SNMMCH Dhanbad को मिले 76 इंटर्न डॉक्टर, एक साल देंगे सेवा
SNMMCH Dhanbad चिकित्सकों की कमी की मार झेल रहे अस्पताल को थोड़ी राहत मिली है। अस्पताल में फिलहाल डॉक्टरों की लगभग 30 फीसदी कमी है। मेडिकल कॉलेज प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की 30 फीसदी पद खाली हैं।

जागरण संवाददाता, धनबाद। डॉक्टरों की कमी झेल रहे शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल धनबाद ( SNMMCH) को 76 इंटर डॉक्टर मिले हैं। यह सभी मेडिकल कॉलेज से इसी वर्ष पास आउट हुए हैं। यह सभी इंटर्न डॉक्टर 1 साल तक अब अस्पताल में मरीजों की सेवा देंगे। इससे पहले झारखंड रजिस्ट्रेशन मेडिकल काउंसिल ने सभी मेडिकल स्टूडेंट का निबंधन किया। इंटर्न डॉक्टर मिलने से चिकित्सकों की कमी की मार झेल रहे अस्पताल को थोड़ी राहत मिली है। अस्पताल में फिलहाल डॉक्टरों की लगभग 30 फीसदी कमी है। मेडिकल कॉलेज प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, और असिस्टेंट प्रोफेसर की 30 फीसदी पद खाली हैं। वहीं अस्पताल में सीनियर रेजिडेंट, जूनियर रेजिडेंट के लगभग 20 फीसदी पद खाली है। बता दें कि पिछले 2 महीने से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया की कोशिश हो रही थी। लेकिन लॉक डाउन होने की वजह से यह नहीं हो पा रहा था। आखिर कर रजिस्ट्रेशन होने के बाद प्रबंधन ने राहत की सांस ली है।
2016 बैच के हैं स्टूडेंट, घर पर पढ़ रहे स्टूडेंट
पास होने वाले सभी स्टूडेंट 2016 के बैच के हैं। इसके साथ ही 2017,18,19 और 20 के स्टूडेंट की की पढ़ाई हो रही है। फिलहाल कोरोना महामारी के कारण मेडिकल कॉलेज में ऑनलाइन पढ़ाई की जा रही है। अभी अधिकांश स्टूडेंट अपने घर पर ही रह कर पढ़ाई कर रहे हैं। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि स्थिति सामान्य होने के बाद स्टूडेंट को कॉलेज बुलाया जा सकता है हालांकि इसके लिए अभी आदेश का इंतजार है। अब कॉलेज प्रबंधन भी सरकार के आदेश का इंतजार कर रहा है ताकि कॉलेज खोला जा सके।
जूनियर डॉक्टर और इंटर्न चलाते हैं अस्पताल
अस्पताल में चिकित्सकीय सेवा का सबसे ज्यादा दारोमदार सीनियर रेजिडेंट और जूनियर डॉक्टरों का होता है। इसके बाद इंटर्नशिप करने वाले मेडिकल स्टूडेंट की भूमिका अहम होती है। इंडोर के बाद में राउंड में सबसे ज्यादा जूनियर डॉक्टर और इंटर्नशिप करने वाले मेडिकल स्टूडेंट होते ही हैं। इंटर्नशिप मेडिकल स्टूडेंट के पढ़ाई का हिस्सा है। प्राचार्य डॉ शैलेंद्र कुमार बताते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में चिकित्सकों ने महती भूमिका निभाई है। इसमें जूनियर डॉक्टरों का भी काफी योगदान है।
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