Semiconductor Chip: जल्द दूर होने वाली है भारत में चिप की कमी, सरकार ने IITians पर लगाया दांव
गुड न्यूज है कि अब भारत ने भी सेमीकंडक्टर चिप के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। इसके लिए देश की सरकार ने आइआइटियंस पर दांव ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, धनबाद: सेमीकंडक्टर चिप की कमी से बीते साल पूरा भारत परेशान हुआ। अबतक इस मामले में केवल भारत का पड़ोसी देश चीन ही आत्मनिर्भर माना जाता है या यूं कहें कि वह इस मामले में दुनिया के सभी देशों की जरूरत भी पूरी करता है। हालांकि गुड न्यूज है कि अब भारत ने भी सेमीकंडक्टर चिप के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। इसके लिए देश की सरकार ने आइआइटियंस पर दांव लगाया है। धनबाद स्थित आइआइटी आइएसएम भी सरकार के इस प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
यह अवसर ना सिर्फ आइआइटी आइएसएम, बल्कि पूरे धनबाद और झारखंड के लिए भी गौरव भरा क्षण है। आइआइटी के इलेक्ट्राॅनिक्स इंजीनियरिंग विभाग को डिजिटल इंडिया वीक 2022 के तहत 85 लाख 25 हजार रुपये का फंड मिला है। यह फंड आइएसएम को चिप्स टू स्टार्टअप के लिए चयनित किए जाने पर भारत सरकार की ओर से दिया जा रहा है। प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के तौर पर टीम में प्रोफेसर राजीव रंजन समेत छह सदस्य शामिल हैं, जो इस प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। इनमें प्रो मनोदीपन साहू, प्रो जीतेंद्र कुमार, प्रो एसके पाल, प्रो राहुल भट्टाचार्य एवं प्रो कौशिक मजूमदार शामिल हैं। आइआइटी के निदेशक प्रोफेसर राजीव शेखर ने सभी को बधाई दी है।

टीम के सदस्यों ने बताया कि चिप्स टू स्टार्टअप प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया के तहत घरेलू सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने की एक पहल है। यह कार्यक्रम पूरे भारत में लगभग 100 शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान एवं विकास संगठनों में लागू किया जा रहा है। इनमें आइआइटी, एनआइटी, ट्रिपलआइटी, सरकारी व निजी काॅलेज भी शामिल हैं। बताया कि इस प्रोग्राम का उद्देश्य इंडस्ट्री के नेतृत्व वाले रिसर्च एवं डेवलपमेंट ट्रांसलेशन रिलेटेड रिसर्च को बढ़ावा देना और इंडस्ट्रीज एकेडमी सहयोग को मजबूत करना है। यह स्टार्टअप डेवलपमेंट पैटर्न को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
इस संबंध में आइआइटी के डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर धीरज कुमार बताते हैं कि इस स्टार्टअप के माध्यम से क्रिएटेड इंटेलैक्चुअल प्राॅपर्टी और स्टार्टअप्स को इनक्यूबेट करके छात्रों और रिसर्चर्स के बीच आंत्रप्रेन्योरशिप की संस्कृति विकसित करना है। चिप्स टू स्टार्टअप कार्यक्रम के लिए संस्थानों की विशेषज्ञता, प्रौद्योगिकी तैयारी स्तर और पहले के कार्यक्रमों के दौरान मिले डिजाइन अनुभव के आधार पर तीन अलग-अलग श्रेणियों में प्रस्ताव आमंत्रित किए गए थे। इलेक्ट्राॅनिक्स एवं सूचना मंत्रालय की ओर से यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। आइआइटी को मिला फंड स्टार्टअप पर खर्च किया जाएगा। प्रोफेसर धीरज ने बताया कि इससे पहले भी आइआइटी को विभिन्न इनोवेशन के लिए फंड मिल चुका है।

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