Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    दीपावली की वह काली रात, जब पटाखे की आग में जलकर मर गए थे दो दर्जन से अधिक लोग, फिर भी कुछ नहीं बदला

    By Deepak Kumar PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 22 Oct 2022 02:32 PM (IST)

    इस साल 24 अक्‍टूबर को दिवाली मनाई जा रही है। वैसे तो दिवाली बुराई पर सत्‍य की जीत का त्‍योहार है लेकिन रोशनी के इस त्‍योहार की रात आज भी झरिया के लोग 25 अक्‍टूबर 1992 की तारीख को याद कर सिहर उठते हैं।

    Hero Image
    झरिया में सं‍चालित पटाखों की एक दुकान।

    गोविंदनाथ शर्मा, झरिया (धनबाद): इस साल 24 अक्‍टूबर को दिवाली मनाई जा रही है। 30 साल पहले 1992 में दिवाली 25 अक्टूबर को थी। वैसे तो दिवाली बुराई पर सत्‍य की जीत का त्‍योहार है, लेकिन रोशनी के इस त्‍योहार की रात आज भी झरिया के लोग 25 अक्‍टूबर 1992 की तारीख को याद कर सिहर उठते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    30 साल पहले 25 अक्‍टूबर को दीपावली के दिन झरिया बाजार की सिंदुरिया पट्टी में भीषण पटाखा कांड हुआ था। शाम के समय हुए इस दर्दनाक हादसे में दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सौ से अधिक लोग आग, बारूद व गैस की चपेट में आकर जख्मी हो गए थे।

    शाम के चार बजे अचानक कल्लू पटाखा दुकान-भंडार में आग लगने से बाजार में अफरातफरी मच गई थी। संकरी गली में स्थित सिंदुरिया पट्टी में उस समय सैकड़ों लोगों की भीड़ दीपावली की खरीदारी कर रही थी। दर्जनों लोग पटाखा दुकान में भी थे। तभी एक चिंगारी से भड़की आग ने देखते-देखते पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। हालांकि यहां के लोगों का कहना है कि पटाखा कांड में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।

    घटना के बाद तत्कालीन बिहार सरकार की ओर से पीड़ितों को सरकारी नौकरी व मुआवजा देने की घोषणा की गई थी। कई लोग आज भी सरकारी नौकरी से वंचित हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि झरिया बाजार में हुए भीषण पटाखा कांड के बाद आज भी आसपास और शहर के कई क्षेत्रों में अवैध रूप से पटाखे की बिक्री की जा रही है। प्रशासन मूकदर्शक बना है।

    झरिया पटाखा कांड में इन लोगों की हुई थी मौत

    झरिया पटाखा कांड में शहर के अलावा आसपास क्षेत्र के भी कई लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में कल्लू के अलावा फूलचंद जायसवाल, रामस्वरूप मोदी, दीपक मोदी, आनंद स्वरूप जायसवाल, राजकुमार जायसवाल, प्रदीप कुमार साह, मुख्तार आलम, जीतेंद्र स्वर्णकार, मोहम्मद रफीक, बैजनाथ साव, अनूप केसरी, संजय केसरी, सोनू कनोडिया, प्रिस साहू, रंजन सिंह, राजू सोनकर, प्रतिमा कुमारी, नुनूवती देवी, सुमित भास्कर, रोहित सिन्हा, मो रियाज, विकास गुप्ता, तनवीर आलम, इसराइल थे।

    एक सप्ताह तक प्रशासन ने सिंदुरिया पट्टी को कर दिया था सील

    पटाखा कांड में पास के जख्मी दुकानदार छेदी जायसवाल, विजय जायसवाल, अरुण गोस्वामी, भोला साव, श्याम सुंदर स्वर्णकार ने कहा कि घटना को याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं। पटाखा कांड के बाद जिला प्रशासन और अग्निशमन विभाग की ओर से राहत कार्य चलाया गया। एक सप्ताह तक सिंदुरिया पट्टी को प्रशासन ने सील कर दिया था। इस दौरान जले शवों को दुकानों व घरों से निकालने का काम किया गया। लगभग चार साल तक कल्लू पटाखा दुकान बंद रही।