आइएसएम: विश्व के दो सौ देशों में शामिल होने को सौ साल की विरासत को सहेजेंगे पूर्ववर्ती छात्र
आइआइटी आइएसएम को किसी परिचय की जरूरत नहीं। वहां से बाहर निकली प्रतिभाओं ने देश ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अपनी मेधा का लोहा मनवाया है। ...और पढ़ें

शशि भूषण, धनबाद: आइआइटी आइएसएम को किसी परिचय की जरूरत नहीं। वहां से बाहर निकली प्रतिभाओं ने देश ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अपनी मेधा का लोहा मनवाया है। लेकिन अब आइएसएम नया कीर्तिमान रचने की तैयारी कर रहा है।
नौ दिसंबर 1926 को स्थापित तत्कालिन इंडियन स्कूल ऑफ माइंस 2026 में सौ साल का हो जाएगा। लेकिन इस बीच सौ वर्ष पूरे होने से पहले ही बड़े बदलाव और नए चेहरे के साथ संस्थान दिखेगा। इसके लिए संस्थान ने अपना लक्ष्य निर्धारित किया है। शताब्दी वर्ष को एक बड़ी उपलब्धि के रूप में मनाया जाए इसके लिए संस्थान ने '200 @ 2022' का लक्ष्य तय किया है। आइआइटी आइएसएम का लक्ष्य है कि वह विश्व के दो सौ देशों में शामिल हो सके। फिलहाल क्यूएस वल्र्ड रैंकिंग में आइएसएम एक हजार रैंक के नीचे है। आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो. राजीव शेखर '200 @ 2022' को लेकर काफी उत्साहित हैं। इस बाबत उन्होंने एक पत्र जारी कर कहा है कि एनआइआरएफ रैंकिंग 2019 में आइएसएम का देशभर में 15वां रैंक रहा। लेकिन अब प्रयास रहेगा कि आइआइटी आइएसएम टॉप टेन संस्थानों में शामिल हो। उन्होंने कहा है कि वैश्विक मान्यता के लिए उत्कृष्टता प्राप्त करना संस्थान का दृढ़ संकल्प अटूट है। इसलिए इस मिशन को शुरू किया गया है। वहीं यूजीसी पीजी एजुकेशन व अन्य में महत्वपूर्ण शैक्षिक सुधार किए गए है।
शताब्दी पर 100 करोड़ रुपये बतौर फंड जुटाने का लक्ष्य: आइआइटी आइएसएम का सौ साल वर्ष 2026 में पूरा होगा। आइएसएम के सौ साल की विरासत को सहेजने की जिम्मेवारी संस्थान के पूर्ववर्ती छात्रों को दी गई है, ताकि संस्थान को एक नए चेहरे के रूप में स्थापित किया जा सके। इसके लिए संस्थान अमेरिका की तर्ज पर देश-विदेश में रहने पूर्ववर्ती छात्रों से संपर्क करना शुरू कर दिया है। अभी हाल ही में निदेशक प्रो. शेखर आइएसएम दुबई चैप्टर में पूर्ववर्ती छात्रों से जाकर मुलाकात कर मिशन 2026 के बारे में अवगत कराया था। निदेशक ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता सहित करीब आधा दर्जन से भी अधिक पूर्ववर्ती छात्रों के चाप्टर से मुलाकात कर अपना प्लान जाहिर कर मिशन 2026 के लिए सुझाव मांगे हैं। इसके अलावा संस्थान ने पूर्ववर्ती छात्रों से 100 करोड़ रूपये फंड जुटाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया है।
राशि का यहां होगा उपयोग: पूर्ववर्ती छात्रों से जुटाए गए 100 करोड़ रूपये का उपयोग संस्थान रिसर्च सुविधा बढ़ाने, नए केंद्र शुरू करने, टिंकरिंग अनुसंधान प्रयोगशाला का निर्माण करने, सेंटर फॉर एनर्जी, अर्थ साइंस एंड इन्वायरमेंटल रिसर्च सेंटर फार एडवांस कंप्यूटिंग एंड सिम्यूलेशन स्टेट ऑफ द आर्ट रिसर्च एक्विपमेंट एंड रिसोर्स के साथ अगले पांच वर्षों में आइआइटी के विस्तार में किया जाएगा। पूर्ववर्ती छात्रों से फंड लेने के लिए संस्थान ने पेमेंट गेटवे का डिटेल जारी कर दिया है। शताब्दी वर्ष पूरा होने पर एक शताब्दी भवन बनाया जाएगा जो यादगार होगा।
"आइआइटी आइएसएम ने सौ साल सौ करोड़ का नारा दिया है। विभिन्न देशों में जाकर पूर्ववर्ती छात्रों के समक्ष प्रस्तुतीकरण दिया जा रहा है। देश व विदेश में रहने वाले पूर्ववर्ती छात्रों से बेहतर रिस्पांस मिल रहा है। सेंटनरी कॉर्प्स फंड बनाया गया है, ताकि निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया जा सके।"
-प्रो. धीरज कुमार, डीन, ऐरा
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