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    तेलमोचो के आद‍िवास‍ी टोला में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मनाया गया सोहराय

    By Atul SinghEdited By:
    Updated: Sat, 08 Jan 2022 05:13 PM (IST)

    तेलमोचो पंचायत के कुँजी स्थित आदिवासी टोला में सिद्धु कान्हु समिति के द्वारा समाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए मानव सृष्टि और प्रकृति पूजा का उत्सव आदिव ...और पढ़ें

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    सभी लोग जमकर मांदर पर थाप लगाते हुये पारम्परिक नृत्य में शामिल हुए।

    संवाद सहयोगी, महुदा : तेलमोचो पंचायत के कुँजी स्थित आदिवासी टोला में सिद्धु कान्हु समिति के द्वारा समाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए मानव सृष्टि और प्रकृति पूजा का उत्सव आदिवासियों मूलवासियों का महापर्व सोहराय पर्व (बांदना) मनाया गया। इस अवसर पर सभी लोग जमकर मांदर पर थाप लगाते हुये पारम्परिक नृत्य में शामिल हुए।

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    इस अवसर पर आदिवासी समाज के लोगो ने नृत्य करते हुए एवं गीत गाते हुए अपने टोला का भ्रमण किया। टोला के मांझी हड़ाम (अध्यक्ष) दुर्जन सोरेन ने कहा कि आदिवासियों का सप्ताह भर चलने वाले इस सगुन सोहराय में भाई-बहन के रिश्ते को बहुत महत्व दिया जाता है और पशुओं के साथ उनके वासस्थल गोहाल की पूजा की जाती है। जो देश की गौरवशाली परंपरा का घोतक है। तथा जनवरी माह में मनाया जाने वाला इस पर्व को विशेष धार्मिक व पारंपरिक अनुष्ठान के साथ मनाया जाता है। यह महापर्व का सम्बन्ध सृष्टि की उत्पत्ति से जुड़ा हुआ है तथा जनजाति समाज में इस पर्व का बेहद महत्व है। शांत चित्त स्वभाव के लिए जाना जाने वाला आदिवासी समुदाय का उनका मूलतः अपना प्राकृतिक पूजक है।

    विशेष परिस्थिति में गाय बैल को स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक भेजने के आलोक में उत्साह स्वरूप इस महापर्व को आदिवासी समाज में ढ़ोल ढाक वाद्ययंत्र सोहराय गीतों के नृत्य के साथ मनाया जाता है। सोहराय में गीत नृत्य का अपना एक विशेष महत्व है। ग्राम के जौग मांझी ( सचिव ) मदन सोरेन ने कहा कि पूरी दुनिया जहां पर्यावरण, पशु धन संकटों से जूझ रहा है, जिसका एक ही समाधान है, सोहराय पर्व का आयोजन। इसी तरह प्रकृति से जुड़कर हमें त्योहार मनाने की आवश्यकता है जहां संसार में सब को जीने और रहने का अधिकार है। जो जीव जीवश्य जीवनम का संदेश देता है।

    यह पर्व हमें जनजाति संस्कृति और चिंतन पेड़-पौधे से लेकर जीव-जंतु तक की चिंता करता है। आज के सगुन सोहराय उत्सव कार्यक्रम में मुख्य रूप से साक्षरता के प्रखण्ड समन्वयक भागीरथ सिंह, दुर्जन सोरेन, मदन सोरेन, करमु मांझी, सलगु मांझी, दुखन मांझी, दारा सिंह मांझी, पानु प्रसाद मांझी, रोहित कुमार सोरेन, मुकेश कुमार सोरेन, रमेश मांझी, प्रदीप सोरेन, राजेश सोरेन, हराधन सोरेन, श्रृजल सोरेन, सुमन देवी, व्यासमनी देवी, विजयंती देवी, सरूधनी देवी, पूनम कुमारी, गीता कुमारी, शीतल कुमारी, रेखा देवी, अंजली कुमारी, सोनाली कुमारी, मंगली कुमारी, जगदीश मुंडा आदि उपस्थित थे।