Snake-Catcher Mantosh: इनकी अंगुलियों के इशारे पर नाचते बिषधर, अब तक सैकड़ों को मिला जीवनदान
कोयरीबांध झरिया में रहने वाले 29 वर्षीय स्नेक सेवर मंतोष स्वर्णकार की। 13 साल की उम्र से ही मंतोष लोगों के घरों आंगनों में निकालने वाले जहरीले सांपों को पकड़ कर उसे सुरक्षित जंगलों में छोड़कर उनकी जान बचा रहे हैं। उन्हें जीवनदान दे रहे हैं। मं

झरिया [ गोविंद नाथ शर्मा ]। सांप का नाम सुनते और देखते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। लोगों में अफरातफरी मच जाती है। जहरीले सांप के काटने से लोगों की मौत भी हो जाती है। लेकिन अगर हिम्मत से काम लिया जाए तो सर्प दंश से बचा जा सकता है। लोगोंं के जीवन को बचाकर सांपों को भी जीवनदान दिया जा सकता है। इसका मिलास बन गया है झरिया का स्नैक-सेवर मंतोष स्वर्णकार।
सांपों को पकड़ जंगल में छोड़ना बन गया दैनिक कार्य
कोयरीबांध झरिया में रहने वाले 29 वर्षीय स्नेक सेवर मंतोष स्वर्णकार की। 13 साल की उम्र से ही मंतोष लोगों के घरों, आंगनों में निकालने वाले जहरीले सांपों को पकड़ कर उसे सुरक्षित जंगलों में छोड़कर उनकी जान बचा रहे हैं। उन्हें जीवनदान दे रहे हैं। मंतोष का कहना है कि पृथ्वी पर जितने भी जीव-जंतु हैं। सभी एक दूसरे के पूरक हैं।इसलिए सांपों को पकड़ कर इनकी जान बचाने में लगे हैं।
पहली बार सांप पकड़ने में लगा डर, हिम्मत से लिया काम
स्नेक सेवर मंतोष का कहना है कि उस समय मेरी उम्र लगभग 13 वर्ष थी। कोयरीबांध के एक घर में जहरीला सांप निकला था। लोगों ने उसे पकड़ कर मार दिया। यहीं से मेरे अंदर मानवीय भावना जगी और सांप को पकड़ कर सुरक्षित जंगल में छोड़ने का संकल्प लिया। पहली बार मोहल्ले में ही जहरीला सांप निकालने के बाद काफी हिम्मत कर उसे डंडे के सहारे पकड़ा। इसके बाद उसे एक डब्बे में बंद कर पास के सहाना पहाडी जंगल में ले जाकर छोड़ दिया। इसके बाद तो सांप पकड़ने का सिलसिला ही चल पड़ा। कहा कि 16 साल में अबतक सैकड़ों सांपों को पकड़कर झरिया के आसपास जंगलों और कोयला खदानों में छोड़ चुका हूं। इनमें रसैल वाइपर, काला कोबरा, नाग, करैत, धामिन, अजगर आदि शामिल हैं। मंतोष का कहना है कि 75 प्रतिशत सांप जहरीले नहीं होते हैं।
कई जहरीले जीव-जंतुओं को भी पकड़ चुका है मंतोष
झरिया के स्नेक सेवर मंतोष का कहना है कि जहरीले सांपों के अलावा जहरीली बड़ी छिपकली, शाहिल, उल्लू, बंदर व लकड़बग्घा को भी पकड़ कर धनबाद वन विभाग को सौंप चुके हैं। जहरीले जीव-जंतुओं को पकड़ने में जब वन विभाग के कर्मी नाकाम होते हैं तो मुझे बुलाते हैं। जान पर खेलकर हम उन्हें पकड़ कर विभाग को सौंप देते हैं। डेढ़ दशक से सांप पकड़ने के कारण कई जिलों के लोग समय-समय पर हमें बुलाते हैं। अब तक धनबाद जिला के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा बोकारो, कोडरमा, गिरिडीह, आसनसोल, दुर्गापुर आदि क्षेत्रों में भी सांप पकड़ने गए हैं।
सावधानी हटी दुर्घटना घटी
मंतोष का कहना है कि हिम्मत से कार्य करने के बाद भी सांप पकड़ना काफी जोखिम भरा काम होता है। जरा सी सावधानी हटी की दुर्घटना हो सकती है। सांप काट सकता है। सांप के काटने से जान भी जा सकती है। इसलिए सांप पकड़ने के दौरान अपनी नजर को हमेशा उसी पर टिकाए रहते हैं। पीछे से कोई आवाज भी देता है तो नहीं सुनते हैं। दुर्भाग्यवश धैया धनबाद में एकबकोबरा पकड़ने के दौरान उसने हमे काट लिया। जख्मी हो गए। मौके पर तुरंत अपने से इलाज करने के बाद डॉक्टर के पास गए। तीन दिनों के बाद ठीक हो गए। अब तक लगभग पांच बार जहरीला सांप हमें काट चुका है। लेकिन प्रभु भोलेनाथ की कृपा से हमें कुछ नहीं हुआ है। सांप काटने के बाद लोगों को अंधविश्वास में नहीं पड़कर डाक्टर से तुरंत इलाज कराना चाहिए।
नहीं मिलता है उचित पारिश्रमिक
लगभग डेढ़ दशक से लोगोंं के घरों से सांप पकड़ने का काम कर रहे मंतोष का कहना है कि जान हथेली पर रखकर यह कार्य करते आ रहे हैं। बावजूद उचित पारिश्रमिक नहीं मिलता है। कई बार धनबाद वन विभाग के लिए भी काम करते हैं। वहां से भी उचित पारिश्रमिक के लिए निराश होना पड़ता है। परिवार की जीविका चलाने में परेशानी होती है। पिता राजाराम स्वर्णकार के निधन के बाद घर चलाने की जिम्मेवारी मेरे ऊपर आ गई। मां उर्मिला देवी, दो बहन और एक भाई संतोष स्वर्णकार के परिवार को किसी तरह चलाना पड़ता है। मंतोष का कहना है कि फिलहाल एक निजी कंपनी में कम वेतन पर काम कर परिवार चला रहे हैं। इससे परेशानी होती है। स्थाई रूप से वन विभाग नौकरी मिल जाती तो परिवार खुशहाल हो जाता। विभाग को भी जहरीले सांप व जीव-जंतुओं को पकड़ने में हमेशा पूरी मदद करते।
सांपों को मारे नहीं, हमें जानकारी दें
मंतोष का कहना है कि पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के लिए जीव-जंतुओं का पृथ्वी पर रहना बहुत जरूरी है। मेरा लोगों से आग्रह है कि वे सांप या अन्य किसी भी जीव- जंतुओं को नहीं मारें। ये कहीं भी दिखे तो हमें 8271971043 पर फोन से तुरंत जानकारी दें। हम उन्हें पकड़कर सुरक्षित जंगल में छोड़ देंगे। इससे सबका भला होगा। मंतोष ने कहा कि सांप पकड़ने के बाद उसे अधिक से अधिक 24 घंटे तक डब्बे में बंद कर अपने घर में रखते हैं। इसके बाद उसे सुरक्षित जंगल में छोड़ देते हैं।
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