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    मजदूरों के लिए सरकार की नीतियों के विरोध में मंथन आज, धनबाद में जुटेंगे भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ता

    By Deepak Kumar PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 30 Jul 2022 08:53 AM (IST)

    भारतीय मजदूर संघ का मंथन शिविर धनबाद में अगले दो दिनों तक चलेगा। बैठक में मौजूदा समय में देश में श्रम कानूनों में हो रहे संशोधन पर भी विचार-विमर्श किए जाएंगे। भारतीय मजदूर संघ के पूर्वी क्षेत्र के पदाधिकारियों की दो दिवसीय बैठक शनिवार को शुरू होगी।

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    कार्यक्रम में भाग लेने के लिए संघ के प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के नेता धनबाद पहुंच चुके हैं।

    जागरण संवाददाता, धनबाद: केंद्र सरकार की विभिन्‍न नीतियों के विरोध में और उद्योग हित व मजदूर हित को लेकर भारतीय मजदूर संघ का मंथन शिविर धनबाद में अगले दो दिनों तक चलेगा। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। बैठक में मौजूदा समय में देश में श्रम कानूनों में हो रहे संशोधन पर भी विचार-विमर्श किए जाएंगे।

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    भारतीय मजदूर संघ के पूर्वी क्षेत्र के पदाधिकारियों की दो दिवसीय बैठक शनिवार को शुरू होगी। बैठक धनबाद के लुबी सर्कुलर रोड स्थित उत्सव भवन में होगी। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए संघ के प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के नेता धनबाद पहुंच चुके हैं।

    बैठक के लिए जो चार राज्यों को मिलाकर भारतीय मजदूर संघ के पूर्वी क्षेत्र का गठन किया गया है। इसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा शामिल है। क्षेत्रीय संगठन मंत्री गणेश मिश्रा बनाए गए हैं। इनके अलावा झारखंड प्रदेश के अध्यक्ष एसएन सिंह, झारखंड प्रदेश के महामंत्री बृज बिहारी शर्मा, संगठन मंत्री ब्रजेश कुमार भी बैठक में शामिल होने के लिए धनबाद पहुंच चुके हैं। ओडिशा, बंगाल और बिहार के भी प्रदेश स्तर के अधिकतर नेता पहुंचे हैं।

    इन चारों राज्‍यों में मजदूरों के साथ हो रहा अन्‍याय

    भारतीय मजदूर संघ के जिला अध्यक्ष बलदेव महतो ने कहा कि झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में कार्यरत मजदूरों के साथ अन्याय हो रहा है। उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में लगातार कटौती की जा रही है। जो न्यूनतम मजदूरी तय की गई है, उसका भी लाभ श्रमिकों को नहीं मिल रहा है। उन्‍होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान श्रमिकों की नौकरी चली गई, लेकिन सरकार की ऐसी कोई नीति नहीं है कि उन्हें दोबारा रोजगार से जोड़ा जाए। चिकित्सा सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उद्योग धंधे बंद हो चुके हैं। उन्‍हें चालू करने के लिए सरकार के पास किसी तरह की कोई योजना नहीं है। कहा कि सरकार की इन्‍हीं नीतियों के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी।