सऊदी अरब को भारतीय सांस्कृति से रूबरू करा रहे शाहिद आलम
2010 बैच का यह आइएफएस 2020 में सऊदी अरब के जेद्दाह में काउंसिल जनरल आफ इंडिया हुआ। उसके बाद से वे इस देश के लोगों को भारतीय संस्कृति से रूबरू करा रहे हैं। बता रहे कि हमारा देश दुनिया को प्रेम व इंसानियत का पैगाम देता है।

आशीष सिंह, धनबाद।धनबाद का वासेपुर इलाका। एक समय वह भी था जब यहां आए दिन बम विस्फोट व फायरिंग होती थी। नतीजा गैंग्स आफ वासेपुर जैसी फिल्म यहां पृष्ठभूमि पर बन गई। मगर आज यहां बदलाव की बयार बह रही है। अनेक युवा यहां से निकल अपनी काबिलियत से दुनिया में परचम फहरा रहे हैं। इनमें से एक हैं वासेपुर रहमतगंज के मो. शाहिद आलम। 2010 बैच का यह आइएफएस 2020 में सऊदी अरब के जेद्दाह में काउंसिल जनरल आफ इंडिया हुआ। उसके बाद से वे इस देश के लोगों को भारतीय संस्कृति से रूबरू करा रहे हैं। बता रहे कि हमारा देश दुनिया को प्रेम व इंसानियत का पैगाम देता है।
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत वहां कई सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए हैं। 12-13 दिसंबर को इंडिया महोत्सव किया। इसमें देश के विभिन्न इलाकों के 190 कलाकारों ने सांस्कृतिक कला का प्रदर्शन किया। योग, कला प्रदर्शनी, मकर संक्रांति उत्सव, रंगोली प्रतियोगिता भी कराई। मानव सेवा में भी पीछे नहीं रहे। आक्सीजन की कमी हुई तो जेद्दाह से पिछले साल 26 मई को 200 आक्सीजन कंसंट्रेटर भारत भेजे। इंडिया इन जेद्दा एप के माध्यम से वीसा के लिए वर्चुअल आवेदन की सुविधा की व्यवस्था की। महीने के अंतिम गुरुवार को प्रवासी महिला कल्याण कार्यक्रम के तहत वे उनकी समस्याओं का समाधान कराते हैं।
इंडो अरब हेल्पिंग हैंड्स की सौगात : कंसुलेट जनरल आफ इंडिया के अंतर्गत जेद्दाह, मक्का, मदीना, यानबू, तैफ, तबुक, कुनफुदा, अलबाहा, आभा, जिजान और नजरान आदि शहर आते हैं। यहां बसे भारतीयों की मदद के लिए इंडो अरब हेल्पिंग हैंड्स संगठन शिद्दत से जुटा है। इसके संस्थापक और चेयरमैन भी शाहिद ही हैं।
300 से अधिक भारतवंशियों ने गाया राष्ट्रगान : देश की आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। सीजीआइ जेद्दाह की ओर से भी यह जश्न मन रहा है। 15 अगस्त को राष्ट्रगान गाते हुए वीडियो आमंत्रित हुए थे। शाहिद ही नहीं बल्कि सऊदी अरब के 300 से अधिक भारतवंशियों ने राष्ट्रगान का एक मिनट तीन सेकंड का वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा किया। शाहिद कहते हैं कि पूरे विश्व में तिरंगे की शान है। गर्व है कि हिंदुस्तानी हूं, उसके बाद आइएफएस। वासेपुर से यहां तक पहुंचा, यह हमारे गुरुजनों व स्वजनों का मार्गदर्शन रहा। प्राथमिकता भारत की छवि को विश्व में बेहतर तरीके से पेश करना है। हमारा मकसद मानव सेवा व विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रसार है।
हज काउंसिल के तौर पर किया काम ः काउंसिल जनरल आफ इंडिया से पहले ये डिप्टी काउंसिल जनरल और हज काउंसिल रहे हैं। मक्का में हज काउंसिल के तौर पर बढिय़ा काम किया। अरबी भाषा की भी जानकारी ली है। वे सऊदी अरब के लोगों को सऊदी की खूबसूरती बताते हैं। प्रारंभिक शिक्षा धनबाद के इंडियन स्कूल आफ लर्निंग भूली से हुई।
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