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    निरसा में पत्थर के टुकड़े को रामसेतु का मान पूज रहे हैं ग्रामीण, विधि-विधान से मंदिर बनाकर किया जाएगा स्‍थापित

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Tue, 14 Mar 2023 01:57 PM (IST)

    पत्‍थर का यह टुकड़ा कुहंका ऊपर टोला स्थित खुदिया नदी में मिला। पानी मे तैरने गए बच्‍चों को यह पत्‍थर मिला तो उसे ये घर ले आए और अब इसकी पूजा-अर्चना की जा रही है। माना जा रहा है कि यह पत्‍थर राम सेतु का है।

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    धनबाद के निरसा में पत्‍थर को रामसेतु का समझकर लोग पूजा कर रहे हैं

    जासं, धनबाद। धनबाद के निरसा में इन दिनों लोग एक तैरते हुए पत्‍थर की पूजा करने में लगे हुए हैं। इसे रामसेतु का पत्‍थर माना जा रहा है। यहां कुहंका ऊपर टोला स्थित खुदिया नदी में पत्थर का एक टुकड़ा पानी में तैरता हुआ मिला, जिसे लोगों ने राम सेतु का पत्थर मानकर उसकी पूजा-अर्चना शुरू कर दी है।

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    मंदिर बनाकर पत्‍थर को किया जाएगा स्‍थापित

    गांव के अजीत बाउरी के पुत्र सिंटू बाउरी पत्थर के टुकड़े को पूरे विधि विधान के साथ अपने घर लाकर पानी के टब में रखे हुए हैं। लोग प्रतिदिन उनके घर जाकर उक्त पत्थर की पूजा अर्चना कर रहे हैं। अब अजीत बाउरी घर में एक मंदिर बनाकर पत्थर को स्थापित करने का मन बना चुके हैं इसके लिए उन्होंने विधिवत पुजारी से सलाह मशवरा भी कर लिया है।

    यह है मामला

    लगभग 15 दिन पहले गांव के लड़के नदी में स्नान करने गए थे। गहरे पानी में एक स्थान पर पत्थर को तैरते हुए देखकर बच्चों में उत्सुकता जगी। बच्चे पत्थर को उठाकर बार-बार नदी में फेंक रहे थे, परंतु पत्थर बार-बार पानी में उपला जा रहा था। बच्चों ने भागकर इस मामले की जानकारी गांव के बड़े-बुजुर्गों को दी।

    गांव के बड़े-बुजुर्ग नदी में जाकर पत्थर को देखा तथा उसे पानी में डूबाने का प्रयास किया, परंतु वह बार-बार पानी में उपला जा रहा था। उसके बाद ग्रामीणों ने इसे रामसेतु में इस्तेमाल होने वाले पत्थर का टुकड़ा समझकर नदी में विधिवत पूजा अर्चना कर उसे घर ले आए।

    ग्रामीणों का कहना था कि श्री राम की सेना में शामिल नल और नील पत्थर में श्री राम लिखकर समुद्र में डालते थे, तो वह पत्थर डूबता नहीं था तथा इस प्रकार लंका पर आक्रमण करने के लिए समुद्र में पुल का निर्माण हुआ था। शायद यह पत्थर का टुकड़ा किसी तरह पानी में बहते हुए हमारे गांव आ गया है।

    देखने में नहीं लगता प्राकृतिक पत्थर

    जिसे ग्रामीण पत्थर का टुकड़ा बता रहे हैं वह बाहर से देखने में प्राकृतिक पत्थर का टुकड़ा जैसा नहीं दिखता। हालांकि, लोगों का कहना है कि यदि यह सीमेंट से बना टुकड़ा है तो भी पानी में डूबना चाहिए था, परंतु यह पानी में क्यों नहीं डूब रहा। कुछ लोगों का कहना है कि ऊपर से पत्‍थर जैसे दिखने वाले इस टुकड़े के अंदर कुछ और होगा।

    हालांकि, गांव के लोग अब उस पत्थर के टुकड़े को किसी के हाथ से छूने नहीं दे रहे। अजीत बाउरी के स्वजन का कहना है कि पुजारी जी ने उक्त टुकड़े को छूने से मना किया है। अब सच्‍चाई क्‍या है यह तो वक्‍त के साथ ही पता लगेगा, लेकिन अभी पत्‍थर की भक्ति भाव से आराधना की जा रही है।