1902 में हुई थी खान निरीक्षण ब्यूरो की स्थापना, आज मना रहा अपना 122वां स्थापना दिवस, इस वजह से पड़ी थी नींव
आज खान सुरक्षा महानिदेशालय यानि कि डीजीएमएस अपना 122वां स्थापना दिवस मना रहा है। इसकी स्थापना 1902 में खान निरीक्षण ब्यूरो के नाम से हुई थी। बाद में इसी का नाम बदलकर डीजीएमएस रख दिया गया। इसका काम खनन के दौरान सुरक्षा मानकों का अनुपालन कराना है।
आशीष अंबष्ठ, धनबाद। खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) शनिवार को अपना 122वां स्थापना दिवस मना रहा है। 1902 में खान निरीक्षण ब्यूरो की स्थापना की गई थी जिसका मुख्यालय कोलकाता में था। खान निरीक्षण ब्यूरो का ही बदला रूप डीजीएमएस धनबाद में है।
1897 के हादसे के बाद महसूस की गई खान सुरक्षा की आवश्यकता
1897 में बलूचिस्तान (अब पाकिस्तान) में हुए खान हादसे के बाद खान सुरक्षा की आवश्यकता महसूस की गई। इसके बाद कोलार गोल्ड फील्ड दुर्घटना में 52 और फिर खोस्त में कोयला खान हादसे में हुई 47 मौतों के बाद सुरक्षा कानूनों को कड़ाई से लागू करने की पहल की गई।
वैसे तो देश में खनन का इतिहास 1774 से माना जाता है, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक इंग्लिश कंपनी को रानीगंज कोल फील्ड में खनन की अनुमति दी थी। धरती की सतह के नीचे से कोयला और अन्य खनिज खोदकर निकालना पड़ता है। इस लिहाज से खान सुरक्षा महानिदेशालय अस्तित्व में आया।
1902 में हुई थी खान निरीक्षण ब्यूरो की स्थापना
1902 में खान निरीक्षण ब्यूरो की स्थापना की गई थी जिसका मुख्यालय कोलकाता में था। 1904 में इसका नामकरण खान विभाग के रूप में किया गया। 1908 में मुख्यालय कोलकाता से धनबाद में स्थापित हुआ। स्थापना दिवस को लेकर डीजीएमएस मुख्यालय धनबाद में शनिवार को कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता डीजी प्रभात कुमार करेंगे।
सुरक्षा मानकों का अनुपालन कराना है महानिदेशालय का काम
खान सुरक्षा महानिदेशालय का मूल काम खनन के दौरान सुरक्षा मानकों का अनुपालन कराना है। डीजीएमएस का मुख्यालय धनबाद के हीरापुर में एनएच 32 पर है। यहीं खान सुरक्षा महानिदेशक का दफ्तर भी है। इसी परिसर में डीजीएमएस का सेंट्रल जोन भी है। इसके अलावा डीजीएमएस के इस्टर्न जोन का मुख्यालय पश्चिम बंगाल के सीतारामपुर, साउथ इस्टर्न जोन का रांची, नॉर्थ जोन का गाजियाबाद, नॉर्थ वेस्ट जोन का उदयपुर, साउथ सेंट्रल जोन का हैदराबाद, साउथ जोन का बेंगलुरु और वेस्टर्न जोन का मुख्यालय नागपुर में है। अब इसके कार्य प्रणाली में भी लगातार बदलाव हो रहे हैं, जो कि खनन क्षेत्र में बदलाव के साथ डीजीएमएस ने भी अपने नियमों में काफी बदलाव किया है।
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