Solar Eclipse 2022: आज लगेगा साल का आखिरी सूर्यग्रहण, सवा तीन घंटे तक रहेगा बंद बासुकीनाथ मंदिर
दीपावली के बाद मंगलवार को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि के अवसर पर साल का दूसरा और आखिरी सूर्यग्रहण लग रहा है। इसे लेकर बासुकीनाथ मंदिर में करीब सवा तीन घंटे तक पूजा-अर्चना पर पूर्णतः रोक रहेगी। ग्रहण काल के बाद मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे।
संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ (दुमका): दीपावली के बाद मंगलवार को कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा तिथि के अवसर पर साल का दूसरा और आखिरी सूर्यग्रहण लग रहा है। इसे लेकर बासुकीनाथ मंदिर में करीब सवा तीन घंटे तक पूजा-अर्चना पर पूर्णतः रोक रहेगी।
बासुकीनाथ पंडा धर्मरक्षिणी सभा, बासुकीनाथ मंदिर के पंडा-पुरोहित और मंदिर प्रबंधन द्वारा सर्वसम्मति से लिये गए निर्णय के अनुसार, मंगलवार को बासुकीनाथ मंदिर परिसर में अपराह्न पौने तीन बजे से संध्या छह बजे तक पूजा-पाठ एवं स्पर्श पूजा पूर्णतः बाधित रहेगी। संध्या छह बजे के बाद मंदिर के पुजारी द्वारा गंगाजल से गर्भगृह की साफ-सफाई के बाद बाबा बासुकीनाथ की षोडशोपचार विधि से पूजा-अर्चना कर आम श्रद्धालुओं के दर्शन व पूजन के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे।
ग्रहण काल में इन बातों का रखें विशेष ध्यान
सूर्य ग्रहण को लेकर जरमुंडी व बासुकीनाथ में ग्रामीण ग्रहण काल, मोक्ष काल, सूतक काल की समयावधि को लेकर सोमवार को चर्चा करते रहे। बासुकीनाथ मंदिर के कुंडली विशेषज्ञ पंडित प्यारेलाल गैरोला, बासुकीनाथ मंदिर के बुजुर्ग पुरोहित पंडित मणिकांत झा मन्नो बाबा ने बताया कि सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, सूतक लगने के बाद से और सूतक समाप्त होने तक भोजन नहीं करना चाहिए। मंदबुद्धि, बीमार, वृद्ध बालक पर यह दोष उतना नहीं लगता है। ग्रहण के वक्त पत्ते, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। ग्रहण के वक्त बाल नहीं कटवाना चाहिए। ग्रहण के वक्त सोने से रोग पकड़ते हैं। ग्रहण मोक्ष के उपरांत पवित्र सरोवर, तालाब, गंगा नदी अथवा अन्य पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए एवं यथाशक्ति दान, ध्यान का कर्म करना चाहिए। इससे घर में समृद्धि आती है। उन्होंने बताया कि ग्रहण के वक्त कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए और नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। ग्रहण के वक्त अगर संभव हो तो पके हुए भोजन को ढंक कर रखें, साथ ही उसमें तुलसी का पत्ता व जल में कुश डाल दें। ग्रहण काल के वक्त भक्तों को अपने इष्टदेव का स्मरण एवं मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है। पंडित आशुतोष झा ने कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल में शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान भी नहीं किए जाने चाहिए।
ग्रहण काल के दौरान बच्चे और मां की करें विशेष देखभाल
प्राचीन काल से ही हमारे धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों द्वारा यह माना जाता रहा है कि सूर्य और चंद्र, दोनों ग्रहण गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होते हैं। ग्रहण की अवधि के दौरान बच्चे और मां की विशेष देखभाल की जानी चाहिए। आमतौर पर कोशिश यही होनी चाहिए कि ग्रहण के दौरान घर से बाहर ना निकलें। बेहद आवश्यक ना हो तो यात्रा से परहेज करें। ग्रहण की किरणें घर में प्रवेश न कर सकें, इसका भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।