाता बनर्जी और दीदी डाॅ. श्‍वेता बनर्जी भी भी चिकित्‍सक हैं। हालांकि बनानी ने अपने पारिवारिक विरासत को नहीं चुना। वह अपनी राह अलग बनाना चाहती हैं। उसे आगे पढ़ाई जारी रखनी है और स्नातक के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी है। रविवार की शाम आइसीएसई बोर्ड ने 12वीं के परीक्षा परिणामों की घोषणा की।

    ट्यूशन नहीं लिया, घर पर ही की पढ़ाई

    आम तौर पर छात्र स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ ट्यूशन लेते हैं, पर बनानी के साथ ऐसा नहीं था। उसने कभी ट्यूशन नहीं लिया। स्कूल में जो पढ़ाई होती थी, उसे गंभीरता से लेती थी। घर पर खुद से पढ़ाई कर तैयारी करती थी। जब कभी जरूरत होती तो स्कूल के शिक्षक से जटिल विषयों को ठीक से समझ लेती थी।

    जब कभी थक जाता मिजाज, कर लेती संगीत का रियाज

    बंगाली परिवार में कला-संस्कृति से जुड़ाव बेहद सामान्य है। बनानी भी इससे अलग नहीं। उसके इस शौक ने भी दूसरों से बेहतर करने और अव्वल होने में मदद की। कभी चार घंटे तो कभी छह घंटे लगातार किताबों में डूबे रहने के बाद जब कभी थक जाती तो घर पर ही संगीत का रियाज करने बैठ जाती। इससे मन हल्का हो जाता और अगली बार के लिए फिर तैयार हो जाती। कभी कभी यूट्यूब पर गानें सुन कर मन बहला लेती तो कभी लाइट म्युजिक सुनकर। बनानी का मानना है कि संगीत में वो ताकत है जिससे सारी मानसिक थकान दूर हो सकती है।

    साइंस के प्रति कम था लगाव, डाॅक्टर बनने का नहीं था दबाव

    अमूमन पिता डाॅक्टर हो तो उनकी हसरत यही होती है कि उनके बच्चे भी डाॅक्टर बनें। बनानी के परिवार में तो पापा के साथ-साथ मम्मी भी डाॅक्टर और दीदी भी, पर उस पर परिवार की ओर से कभी ऐसा दबाव नहीं रहा कि उसे डाॅक्टर ही बनना है। अपना कॅरियर चुनने की पूरी आजादी मिली। उसने बारहवीं में आर्ट्स चुना और अब सिविल सर्विसेज से जुड़ना चाहती हैं।

    आइसीएसई बोर्ड को बारहवीं की जिला टॉपर बनानी बनर्जी कहती हैं कि मेहनत से कुछ भी मुमकिन है। सफल होने के लिए बस पूरी ईमानदारी से कोशिश जारी रखनी चाहिए। आपकी कोशिश ही सफलता की मंजिल तक पहुंचाने में मदद करेगी। उस पर अगर परिवार का साथ हो तो हर मुश्किल आसान लगने लगेगी।