The Kashmir Files: सरकार उनकी है तो क्या हुआ सिस्टम तो हमारा है... फिल्म का हर एक डायलाग देता बड़ा संदेश
The Kashmir Files द कश्मीर फाइल्स फिल्म कश्मीरी पंडितों की त्रासदी की सच्ची कहानी है। फिल्म का निर्देशन विवेक अग्निहोत्री ने किया है। बहुत ही बारिकी से फिल्म की कश्मीर की सच्चाई सामने लाई गई है। इसके डायलाग भावनाओं के सैलाब खड़े कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, धनबाद। The Kashmir Files ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी फिल्म की हर जगह चर्चा हो रही है। संसद से लेकर सड़क तक। जो लोग चर्चा और बहस में शामिल नहीं हैं वह भी मन ही मन सोच रहे हैं। फिल्म का नाम बताने की जरूरत नहीं है। आप सब जानते हैं। बात हो रही है द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) की। द कश्मीर फाइल्स की रिलीज के साथ ही देश के एक बड़े कथित बुद्धिजीवी वर्ग ने इसे एक प्रोपेगेंडा फिल्म करार दिया इसके बावजूद फिल्म को देखने वाले सच्चाई मान रहे हैं। यह कश्मीरी पंडितों की त्रासदी से जुड़ी है। कश्मीर घाटी में पनपे इस्लामिक आतंकवाद, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन पर बनी इस फिल्म देखने वाले कमाल की फिल्म बता रहे हैं।
कश्मीर में नंगा नाच का बड़ी बारिकी से हुआ फिल्मांकन
एनके सिंह धनबाद के प्रसिद्ध डाक्टर हैं। यह धनबाद रेल मंडल में मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी रह चुके हैं। वीआरएस लेकर धनबाद शहर को स्वच्छ बनाने के अभियान में सक्रिय रहते हैं। Diabetes and Heart Research Centre का संचालन करते हैं। मधुमेह रोग पर शोध के लिए जाने जाते हैं। इन्होंने फिल्म देखने के बाद इंटरनेट मीडिया Facebook पर अपना लेख लिख डाला है। डा. सिंह कश्मीर की त्रासदी को नंगा नाच बताते हैं। इसके लिए उन्होंने विवेक अग्निहोत्री की जमकर तारीख की है।
महाकाल परिवार ने 150 लोगों को दिखाया
धनबाद के बिग बाजार और प्रभातम माल स्थित आइनोक्स में फिल्म का प्रदर्शन चल रहा है। बुधवार को महाकाल परिवार धनबाद ने 100 से ज्यादा को फिल्म INOX में फिल्म दिखाया। फिल्म देखने वालों में झारखंड प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की सदस्य रागिनी सिंह, भाजपा नेता संजीव अग्रवालस, महाकाल परिवार के संतोष झा प्रमुख थे। हाल से बाहर निकलने के बाद रागिनी सिंह ने टिप्पणी की-पहली बार कश्मीर की सच्चाई सामने आई है। इस फिल्म को हर किसी को देखना चाहिए। देखने वाले खुद अपनी राय बनाएं।
ये डायलाग नहीं भावनाओं का सैलाब
धनबाद के प्रसिद्ध आयकर अधिवक्ता मयूर राठौर ने फिल्म देख हाल से बाहर निकलने के बाद कहा कि फिल्म के निर्माता, निर्देशक, अभिनेता समेत पूरी टीम को दाद देनी चाहिए। 32 साल में जो काम किसी ने नहीं किया वह इस एक फिल्म ने कर दी। पहली बार कश्मीरी पंडितों की त्रासत्री से देश को रूबरू होने के माैका मिला है। इस फिल्म में बहुत बड़ा संदेश भी छिपा है। इस संदेश समझने की जरूरत है। राठाैर कहते हैं-द कश्मीर फाइल्स फिल्म का निर्माण ही अपने आप में एक बड़ी बात है। यह कमाल की फिल्म है। इसके डायलाग के क्या कहने। ये डायलाग भर नहीं हैं। ये भावनाओं का सैलाब हैं। यही कारण है कि हाल में दर्शकों की जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिलती है। द कश्मीर फाइल्स के डायलॉग्स पर सिनेमाहॉल में दर्शक केवल जमकर तालियां नहीं बजा रहे हैं बल्कि, बाहर आकर इन डायलॉग्स की चर्चा भी कर रहे हैं। ये लोगों को अंदर तक झकझोरने के लिए काफी हैं।
The Kashmir Files के कुछ वायरल डायलाग
- ये एक्सोडस नहीं, जेनोसाइड था।
- टूटे हुए लोग कुछ बताते नहीं, उन्हें सुनना पड़ता है।
- देश की टाप यूनिवर्सिटी में पढ़ते हो, इतना भी नहीं पता।
- ये (अलगाववादी नेता) दिल्ली तक पहुंच गया...बहुत जल्दी प्रधानमंत्री तक पहुंच जाएगा।
- ये बीज किसने बोए थे। शेख साहब ने। उनके लिए कहावत बहुत मशहूर है। वो दिल्ली में नेशनलिस्ट, जम्मू में कम्युनिस्ट और कश्मीर में कम्युनलिस्ट। ऐसे लोगों को ही सेक्युलरिस्ट बोला जाता है।
- ये सब झूठ है। देअर वाज नो रियल जेनोसाइड। वी डोंट वांट योर फेक प्रोपेगेंडा। ज्ञान मत पेलो।
- कैसी विडंबना है...कश्मीर को लोग जन्नत मानते हैं। और कश्मीर को जहन्नुम बनाने वाले भी जिहाद इसलिए करते हैं कि उन्हें जन्नत मिले।
- ये इन्फार्मेशन वार है।
- आतंकवादियों की रखैल है मीडिया।
- पद्मश्री आपको सरकार ने खामोश रहने के लिए दिया था।
- कश्मीर हैज नेवर बीन अ इंटीग्रल पार्ट ऑफ इंडिया एंड दिस इज अ हिस्टोरिकल फैक्ट।
- अगर इंडिया ब्रिटेन से अपनी इंडिपेंडेंस के लिए लड़ सकती है। तो कश्मीर क्यों नहीं? अगर भगत सिंह को सेलिब्रेट किया जाता है, तो बुरहान वानी को क्यों नहीं? सरकार उनकी है तो क्या हुआ सिस्टम तो हमारा है।
- तुम्हें सॉल्यूशन देना ही नही है, केवल होप देनी है कि देअर इज अ सॉल्यूशन।
- फेक न्यूज दिखाना, इतना खतरनाक नहीं है. जितन सही न्यूज छिपाना।
- जब तक सच जूते पहनता है। झूठ पूरी दुनिया का चक्कर लगा के आ जाता है।
- शमसुद्दीन मोहम्मद ऐराकी की बायोग्राफी में कश्मीरी पंडितों के कन्वर्जन के बारे में लिखा है। इट इज डॉक्यूमेंटेड।
- 1990 में सिर्फ कश्मीरी हिंदुओं को नहीं मारा गया। बल्कि, तमाम मॉडरेट मुस्लिमों को भी मार दिया गया। यही नहीं, सिख, बुद्धिस्ट, क्रिश्चियन, डोगरा, गुज्जर, दलित. जिसने भी टेररिज्म के खिलाफ आवाज उठाई, उन्हें मार दिया गया।
- तुम्हारे दो वजीर-ए-आजम थे नेहरू और अटल बिहारी। उन्हें सिर्फ एक ही बात की भूख थी कि लोग उनसे मोहब्बत करें। लेकिन, तुम्हारे जो मौजूदा वजीर-ए-आजम हैं, उन्हें किस बात की भूख है? उन्हें इस बात की भूख है कि लोग उनसे डरें।
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