रूस-यूक्रेन युद्ध की आंच से दहक रही सरिया
सरिया की कीमत में 33 प्रतिशत बढ़त हुई है। रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण लोहा बाजार गर्म हो गया है। सरिया 60 हजार रुपये प्रति टन से बढ़कर 85 हजार रुपये ...और पढ़ें

दिलीप सिन्हा, धनबाद : धनबाद के सुमित कुमार। पेशे से शिक्षक हैं। कोरोना संक्रमण थमा तो लोन लेकर बड़ी उम्मीदों से सरायढेला में अपना आशियाना बनाना शुरू किया। मगर एक महीने बाद ही निर्माण बंद करा दिया। आखिर क्या करते, सरिया से लेकर सीमेंट, गिट्टी, बालू व ईंट के दाम काफी बढ़ गए हैं। बड़े दुखी स्वर में कहते हैं, हमारा बजट काफी बढ़ गया है। रुपये का इंतजाम हो जाए तो फिर काम शुरू कराएं। कुछ ऐसा ही हाल उदय प्रसाद का है। सुमित और उदय महज उदाहरण हैं। इनके जैसे अनेक लोग हैं जो निर्माण सामग्रियों की कीमत में बढ़ने से काम बंद करा चुके हैं। जो रकम की व्यवस्था कर सके, वे किसी तरह काम करवा रहे हैं। दैनिक जागरण ने पड़ताल शुरू की तो पता लगा कि रूस और यूक्रेन का युद्ध इसका कारण बना है। आइए, इस श्रृंखला की पहली कड़ी में हम आपको लोहा और सरिया की कीमतों से रूबरू कराते हैं।
आप जानकर चौंक जाएंगे कि सरिया की कीमत में कुछ ही दिनों में 33 प्रतिशत बढ़त हुई है। रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण लोहा बाजार गर्म हो गया है। सरिया 60 हजार रुपये प्रति टन से बढ़कर 85 हजार रुपये प्रति टन पहुंच गई है। टाटा कंपनी की सरिया तो 95 हजार रुपये प्रति टन है। सरिया की यह अब तक की सर्वाधिक कीमत है। सरिया डीलर राजेश कुमार मोदी कहते हैं कि पांच साल से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इसकी कीमत 85 हजार रुपये टन होगी, कभी सोचा भी नहीं था। कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि युद्ध नहीं थमा तो कीमत और बढ़ेगी। कच्चा माल इसके कारण महंगा हो गया है। नतीजा पूरे लोहा उद्योग पर असर पड़ रहा है।
युद्ध के कारण पेट्रोलियम पदार्थों व कोयले का अभाव हुआ है। क्रूड आयल समेत हर धातु भी महंगी हुई है। सीधा असर लोहा उद्योग पर पड़ रहा है। कीमतें अब कहां तक जाएंगी, इस पर तो अभी कुछ भी बोलना संभव नहीं है।
डा. गुणवंत सिंह, चेयरमैन, मोंगिया स्टील
रूस और यूक्रेन युद्ध से स्टील उद्योग प्रभावित हुआ है। कच्चा माल महंगा होने का असर लौह उद्योग पर पड़ रहा है। स्टील उद्योग में प्रयुक्त होने वाली कई सामग्री रूस एवं यूक्रेन से आती हैं। नतीजा सामने है।
अमितेष सहाय, निदेशक जय स्टील

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